संदेशखलि और कोलकाता डॉक्टर महिला मर्डर केस के बाद पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग उठ रही है। इन दो घटनाओं के बाद सीएम ममता भी बैकफुट पर हैं जिससे विपक्ष मुख्यत: बीजेपी को भी अटैक का खूब मौका मिला। अब केंद्र सरकार की ओर से इसप जवाब आ गया है। केंद्र से जुड़े सरकारी सूत्रों ने बताया कि पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने के बारे में कोई विचार नहीं है। मणिपुर के बारे में सूत्रों ने कहा कि वहां की स्थिति नियंत्रण में है।
पश्चिम बंगाल में नहीं लगेगा राष्ट्रपति शासन
सरकारी सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार का पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने के बारे में कोई विचार नहीं है। इससे पहले इस महीने की शुरुआत में पालक्काड़ में हुई बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भी कहा था कि वह राज्य में राष्ट्रपति शासन के पक्ष में नहीं है क्योंकि इस तरह की कार्रवाई एक निर्वाचित सरकार को अस्थिर करती है। आरजी कर अस्पताल में भयानक बलात्कार और हत्या के मामले के बाद बंगाल की राजधानी कोलकाता पिछले एक महीने से प्रदर्शन से हिल गया है, जिसमें डॉक्टर और आम जनता आक्रोशित है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले सप्ताह इस्तीफा देने की भी पेशकश की थी,लेकिन फिर भी कोई फायदा होता दिखा नहीं।
मणिपुर और जम्मू-कश्मीर पर क्या केंद्र का रुख
मणिपुर के बारे में सूत्रों ने कहा कि राज्य में तैनात असम राइफल्स को सीआरपीएफ से बदलने के फैसले से नई समस्या उत्पन्न हुई है क्योंकि इससे कुकी समुदाय नाराज हो गया है। तीन दिनों से चल रही बातचीत के बाद असम राइफल्स की एक बटालियन मणिपुर से बाहर निकल गई है और अगले कुछ दिनों में एक और बटालियन बाहर निकलेगी। एक सूत्र ने कहा कि मणिपुर की स्थिति नियंत्रण में है।
जम्मू में आतंकवादी हमलों के बारे में एक सूत्र ने कहा कि इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति ने कुछ शुरुआती चुनौतियां पेश की हैं, लेकिन अब इस क्षेत्र में सुरक्षा प्रतिष्ठानों को पूरा कर लिया गया है और लगभग 30,000 ‘सुभेच्छा रखने वाले’ ग्रामीणों को भी हथियारों में प्रशिक्षण दिया गया है। सूत्र ने कहा कि पिछले महीने में जम्मू में स्थिति नियंत्रण में आ गई थी। आतंकवादियों ने पहले कश्मीर घाटी पर ध्यान केंद्रित किया था और अब अपनी गतिविधियों को जम्मू में स्थानांतरित कर दिया है, लेकिन सरकार तैयार थी।