देश के एक मुस्लिम संगठन ने फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग के खिलाफ केस दर्ज कराया है। इनका आरोप है कि फेसबुक ने अपने कंटेंट रिमूवल पॉलिसी के बारे में जनता को गुमराह किया है। इनके मुताबिक फेसबुक इस बात का झूठा दावा करता है कि उसकी नीतियों का उल्लंघन करने वाली सामग्री को हटाया जाता है, क्योंकि कंपनीअपने बेवसाइट पर मुस्लिम विरोधी और नफरत पैदा करनेवाले कंटेंट को फैलने से नहीं रोक पाई है।
मुस्लिम अधिवक्ताओं द्वारा दायर अपनी शिकायत में कहा गया है कि फेसबुक ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बड़े पैमाने पर मुस्लिम समुदाय से जुड़ी गलत सूचना चलाने की अनुमति दे रखी है, जबकि जुकरबर्ग ने खुद दावा किया था कि फेसबुक किसी भी समुदाय के खिलाफ तय मानकों का उल्लंघन करने वाली पोस्ट को फौरन हटा देता है।
मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि म्यांमार में हुए नरसंहार, भारत में मुस्लिमों की सामूहिक हत्या और श्रीलंका में दंगों और हत्याओं को अंजाम देने के लिए कई बार फेसबुक का इस्तेमाल किया गया। फेसबुक पर इस तरह के वीडियो की लाइल स्ट्रीमिंग हुई और उन्हें सैकड़ों बार फॉरवर्ड किया गया। मुस्लिम विरोधी ऑनलाइन हेट स्पीच के दुनिया भर में विनाशकारी परिणाम हुए हैं ।
उधर, फेसबुक ने इन आरोपों को नकारते हुए साफ किया कि वह अपने प्लेटफॉर्म पर हेट स्पीच की इजाजत नहीं देता है। सोशल मीडिया की इस दिग्गज कंपनी ने एक बयान में कहा कि वह नियमित रूप से विशेषज्ञों के साथ काम करती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि फेसबुक हर किसी के लिए सुरक्षित जगह है । कंपनी ने दावा किया है कि एक AI तकनीक की मदद से हम 97 फीसदी तक हेट स्पीच का पता लगा लेते हैं और उन्हें हटा देते हैं।