जर्मनी में US रैमस्टीन एयरबेस में शुक्रवार, यानी 20 जनवरी को 50 देशों ने मुलाकात की थी। इस मुलाकात का मकसद यूक्रेन को रूस से लड़ने में मदद के लिए खतरनाक टैंक देना था। दो दिनों तक यह बैठक बेनतीजा रही।
जर्मनी अपने टैंक्स यूक्रेन को देने में हिचक रहा है। हालांकि, रविवार को जर्मनी ने पोलैंड के जरिए यूक्रेन को अपना लेपर्ड 2 टैंक देने की मंजूरी दे दी है। जर्मनी में बना लेपर्ड 2 टैंक दुनिया के खतरनाक टैंकों में से एक माना जाता है। अफगानिस्तान और सीरिया युद्ध में भी इसका इस्तेमाल किए जा चुका है।
‘हमें पता है ये टैंक कितने जरूरी हैं’
पेरिस में एक मीटिंग के दौरान जर्मनी की विदेश मंत्री अन्नालेना बेयरबॉक ने एक बयान दिया है। इसे यूक्रेन को टैंक देने की मंजूरी के तौर पर देखा जा रहा है। मीटिंग में उन्होंने कहा कि हमें पता है कि ये टैंक कितने महत्वपूर्ण हैं। इसलिए हमें अपने पार्टनर्स के साथ इसकी डिलीवरी को लेकर इतनी बातचीत करनी पड़ रही है। हम चाहते हैं कि लोगों की जान बचे और यूक्रेन खुद को रूस के कब्जे से आजाद करवा पाए।
हालांकि जर्मनी खुद यूक्रेन को ये टैंक्स नहीं देगा, बल्कि उसने पोलैंड को मंजूरी दी है कि वो जर्मनी में बने अपने लेपर्ड 2 टैंक्स यूक्रेन को दे सकता है। दरअसल यूक्रेन को सीधे इस तरह के खतरनाक हथियार देना रूस से दुश्मनी को बढ़ाना होगा। इसके लिए जर्मनी बिल्कुल तैयार नहीं है। रूस ने भी यूक्रेन को खतरनाक हथियार देने पर चेतावनी दी है। रूसी संसद के स्पीकर ने कहा कि यूक्रेन को हथियार देकर पश्चिमी देश अपने खात्मे को बुलावा दे रहे हैं।
जर्मनी ने अमेरिका को कहा वो भी दे टैंक
रूस का सामना करने के लिए यूक्रेन पूरी तरह से पश्चिमी देशों के हथियारों पर निर्भर करता है, जो उसे मिल भी रहे हैं। हालांकि, अमेरिका समेत सभी पश्चिमी देश कुछ चुनिंदा हथियार यूक्रेन को देने में नाकामयाब रहे हैं। जिनकी यूक्रेन लगातार मांग कर रहा है। अमेरिका भी जर्मनी पर यूक्रेन को लेपर्ड टैंक देने का दबाव बनाए हुए है। इसी बीच जर्मनी ने मांग की थी कि अमेरिका भी अपना टैंक अब्राम यूक्रेन को दे।