चेकपोस्ट को नोट छापने की मशीन बना दिया, 7 साल में बना अरबपति, कौन हैं सौरभ शर्मा की काली कमाई के हिस्सेदार?

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भोपाल : मध्यप्रदेश की राजधानी के पास मेंडोरी के जंगल में लावारिस कार और उसमें रखे 52 किलो सोना और 10 करोड़ की रकम का रहस्य सुलझने लगा है। जंगल में फेंकी गई अकूत दौलत के मालिक सौरभ शर्मा की तलाश ईडी और इनकम टैक्स के अलावा एमपी पुलिस भी कर रही है। यह कार चेतन सिंह गौर की थी, वह इनकम टैक्स विभाग की कस्टडी में है। जांच के बाद सौरभ शर्मा के ठिकानों से 234 किलो चांदी भी मिली। करोड़ों रुपये की जमीन जायदाद का भी पता चला। ईडी ने जब उसकी कोठी पर छापेमारी की तो 50 लाख का सोना और 2.85 करोड़ रुपये मिले। घर में नोट गिनने वाली मशीनें मिलीं। सस्पेंस यह है कि आरटीओ में 7 साल की नौकरी करने वाले सौरभ शर्मा अचानक अरबपति कैसे बन गया? उसके हाथ अफसरों के ‘आशीर्वाद’ से ऐसा ‘जादुई चिराग’ हाथ लग गया, जिससे सिर्फ रुपयों की बारिश होती थी।

नौकरी जॉइन करते ही सौरभ को हुआ कमाई का अंदाजा

सौरभ शर्मा को अनुकंपा के आधार पर परिवहन विभाग में नौकरी मिली थी। 2016 में जब उसने ड्यूटी शुरू की तो चेक पोस्ट से होने वाली काली कमाई का अंदाजा हो गया। चेकपोस्ट और नाके हमेशा से ही अवैध वसूली के लिए बदनाम रहे हैं। अधिकतर चेक पोस्ट ऐसे हैं, जहां बिना पैसा दिए ट्रक ड्राइवर गुजर नहीं सकता, भले ही पेपर कंप्लीट हों। सूत्रों के अनुसार, कमाई वाली चेकपोस्ट पर पोस्टिंग के लिए बोली लगती है। जितना बड़ा चेकपोस्ट, उतनी ज्यादा कमाई। चेकपोस्ट बंद होने के बाद भी कई जगहों से वसूली की खबरें आ रही हैं। नाम नहीं बताने की शर्त पर परिवहन विभाग के कर्मचारी ने बताया कि एक साल के भीतर सौरभ शर्मा जल्द अफसरों का ‘लाडला’ बन गया। उसका तबादला ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के नाका वाले विभाग में हुआ। अफसरों की मेहरबानी से उसने चेकपोस्ट का ठेका मिलने लगा।

आरटीओ कर्मचारियों का कट मनी तय करता था सौरभ

जुलाई में जब मोहन यादव की सरकार ने चेकपोस्ट बंद करने का ऐलान किया तब मध्यप्रदेश के 47 चेकपोस्ट थे। सूत्रों के अनुसार 23 नाकों का ठेका सौरभ शर्मा के पास था। ये चेकिंग नाके शर्माजी के लिए नोट छापने की मशीन बन गए। वह टेंडर हासिल करने के बाद चेकपोस्ट को थर्ड पार्टी के हवाले कर देता था। हर नाके से उसकी लाखों की कमीशन तय थी। हर दिन वह खुद चेकपोस्ट से अपना हिस्सा लेता था। बाकी की कमाई वहां तैनात कर्मचारियों के लिए थी। सौरभ ही तय करता था कि नाके पर तैनात आरटीओ अधिकारी और निरीक्षक को कितनी कट मनी मिलेगी। सूत्र बताते हैं कि सौरभ शर्मा के खिलाफ परिवहन विभाग में दर्जनों शिकायतें धूल फांक रही हैं। जब उसके खिलाफ आरटीओ में शिकायतें बढ़ गईं तब उसने नौकरी से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद भी विभाग में उसका दबदबा बना रहा। टेंडर उसके नाम से ही खुलते रहे और पैसा बरसता रहा।

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