नौनिहाल आंगनबाड़ी से हो रहे वंचित

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भारत सरकार के द्वारा नौनिहालों के नैतिक शारीरिक शैक्षणिक एवं बौद्धिक विकास के लिए आंगनवाड़ी का संचालन किया जा रहा है। परंतु देखने में आ रहा है कि कुछ स्थानों पर नौनिहालो को आंगनबाड़ी की सुविधा से वंचित भी होना पड़ रहा है। ऐसा ही एक मामला जनपद पंचायत वारासिवनी अंतर्गत ग्राम पंचायत मंगेझरी के ग्राम कालागोटा में देखने को मिल रहा है। जहां आंगनबाड़ी की दूरी ज्यादा होने के कारण ग्राम के नौनिहाल को आंगनबाड़ी से वंचित होना पड़ रहा है। जिसको लेकर ग्रामीणों में खासा आक्रोश व्याप्त है जिनके द्वारा ग्राम में स्वीकृत एवं निर्माणधीन आंगनवाड़ी भवन को जल्द पूर्ण कर आंगनबाड़ी प्रारंभ करने और कालागोटा की जो आंगनबाड़ी को जयराम टोला ले जाया गया है उसे पुनः कालागोटा में स्थापित करने की मांग ग्रामीणों के द्वारा की जा रही है। जिससे कि उन्हें मुक्त परेशानी से निजात मिल सके और उनके नौनिहाल आंगनवाड़ी में शासन की मंशा अनुरूप प्रतिदिन आना जाना कर सके।

यह है मामला

प्राप्त जानकारी के अनुसार कालागोटा में आंगनवाड़ी केंद्र संचालित किया जा रहा था जिसका शासकीय भवन नहीं था जहां पर नौनिहाल नैतिक शारीरिक बौद्धिक और शैक्षणिक कुशलता प्राप्त कर रहे थे। परंतु विभाग के द्वारा उक्त आंगनबाड़ी को करीब 2 किलोमीटर दूर जयराम टोला में ले जाकर स्थापित कर दिया गया जिस कारण से अब प्रतिदिन नौनिहाल आंगनबाड़ी जाने में असमर्थ नजर आ रहे हैं। क्योंकि वह स्वयं के भरोसे आना जाना नहीं कर पाते हैं और उनके माता-पिता अपने कार्यों में व्यस्त होने के कारण समय अनुसार उन्हें लाना ले जाना भी नहीं कर पाते हैं। ऐसे में आंगनबाड़ी का शासकीय भवन कालागोटा में बीते करीब 1 वर्ष से अधिक का समय हो गया निर्माण किया जा रहा है परंतु उसमें भी राशि की समस्या होने से वह अधूरा निर्माण पड़ा हुआ है। उक्त परिस्थिति में अति जरूरत होने पर ही गर्भवती एवं धात्री महिलाएं या नौनिहाल आंगनबाड़ी केंद्र जाते हैं बाकी समय वह अपने घर पर ही रहते हैं। जिन्हें सहायिका या कार्यकर्ता के द्वारा केंद्र में भी नहीं ले जाया जाता है जिसको देखते हुए ग्रामीणों के द्वारा उनके ग्राम पर पूर्व की तरह आंगनबाड़ी केंद्र संचालित करने की मांग की जा रही है।

नौनिहालों के विकास में दूरी बना रही समस्या

कालागोटा का आंगनबाड़ी केंद्र जयराम टोला में स्थापित किया गया है जो करीब 2 किलोमीटर से अधिक की दूरी है। ऐसे में आना-जाना करीब 5 किलोमीटर पड़ता है जो नौनिहाल स्वयं जा नहीं पाते हैं जिन्हें उनके माता-पिता के द्वारा स्वयं के वहां से आवश्यकता होने पर मतलब कोई कार्यक्रम आयोजित होने पर सहायिका या कार्यकर्ता के द्वारा फोन किया जाता है तब बच्चों को उनके पिता के द्वारा ले जाया जाता है या टीकाकरण का फोन आने पर गर्भवती महिला एवं बच्चे आंगनबाड़ी केंद्र जाते हैं। जो प्रतिदिन नहीं जा पाते हैं जिसके कारण उक्त नौनिहाल का विकास अवरुद्ध हो रहा है जो अपने निवास पर ही खेलकूद कर रहे हैं। क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को सुबह से घर के काम होते हैं तो वहीं पुरुष वर्ग अपनी दैनिक मजदूरी या कार्यों में सुबह ही निकल जाते हैं। ऐसे में यदि किसी दिन आंगनबाड़ी जाना होता है तो घर के पुरुष वर्ग को अपनी मजदूरी का नुकसान उठाना पड़ रहा है।

एक वर्ष बाद भी पूर्ण नहीं हुआ आंगनबाड़ी भवन

नौनिहाल बच्चों की आंगनवाड़ी संचालित किए जाने के लिए महिला एवं बाल विकास के द्वारा कालागोटा में आंगनबाड़ी भवन स्वीकृत किया गया था जिसका निर्माण पंचायत के माध्यम से करवाया जा रहा है परंतु 1 वर्ष बाद भी उक्त भवन का निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है। केवल स्लैप डालकर कर दीवाल खड़ी कर दी गई है जिसमें भवन की राशि शासन स्तर से उपलब्ध नहीं हो पाना समस्या बताई जा रहा है जिस कारण से भवन अधूरा पड़ा हुआ है। जबकि उक्त भवन को लेकर ग्रामीणों में खासी आशा जुडी हुई है कि उनके ग्राम पर ही आंगनवाड़ी भवन खुलेगा जिससे उनके नौनिहाल बच्चे आंगनबाड़ी जाकर अपना सर्वांगीण विकास कर सकेंगे परंतु उनकी आशा भी अब निराशा में तब्दील होने लगी है की कब यह भवन पूर्ण होगा।

ग्रामीण करिश्मा बरैया ने पद्मेश से चर्चा में बताया कि 2 वर्ष से आंगनबाड़ी बन रही है परंतु अभी खुली नहीं है यहां बच्चे घरों में रहकर खेलते हैं कोई भी आंगनबाड़ी नहीं जाते हैं। यह जो आंगनवाड़ी भवन बन रहा है वह पास में बन रहा है किंतु यहां अभी आंगनबाड़ी चालू नहीं हुई है आंगनबाड़ी के लिए हमें बच्चों को लेकर जयराम टोला जाना पड़ता है। जहां अकेले बच्चे नहीं जा पाते हैं हम भी वहां कब तक जा पाएंगे हमारे पास घर का काम होता है हम चाहते हैं कि यह आंगनबाड़ी केंद्र जल्दी से बने ताकि हमारे बच्चे वहां जाकर अपना सर्वांगीण विकास कर सके।

ग्रामीण ज्ञानवंती मालाधारी ने बताया कि आंगनबाड़ी को लेकर हमारे यहां समस्या है क्योंकि बच्चे नहीं जा पाते हैं एक आंगनबाड़ी बन रही है गांव में पर लोग वहां पर अब मवेशी बांधने लगे हैं। जबकि आंगनबाड़ी खुले तो बच्चे वहां पर जाएंगे और यह मवेशी बांधना अच्छी बात नहीं है यही आंगनबाड़ी हमारे यहां थी जो जयराम टोला अधिकारी लेकर गये है। अब बच्चे आंगनबाड़ी में जाते हैं हमारे यहां के बच्चे नहीं जाते हैं आंगनवाड़ी सहायिका कभी दलिया लाकर देती है जबकि हमारे मोहल्ले में बहुत ज्यादा बच्चे हैं जो आंगनवाड़ी जा सकते हैं परंतु दूरी के कारण नहीं जा पाते हैं।

पंचकूला बरैया ने बताया कि आंगनबाड़ी बहुत दूर है बच्चे धूप में खेलते रहते हैं आंगनवाड़ी सहायिका या कार्यकर्ता मैडम कोई भी हमारे बच्चों को लेने के लिए नहीं आती है। यहां से आंगनबाड़ी आना जाना 5 किलोमीटर पड़ता है जिसमें जाने का कोई हमारे पास साधन नहीं रहता है और कोई भी एक दिन अपना काम धंधा छोड़कर जायेगा। रोज उसका जाना संभव नहीं है ऐसा ही गर्भवती महिलाओं के साथ भी है जब उन्हें जाना होता है स्वयं को टीका लगाने या बच्चों को टीका लगाने तो परिवार के साथ जाते हैं। किसी भी काम के लिए कोई नहीं आता है मैडम के द्वारा फोन पर ही जानकारी दे दी जाती है हम चाहते हैं कि हमारे यहां आंगनबाड़ी चालू हो 30 से 35 बच्चे हमारे यहां आंगनबाड़ी से वंचित हो रहे हैं।

अरुण अडमे ने बताया कि हमारे कालागोटा में आंगनबाड़ी बन रही है जो आंगनवाड़ी जयराम टोला में संचालित की जा रही है वह कालागोटा के नाम की ही है वहां पर हमारे बच्चे नहीं जा पा रहे हैं। बच्चे छोटे हैं तो सहायिका भी इन्हें नहीं ले जा पाती है मेरे घर में स्वयं दो बच्चे हैं और हम उन्हें उनके टाइम टेबल पर नहीं ले जा पाते हैं क्योंकि समय नहीं है। 2 किलोमीटर यहां से दूरी होती है वही हमारा खेत भी है और हमारे मोहल्ले में 17 बच्चे हैं गांव में 30 से ज्यादा बच्चे हैं हमारे यहां बिल्डिंग खड़ी हो गई है पर उसका फिनिशिंग कार्य नहीं किया गया है एक वर्ष होते आ गया है।

सरपंच लोकचंद रोडगे ने बताया कि हमने आंगनवाड़ी भवन का स्लैप करवा दिया गया है मनरेगा व अन्य किसी मद की राशि में भुगतान नहीं आया है महिला बाल विकास विभाग से 2 लाख रुपये की राशि मिली थी उसे खर्च किया गया है। अभी एक पत्र आया है कि 15 वित्त की राशि से खर्च कर सकते हैं तो हमारा कहना है कि सरपंच के सर पर बोझ क्यों डाल रहे हैं जनपद और जिला पंचायत में भी राशि आई है वहां से निर्माण के लिए राशि दी जानी चाहिये पर जल्द निर्माण कार्य पूर्ण करने का प्रयास किया जायेगा।

इनका कहना है

उक्त आंगनबाड़ी केंद्र पुरानी स्वीकृति है जिसका स्टीमेट इंजीनियर से लेकर प्रपोजल बनाकर राज्य शासन को भेजा गया है जहां से जल्द ही राशि मिलते ही आंगनबाड़ी एजेंसी को राशि उपलब्ध करा दी जायेगी।

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