बालाघाट(पदमेश न्यूज़)
आज ही के दिन 1956 को बाबा साहब आंबेडकर ने अपने 5 लाख अनुयायियों के साथ नागपुर की दीक्षाभूमि में बौद्ध धर्म की दीक्षा ग्रहण की थी। जिससे इस दिन को सभी आंबेडकर अनुयायी धम्म चक्र प्रवर्तन दिवस के रूप में मनाते है। इसी कड़ी में सोमवार 14 अक्टूबर को बौध्य् अनुयायियों द्वारा जिला मुख्यालय सहित अन्य तहसील व ग्रामीण अंचलों में धम्म चक्र प्रवर्तन दिवस मनाया गया।
जहा विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन किए गए।जिसकी एक झलक नगर में भी देखने को मिली। जहां बौध्य् अनुयायियों ने आंबेडकर चौक पहुंचकर सर्वप्रथम बाबा साहेब आंबेडकर को नमन कर प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।वहीं मोमबत्ती जलाकर आज के इस दिन को याद करते हुए शीश वंदना की।तो वहीं उन्होंने बाबा साहेब की शान में अमर रहे के गगन चुंबी नारे लगाए। जिसके उपरांत भन्ते जी की प्रमुख उपस्थिति में सार्वजनिक जयंती समारोह समिति महासचिव अधिवक्ता गौरव मेश्राम द्वारा बाबा साहब की 22 प्रतिज्ञाओं का वचन किया गया। जहां उपस्थितजनों ने भी 22 प्रतिज्ञाओं को दोहराते हुए उन प्रतिज्ञाओं को अमल में लाने की शपथ ग्रहण की। वही वक्ताओं द्वारा आज के इस दिन पर प्रकाश डालते हुए बाबा साहेब आंबेडकर के बताए हुए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया गया
जाती उत्पीड़न से मुक्ति का दिन है धम्म चक्र प्रवर्तन दिवस
बताया जा रहा है कि जाति उत्पीड़न से मुक्ति के प्रतिक रूप में धम्म चक्र प्रवर्तन दिवस मनाया जाता है, जो गौतम बुद्ध के बताये गये शांति मार्ग पर चलने की सीख देता है। बताया गया कि बाबा साहब ने 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में अपने 5 लाख अनुयायियों के साथ भंते चंद्रमणि के द्वारा बौद्ध धर्म ग्रहण किया। डॉ. आंबेडकर ने अपने अनुयायियों को संबोधित करते हुए 22 प्रतिज्ञा भी दी थी। 14 अक्टूबर 1956 को अशोका विजयादशमी के दिन ही डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने नागपुर में अपने 5 लाख अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया था। इस दिन को एक उत्सव के रूप में मनाते हैं।
विभिन्न कार्यक्रमों के किए गए आयोजन
प्रतिवर्ष के अनुसार इस वर्ष भी नगर में धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस एक उत्सव के रूप में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।सोमवार को आयोजित कार्यक्रम के दौरान आंबेडकर चौक में माल्यार्पण, ध्यान साधना, प्रतिज्ञा का वाचन सहित कार्यक्रम किए गए तो वही नगर के बूढ़ी समता भवन में पूजा वंदना एंव सामुहिक भोजनदान का आयोजन किया गया। जिसके उपरांत पूज्य भन्ते जी द्वारा उपासक उपासिकाओ को धम्म देशना दी गई।जिसके उपरांत मंचीय कार्यक्रम सहित अन्य आयोजनों के साथ देर शाम कार्यक्रम का समापन किया गया।