दुनिया का हर 96वां इंसान बेघर, एक करोड़ लोगों का कोई देश नहीं; कोरोनाकाल में बॉर्डर सील होने के बाद भी 30 लाख लोग रिफ्यूजी बने

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दुनिया में हर 96वां इंसान बेघर है। वजह है.. कई देशों में युद्ध, दमन और कम होते संसाधन। सीरिया में 1.1 करोड़ लोग बेघर हुए, जो आबादी का 45% हैं। 1 करोड़ लोगों का कोई मुल्क नहीं बचा।

संयुक्त राष्ट्र की रिफ्यूजी एजेंसी कमिश्नर फिलिपो ग्रांडी के मुताबिक, कोरोना के सख्त लॉकडान के बावजूद 2019 के मुकाबले 2020 में 30 लाख लोग विस्थापित हुए। 20 जून को वर्ल्ड रिफ्यूजी डे पर पेश है बेघर लोगों का हाल…

2019 तक 7.9 करोड़ थे विस्थापित, 2020 में ये 4 फीसदी बढ़कर 8.24 करोड़ हुए

  • 8.24 करोड़ कुल लोग दुनिया में बेघर हैं
  • 4.57 करोड़ आंतरिक तौर पर विस्थापित
  • 2.64 करोड़ रिफ्यूजी हैं

42 लाख शरण मांग रहे हैं दूसरे देशों में

सीरिया: 1962 में पूर्वोत्तर में कई कुर्दों की नागरिकता छीन ली गई थी। पहले सीरिया में अनुमानित 3 लाख स्टेटलेस कुर्द थे। देश के 1.1 करोड़ लोग विस्थापित हैं। 67 लाख दूसरे देशों में भाग चुके हैं।

अफगान शरणार्थी: तीसरे सबसे ज्यादा अफगान शरणार्थी हैं। 2001 में अमेरिका में हमले के बाद आंतरिक युद्ध ने इन्हें बेघर किया।

रोहिंग्या… दुनिया में सबसे बड़ा शरणार्थी संकट
म्यांमार के रखाइन व बांग्लादेश के चटगांव इलाके में थे। 2014 की जनगणना में 10 लाख रोहिंग्या बाहर हो गए। 2017 में हिंसा के चलते इन्हे भागना पड़ा।

भारत में 40 हजार रोहिंग्या
सरकार ने वर्ष 2017 में संसद में बताया था कि भारत में 14,000 से अधिक रोहिंग्या रह रहे हैं। अनुमान है कि देश में करीब 40,000 रोहिंग्या हैं। वैसे देश में रिफ्यूजी करीब 2 लाख हैं।

बांग्लादेश: 7 लाख शरणार्थी
बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में 7 लाख से ज्यादा रोहिंग्या हैं, जो 2017 में आए थे। समुद्र में 15 साल पहले उभरे 40 वर्ग किमी के भासन चार द्वीप पर 1 लाख शरणार्थियों को बसाया जा रहा है।

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