समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदा चमकविहीन गेहूं

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सोसायटियों द्वारा समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद की जा रही है, लेकिन चमकविहीन गेहूं की खरीदारी के आदेश नहीं आने से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्र में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण कई किसानों का गेहूं चमकविहीन हो गया। ऐसे गेहूं की खरीदी सोसायटी नहीं कर रही है।

शुक्रवार को सेवा सहकारी संस्था के सनशाइन स्कूल तौलकेंद्र पर गंजपुरा के किसान कालूराम पुत्र रामाजी, गोवर्धन पुत्र लक्ष्‌मण, गणपत पुत्र पूंजा तथा रोलूपीपल्या के किसान अजाबसिंह का गेहूं चमक नहीं होने से रिजेक्ट कर दिया गया। इससे अक्रोशित होकर किसानों ने अपने ट्रैक्टर खरीदी केंद्र के मुख्य गेट पर लगा दिए और हंगामा किया।

किसानों का कहना था कि बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं का दाना पीला हो गया है। अगर गेहूं सड़ा या खराब हो तो हम हमारा गेहूं घर ले जाएंगे। ये तो प्राकृतिक आपदा के कारण पीला हो गया है, इसमें हमारा क्या दोष।

किसानों ने बताया कि मुख्यमंत्री तो किसानों का एक-एक दाना खरीदने का बोल रहे हैं, फिर हमारा गेहूं क्यों नहीं खरीदा जा रहा। किसानों के हंगामे की खबर मिलने पर तहसीलदार जितेंद्र वर्मा खरीदी केंद्र पहुंचे और किसानों को समझाइश देकर गेट पर से ट्रैक्टर हटवाए और खरीदी शुरू करवाई। किसानों को कहा गया कि फिलहाल इस प्रकार के गेहूं खरीदी के आदेश नहीं है, आदेश प्राप्त होते ही खरीदी कर ली जाएगी। तौल केंद्र के उपार्जन प्रभारी देवेंद्रसिंह ने बताया कि आगे से चमकविहीन गेंहू की खरीदी का आदेश नहीं आने के कारण चमकविहीन गेहूं नहीं खरीदा जा रहा है।

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महिला समूह के माध्यम से हो रही गेहूं की खरीदी

बेहरी। काफी जद्दोजहद के बाद आखिरकार बेहरी के किसानों को अलग से समर्थन मूल्य गेहूं उपार्जन केंद्र मिल ही गया। हालांकि गेहूं खरीदी केंद्र गांव से कुछ दूरी पर है। इससे परिवहन के लिए किसानों को अलग से रुपये खर्च करना पड़ रहे हैं। इस बार गेहूं तौलने की व्यवस्था लखवाड़ा गांव की जय मां लक्ष्‌मी स्वयं सहायता समूह ने अपने हाथों में ली है। निर्धारित मापदंड के अनुसार किसानों से गेहूं लिया जा रहा और तुलवाई की जा रही है। किसानों से आग्रह भी किया जा रहा है कि यही गेहूं सहकारी संस्था के माध्यम से गरीब परिवारों के साथ अन्य परिवारों में बंटेगा, इसलिए गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखें। मोबाइल के जरिए किसानों को संदेश भेजकर बुलाया जा रहा है। गेहूं तौलने का कार्य 50 से अधिक हम्माल कर रहे हैं। उन्हें 10 रुपये प्रति क्विंटल की मजदूरी दी जा रही है। इस बार समर्थन मूल्य 1975 रुपये होने से किसानों के चेहरे खिले हुए हैं। स्वयं सहायता समूह की महिलाएं पूरी देखरेख में कागजी कार्रवाई के साथ गेहूं तौलने में सहयोग कर रही है। जय मां लक्ष्‌मी स्वयं सहायता समूह की प्रभारी बरखा झाला, रिंकू झाला, ममता झाला व संजू झाला ने बताया कि उन्हें यह कार्य करते हुए बहुत अच्छा लग रहा है। वे स्वयं किसान परिवार से हैं, इसलिए दाने-दाने की कीमत मालूम है।

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