7 वर्ष के भाई की जान बचाने 9 वर्ष की बहन ने दिया बोनमैरो

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महीने में केवल 6 हजार कमाने वाले शुजालपुर के ऑटो चालक रहे युवक संतोष परमार के 7 वर्षीय बेटे विनायक को उसकी 9 वर्षीय बहन चुनचुन परमार ने अपना बोनमैरो डोनेट कर नई जिंदगी दे दी। अष्टमी के दिन बोनमैरो डोनेशन हुआ और विजयादशमी के दिन चिकित्सकों ने ऑपरेशन के सफल होने की जानकारी परिवार को दी। 25 लाख रुपए का ऑपरेशन खर्च इस परिवार को मध्य प्रदेश व केंद्र की सरकार के अलावा जनप्रतिनिधियों व जनता के सहयोग से मिला।
शुजालपुर निवासी संतोष 2 साल पहले तक ऑटो चालक के रूप में अपने खुद के ऑटो वाहन संचालित कर परिवार का पोषण करते थे। बेटे विनायक की हार्ट सर्जरी कराने के लिए संतोष को अपना एक ऑटो बेचना पड़ा था तथा इसके बाद कोरोना के 2 साल में ऑटो बंद खड़े रहे। इसी दौरान बेटे को खून न बनने की बीमारी थैलेसीमिया ने घेर लिया। आर्थिक तंगी में बाकी ऑटो भी बिक गए और संतोष वर्तमान में 6 हजार मासिक के मानदेय पर मोहम्मद खेड़ा में चक्की चलाने का काम करता है। मासूम बेटे की जान बचाने के लिए इस पिता ने बेंगलुरु, दिल्ली खुद जाकर व तकनीकी साधनों से जर्मनी तक मदद के लिए गुहार लगाई, लेकिन कोई भी बोनमैरो डोनेट करने को तैयार नहीं हुआ। आखरी में 9 साल की बहन चुनचुन परमार बोनमेरो दे सके, इसके लिए एचएलए टेस्ट कराने के लिए परिवार के पास टेस्ट के लिए 25 हजार रुपए नहीं थे। फादर्स डे पर रेडक्रॉस सोसायटी सदस्य व निशुल्क रोगी सेवा केंद्र संचालक पुरुषोत्तम पारवानी की मदद से शाजापुर कलेक्टर दिनेश जैन ने इस परिवार को टेस्ट कराने के लिए 25 हजार की मदद रेडक्रॉस से स्वीकृत की थी। जांच रिपोर्ट आने पर बहन अपने भाई की जान बचा सकेगी, यह डॉक्टरों ने बताया। इलाज में 25 लाख का खर्च बताया गया। शुजालपुर के निशुल्क रोगी सेवा केंद्र हेल्प फॉर यू के मार्गदर्शन में बेटे के इलाज के लिए कोल इंडिया कंपनी ने सीएसआर मद से अस्पताल को 10 लाख रुपए देने की स्वीकृति दी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2 लाख, सांसद महेंद्र सोलंकी के प्रयास से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सहायता कोष से 3 लाख, स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार ने व्यक्तिगत रूप से 3 लाख, शाजापुर कलेक्टर दिनेश जैन ने दूसरी बार रेडक्रॉस समिति से 50 हजार की मदद स्वीकृत की। इलाज में कम पड़ रही राशि हेल्प फॉर यू के 32 सहयोगियों ने दो दिन में 1 लाख 50 हजार मरीज के पिता के खाते में सीधे भेज दिए। शेष राशि शुजालपुर के समाजसेवी गीत बिंदल व इंदौर की एक संस्था, दानदाताओं के सहयोग से अस्पताल को पहुंच गए। 1 माह तक अस्पताल में कीमोथेरेपी होने के बाद अष्टमी के दिन चुनचुन परमार ने अपने भाई की जान बचाने के लिए बोनमैरो डोनेट किया तथा बुधवार को दशहरे के दिन परिवार को सर्जरी के सफल होने की सूचना दी गई। करीब 3 माह तक अभी इस परिवार को बच्चे के साथ बेंगलुरु के मजूमदार अस्पताल में ही रहना होगा। 1 वर्ष तक फॉलोअप चेकअप के बाद संभवत इस बच्चे को जीवन में कभी दोबारा खून चढ़ाने की जरूरत नहीं लगेगी और बहन द्वारा दान किया गया बोनमेरो भाई की रगों में खून बनकर दौड़ेगा।

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