राजस्थान के बीकानेर में 20 साल से रह रहे 350 शरणार्थी, बोले- नागरिकता नहीं दी, वैक्सीन ही लगवा दीजिए

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भारत सरकार का उद्देश्य है कि कोरोना महामारी से बचाव के लिए हर व्यक्ति को वैक्सीन लगाई जाए। इसके लिए जगह-जगह कैंप लगाए जा रहे हैं। मोबाइल वैन चल रही हैं। लेकिन बीकानेर के सीमावर्ती इलाके में रहने वाले 350 से अधिक पाक विस्थापितों तक स्वास्थ्य विभाग अब तक नहीं पहुंच पाया है।

बॉर्डर एरिया के खेतों में ढाणियां बनाकर पिछले करीब 20 साल से पाक विस्थापित परिवार बसे हुए हैं। पासपोर्ट, वीजा अवधि पार हो चुके हैं। भारत की नागरिकता इन्हें अब तक नहीं मिल पाई है। इसलिए आधार कार्ड जैसे जरूरी दस्तावेज भी इनके पास नहीं है। इनकी पहचान आज भी पाक नागरिक के रूप में ही है।

कोरोना महामारी के इस दौर में जब पूरा विश्व इस संकट से गुजर रहा है। ऐसे में ये परिवार भारत के नागरिक नहीं होने के बाद भी महामारी से बचने के लिए वैक्सीन लगवाने का अधिकार रखते हैं। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की टीम इन परिवारों तक नहीं पहुंच सकी।

दरअसल स्वास्थ्य विभाग के पास यह मसला अब तक आया ही नहीं है। भास्कर ने जब आरसीएचओ डॉ. राजेश गुप्ता को विस्थापितों के बारे में बताया तो बोले- यदि ऐसी कोई बात है तो कलेक्टर से मार्गदर्शन लेंगे।

बॉर्डर एरिया में कहां कितने परिवार
4 केवाईडी राइका आबादी 7 घर, 25 केवाईडी 3 परिवार, 8 केवाईडी 32 हेड 3 परिवार, 2 एएलएम 3 परिवार, 8 केजेड़ी 2 परिवार, 28 केवाईडी शिवनगर 3 परिवार। सहित अनूपगढ़ से बज्जू तक का इलाके में 350 से ज्यादा परिवार अवैध रूप से रह रहे हैं। इनमें चार परिवार शहरी क्षेत्र के भी हैं।

राजस्थान में 24 हजार पाक विस्थापितों को नागरिकता का इंतजार

राजस्थान में करीब 24 हजार पाक विस्थापित अवैध रूप से रह रहे हैं। उन्हें भारत की नागरिकता नहीं मिल रही। गृह विभाग के रिकॉर्ड में 21 हजार रजिस्टर्ड हैं। इनके दस्तावेज अधूरे बताए जा रहे हैं। तीन हजार ऐसे हैं जिनका रजिस्ट्रेशन नहीं है।

बीकानेर में दिसंबर 2019 में नागरिकता देने के लिए केम्प लगाया गया था। राज्य सरकार ने एक सीनियर आईएएस को भेजा था। तब 98 विस्थापित सूचिबद्ध किए गए थे। आवेदन 38 ने ही किया था।

पाकिस्तान में काफिर कहकर करते हैं जुल्म
पाकिस्तान में हमें काफिर कहा जाता था। यातनाएं देते थे। जबरदस्ती मजदूरी करवाते। परेशान होकर किसी तरह भारत आ गए। मेहनत मजदूरी करके गुजारा कर रहे हैं। नागरिकता मिल जाए तो सरकारी सुविधाएं भी मिलेगी। हमारे बच्चे स्कूल भी जा सकेंगे।” यह दर्द है खाजूवाला में रह रहे 85 वर्ष के मूलाराम भील का। पत्नी बीरा, तीन बेटे भूराराम, पूनाराम और सूरताराम को लेकर वह पाकिस्तान के बहावलपुर से 2001 में सूरसागर का वीजा लेकर भारत आ गया।

जीवन गुजर गया, लेकिन नागरिकता नहीं मिली
बकौल मूलाराम हमारे कुछ रिश्तेदार और गांव के लोग पहले खाजूवाला आ गए थे। पंजाब के रास्ते हम भी उनके पास आकर बस गए। खेतों में काम मिल गया। गुजर बसर होने लगी। बेटों की शादियां की।

2004-05 में पता चला कि भारत की नागरिकता मिल रही तो कलेक्टर के यहां फाइल लगाई। कुछ लोगों को नागरिकता मिल गई। लेकिन हमें रख दिया गया। बोले, कागज पूरे करो। पाकिस्तान दूतावास से पासपोर्ट रिन्यूवल और नागरिकता दिलाने के प्रति व्यक्ति 16 हजार मांगा जा रहा। इतने पैसे कहां से लाएं।

  • राजस्थान में करीब 24 हजार पाक विस्थापित हैं, जिन्हें नागरिकता नहीं मिल रही है। ये लोग पिछले कई सालों से जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर इलाकों में बसे हुए हैं और काफी गरीब हैं। फीस और नियमों में शिथिलन देकर केम्प लगाकर इन्हें एकसाथ नागरिकता दी जाए, जिससे इन्हें भी सरकारी योजनाओं को लाभ मिल सके। सभी का वैक्सीनेशन भी किया जाए। – हिंदू सिंह सोढ़ा, अध्यक्ष, सीमांत लोक संगठन

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