तो आपदा में कैसे करेंगे राहत एंव बचाव कार्य

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जिले में मानसून की दस्तक हो चुकी है।अब कभी भी जिले में तेज वर्षा व मूसलाधार बारिश का दौर शुरू हो सकता है। जिससे जिले के डूब क्षेत्रों में हमेशा की तरह इस वर्ष भी बाढ़ के हालात भी बनेंगे। इस प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए जिला प्रशासन और एसडीईआरएफ टीम की जिम्मेदारी बहुत मायने रखती है।लेकिन देखने ये आ रहा है कि जिला एसडीईआरएफ कार्यालय में सुरक्षा उपकरण तो पर्याप्त संख्या में हैं, लेकिन बल की कमी आज भी बनी हुई है। ऐसे में सवाल उठना लाज़मी है कि यदि बाढ़ जैसे कही हालात बनते है तो फिर इस आपदा में राहत एंव बचाव कार्य कैसे किया जाएगा?, और जब पर्याप्त बल ही नही रहेगा तो महज उपकरणो के सहारे इस आपदा से कैसे निपटा जा सकता है।जिला प्रशासन ने समय रहते इसपर ध्यान देने चाहिए औऱ एसडीईआरएफ कार्यालय में राहत एंव बचाव के लिए पर्याप्त बल की व्यवस्था करनी चाहिए। ताकि किसी भी विषम परिस्थितियों में आने वाली आपदा से होने वाले जान माल के नुकसान को रोका जा सके ।

50 वर्ष की उम्र पार कर चुके जवानों के कांधो में आपदा से निपटने की जिम्मेदारी
बात अगर राहत एंव बचाव के लिए लगने वाले बल की करे तो आपदा से लड़ने के लिए जिले में कुल 129 जवान हैं। इनमें 122 होम गार्ड और 06 एसडीईआरएफ के जवान हैं। इनमें एसडीईआरएफ के तीन जवान दूसरे जिले से हैं। हैरानी की बात है कि जिले में बाढ़ या अन्य प्राकृतिक आपदा से निपटने की जिम्मेदारी युवा जवानों के कंधों पर नहीं बल्कि 50 पार जवानों पर है। जानकारी के अनुसार, 122 होम गार्ड में 95 फीसदी जवानों की उम्र 45 से 50 के पार है। इसके अलावा जवानों के कई पद खाली पड़े है।जिनपर भर्ती नही की गई है।

2009 से नही हुई भर्ती, 207 पद रिक्त
बताया जा रहा है कि राहत एंव बचाव दल में बल की कमी कोई आज की समस्या नही है।बल्कि बालाघाट जिले में कई वर्षों से बल की कमी बनी हुई है।आधिकारिक जानकारी के अनुसार जिले में होम गार्ड के 335 पद स्वीकृत हैं, लेकिन सालों से दो सैकड़ा से अधिक पद खाली पड़े हैं। वर्तमान में होम गार्ड के 207 पद खाली पड़े हैं। इस संबंध में कार्यालय स्तर से बाढ़ जैसे हालातों से निपटने के लिए बल बढ़ाने की मांग कई बार की चुकी है, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर इस दिशा में आज तक कोई कदम नहीं उठाए गए हैं। हालांकि, इसके पीछे शासन स्तर की कमी को वजह माना जा रहा हैं। बता दें कि प्रदेश में वर्ष 2009 से यानी पिछले 15 सालों से होम गार्ड की भर्ती नहीं हुई है।और जब रिक्त पदों पर भर्ती ही नही होंगी तो बल की कमी होना स्वाभाविक है।ऐसे में महज उपकरणो के भरोसे राहत एंव बचाव का कार्य में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

इसी वर्ष 2024 में सेवानिवृत्त होंगे 11 जवान
विभागीय जानकारी के अनुसार, जिले में होम गार्ड के जवानों की कमी का क्रम विगत कई सालों से जारी है। यहां सेवा दे रहे 122 जवानों के सहयोग के लिए एसडीईआरएफ के नौ जवानों (तीन अन्य जिले के) को संलग्न किया गया है, लेकिन चिंताजनक बात ये है कि किसी जवान की सेवानिवृत्ति के बाद उसका पद खाली रहता है। बताया गया कि हर साल छह या इससे अधिक होम गार्ड के जवान सेवानिवृत्त होते हैं।इसी क्रम में इस वर्ष 2024 के अंतिम दिनों में और 11 जवान सेवानिवृत्त हों जाएगे।यानी पहले से बल की कमी से झुझ रहा जिले में बल की और अधिक कमी हो जाएगी।

रिक्त पदों पर नही हुई भर्ती तो जवानों की संख्या हो जाएगी शून्य
एक तो शासन स्तर से होम गार्ड की भर्ती नही हो रही है।ऊपर से हर साल 6 से 7 जवान सेवानिवृत्त हो रहे है।ऐसे में लगातार जवानों की संख्या में कमी देखी जा रही है। बताया जा रहा है कि शासन स्तर से रिक्त पदों पर भर्ती न होने से सेवानिवृत्ति के बाद जवानों के पद रिक्त रह जाते हैं। पदों पर दोबारा नियुक्ति का माध्यम सिर्फ अनुकंपा नियुक्ति ही है। यानी किसी जवान की आकस्मिक मृत्यु पर उसके एक योग्य परिजन को नियुक्ति दी जा रही है।सरकार की यह व्यवस्था देखकर ऐसा लगता है मानो सेवानिवृत्ति के बाद इसी तरह पद रिक्त रह गए, तो आने वाले कुछ सालों में होम गार्ड के जवानों की संख्या शून्य हो जाएगी।तो फिर ऐसे में जिले में बाढ़ या फिर कोई आपदा आने पर राहत एंव बचाव कार्य कैसे किया जाएगा।इसपर ध्यान देकर व्यवस्था बनानी चाहिए।लेकिन इस ओर शासन प्रशासन का कोई ध्यान नही है।

150 गांव चिन्हित, क्यूआरटी व डीआरसी गठित
आपको बताए कि पिछले दिनों प्रशासनिक स्तर पर आपदा प्रबंधन को लेकर हुई बैठक हुई थी जिसमे आपदा से निपटने को लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश जिला प्रशासन द्वारा दिए गए थे। जिसको लेकर एसडीईआरएफ और होम गार्ड के जवान हर आपदा से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।बताया जा रहा है कि करीब चार दिन पहले बैहर के एकलव्य परिसर में ग्रामीणों को आपदा से निपटने या उस स्थिति में बचने संबंधी चर्चा की गई। जिले के करीब 150 गांव बाढ़ प्रभावित है, जहां विशेष तैयारी की गई है। इसके लिए तीन क्यूआरटी (क्विक रिस्पांस टीम) और छह डीआरसी (डिजास्टर रेस्क्यू टीम) गठित की गई है, जो बाढ़ के हालातों से जुड़ी सूचनाओं का आदान-प्रदान कर तत्काल मदद पहुंचाने की काम करेगी। सभी तहसील मुख्यालय और गठित टीमों को सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं।

एक नजर में
*होम गार्ड के 335 पद हैं स्वीकृत, सालों से खाली हैं दो सैकड़ा से अधिक पद
*15 सालों से नई भर्ती न होने से हर साल बढ़ रही रिक्त पदों की संख्या
*335 पदों में 122 पदों पर सेवा दे रहे जवान, इनमें 9 जवान एसडीईआरएफ के भी
*होम गार्ड के 122 जवानों में 95 प्रतिशत की उम्र 45 से 50 उम्र से अधिक
*आपदा प्रबंधन के लिए 3 क्यूआरटी और 6 डीआरसी टीम गठित
*लांजी, बैहर, लालबर्रा, कटंगी, किरनापुर और वारासिवनी में बनाई गई डीआरसी

वीएलसी कैमरे और अंडरवाटर कैमरों की भेजी गई है डिमांड- धुर्वे
इस पूरे मामले को लेकर की गई औपचारिक चर्चा के दौरान एसडीईआरएफ के प्लाटून कमांडर श्याम सिंह धुर्वे ने बताया कि बाढ़ आपदा से निपटने या मानव जीवन बचाने के लिए एसडीईआरएफ के पास लगभग हर तरह के सामान पर्याप्त मात्रा में हैं, लेकिन अलग-अलग आपदाओं जैसे इमारत के धराशायी होने या अत्यधिक बाढ़ के हालात में रात के वक्त राहत पहुंचाने के लिए मुख्यालय को वीएलसी कैमरे और अंडरवाटर कैमरों की मांग भेजी गई है। वर्तमान में लाइफ जैकेट, ड्रिल मशीन, टार्च, बोट, हूटर, नायलान रस्सा, टोपी, गंबूट आदि सुरक्षा उपकरण पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। वर्तमान समय मे जो बल औऱ संसाधन है उसी का उपयोग आपदा में किया जाएगा।जिसकी पूरी तैयारी कल ली गई है।

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