उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के फोटो के साथ छेड़छाड़ करने वाले को जमानत का लाभ देने से हाई कोर्ट ने इन्कार कर दिया। कोर्ट ने माना कि योगी मुख्यमंत्री होने के साथ एक साधक भी हैं। आरोपित ने उनके फोटो के साथ छेड़छाड़ कर धार्मिक भावनाएं आहत की हैं। उसे जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता।मामला धार जिले के राजौद पुलिस थाने का है। आरोपित समीर पुत्र महबूब छीपा के खिलाफ पुलिस ने भादवि की धारा 295 ए और आइटी एक्ट की धारा 65 और 67 ए के तहत प्रकरण दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया है। आरोप है कि आरोपित ने उप्र के मुख्यमंत्री के ऋषि-मुनियों के साथ स्नान करते लिए गए फोटो के साथ छेड़छाड़ कर उसे आपत्तिजनक बनाया और फिर उसे इंटरनेट मीडिया पर अपने स्टेटस के रूप में लगा लिया। इस तरह से आरोपित ने लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत करने और भड़काने का काम किया है।आरोपित दिसंबर 2020 के पहले सप्ताह से जेल में है। उसने जमानत के लिए हाई कोर्ट में जमानत याचिका प्रस्तुत की थी। सोमवार को जस्टिस रोहित आर्य के समक्ष इस पर सुनवाई हुई। शासन की तरफ से एडवोकेट आकाश शर्मा ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए तर्क रखा कि योगी आदित्यनाथ के फोटो के साथ छेड़छाड़ कर धार्मिक भावनाएं आहत की गई है। जमानत का लाभ दिया गया तो समाज में अच्छा संदेश नहीं जाएगा। कोर्ट ने तर्कों से सहमत होते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी।
इंटरनेट मीडिया पर संघ पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले को जमानत नहींराष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) को लेकर फेसबुक पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले सतवास के कांग्रेस मंडल अध्यक्ष सत्यनारायण कालिया को सत्र न्यायालय से राहत नहीं मिली। आरोपित ने अग्रिम जमानत के लिए आवेदन प्रस्तुत किया था। सोमवार को कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।गौरतलब है कि कालिया ने अपने फेसबुक अकाउंट पर आरएसएस को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। शिकायत मिलने पर संयोगितागंज थाना पुलिस ने उनके खिलाफ धारा 181 के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया। कालिया ने अग्रिम जमानत के लिए आवेदन प्रस्तुत किया था। सोमवार को न्यायाधीश योगिंदरसिंह के समक्ष इसमें सुनवाई हुई। अभियोजन की तरफ से एजीपी सदाशिव खंडारे ने जमानत का विरोध करते हुए तर्क रखा कि आरोपित ने आपत्तिजनक टिप्पणी कर लोगों की भावनाएं भड़काने का काम किया है। तर्कों से सहमत होते हुए कोर्ट ने जमानत आवेदन खारिज कर दिया।