4 दिन के अंदर पिता और पूत्र की मौत, घर में कंधा देने वाला नहीं बचा कोई, पड़ोसियों ने भी खिड़की-दरवाजे बंद किए

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उत्तरप्रदेश के गोरखपुर में कोरोना महामारी ने पहले पिता और फिर बेटे को मौत की नींद सुला दी। घर के बाकी सदस्या भी कोरोना से संक्रमित थे। दरवाजे पर लाश पड़ी थी, पर कोई अंतिम संस्कार करने वाला ही नहीं था। ऐसे में दूसरे मोहल्ले के एक व्यक्ति को इस बात की जानकारी हुई और उसने प्रशासन से मदद मांगी। इसके बाद शव वाहन पहुंचा और पिता को मुखाग्नि देने वाले संक्रमित भाई ने राप्ती तट पर शिक्षक का भी अंतिम संस्कार किया।

गोरखपुर शहर के रामजानकी नगर में 12 अप्रैल को रिटायर बिजली कर्मचारी की मौत हो गई। परिवार के मुताबिक उनकी रिपोर्ट निगेटिव थी लेकिन लक्षण कोरोना वाले ही थे। शिक्षक बेटे ने अपनी और दोनों भाइयों व बच्चों की 11 अप्रैल को बीआरडी मेडिकल कॉलेज में जांच कराई जिनकी रिपोर्ट पिता की मौत के एक दिन बाद पॉजिटिव आई। पिता का अंतिम संस्कार करने के बाद परिवार होम आइसोलेशन में चला गया।

अस्पताल पहुंचने से पहले शिक्षक की मौत

गुरुवार की देर रात शिक्षक की हालत बिगड़ गई। शुक्रवार तड़के संक्रमित भाई और भतीजे उन्हें ऑटो से एचएन सिंह चौराहे के पास एक निजी अस्पताल पर ले गए, जहां डॉक्टर ने उन्हें मृत बताया। यहां से उन्हें बीआरडी मेडिकल कॉलेज ले गए जहां कोविड हॉस्पिटल के सामने एंबुलेंस ड्यूटी में तैनात टेक्नीशियन ने भी मृत बताया तब सुबह करीब 7 बजे शव लेकर घर आ गए।

कंधा देने के लिए नहीं थे लोग

दोपहर तक शव घर पर ही पड़ा रहा। कांधा देने के लिए चार लोग भी नहीं मिले। इस बीच कोतवाली क्षेत्र में रहने वाले विजय श्रीवास्तव को इसकी जानकारी हुई। भाई के संक्रमित होने से खुद को आइसोलेट करने वाले विजय ने फोन से प्रशासनिक अफसरों को सूचना दी। इसके बाद दोपहर करीब एक बजे प्रशासन ने शव वाहन के साथ टीम को भेजा तब शव राप्ती तट पर ले जाया गया। बड़े भाई ने ही छोटे भाई का अंतिम संस्कार किया।

शिक्षक की मौत से परिवार सदमे में

शिक्षक के परिवार में तीन महिलाएं यानी तीनों भाइयों की पत्नियां और पांच बच्चों सहित 10 सदस्य हैं। शिक्षक के दो बच्चे हैं बड़ा बेटा करीब दस साल का है। वहीं शिक्षक के बड़े भाई अधिवक्ता हैं तो छोटे भाई एक सरकारी विभाग में नौकरी करते हैं। बड़े भाई को एक बेटा है, वहीं बच्चों में सबसे बड़ा है। छोटे भाई के भी दो बच्चे हैं उनकी उम्र भी दस साल के नीचे ही है। घर में चार दिन में हुई दो मौत के बाद परिवार के लोग सहमे हैं।

तीन दिन में 15 संक्रमितों का अन्तिम संस्कार

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में संक्रमितों की मौत पर नगर निगम को सूचना दी जाती है। उस सूचना पर अन्तिम संस्कार की व्यवस्था राप्ती तट पर की जाती है। संक्रमितों के अन्तिम संस्कार के लिए पांच कर्मचारियों की तैनाती की गई है। तीन दिन में 15 संक्रमितों का अन्तिम संस्कार किया गया है। घर पर किसी संक्रमित की मौत की जानकारी होने पर ही मदद मिलती है।

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