पीलीभीत: कॉमन फैसिलिटी सेंटर का साथ मिला तो निखर उठी माटी

0

लखनऊ: कॉमन फैसिलिटी सेंटर का साथ मिलने से माटी कला बोर्ड में निखार आ रहा है। पीलीभीत की सीएफसी इसका सबूत है। समिति से जुड़े परिवार चाय के कुल्हड़, लस्सी/ दूध के ग्लास, दही प्याली, रसगुल्ला, रस मलाई कटोरी आदि का उत्पादन कर रहे हैं। यही नहीं, अब कन्नौज और फीरोजाबाद के लिए भी सीएफसी की मंजूरी मिल गई है। शीघ्र ही यहां भी उत्पादन शुरू होगा। प्रदेश में अब तक पीलीभीत, बाराबंकी, रामपुर, कन्नौज एवं फिरोजाबाद में सीएफसी की स्थापना की स्वीकृती दी जा चुकी है। जबकि, रामपुर और बाराबंकी में भी सीएफसी का वर्कशॉप बनकर तैयार है। विद्युत कनेक्शन होने के बाद मशीन/ उपकरण के स्थापना एवं भटठी निर्माण का कार्य शीघ्र प्रारम्भ हो जाएगा।

रामपुर में भी सीएफसी का वर्कशॉप बनकर तैयार है। मशीन/ उपकरण एवं भट्ठी कर निर्माण के लिए निमार्ताओं से दरे मांगी गई हैं। इसी माह मशीन/ उपकरण एवं भट्ठी स्थापना का कार्य पूर्ण होकर उत्पादन शुरू करने का लक्ष्य है। सीएफसी की स्थापना से निकटवर्ती क्षेत्र में निवास करने वाले सभी माटी कला बोर्ड कारीगरों को वहां उपलब्ध उन्नतशील उपकरणों यथा पगमिल, ब्लन्जर जिगर-जॉली गैस भट्ठी का उपयोग कर कम श्रम में सुरक्षित तरीके से अपनी उत्पादन क्षमता और उत्पादन की गुणवत्ता को बेहतर कर सकेंगे। वर्तमान वित्तीय वर्ष में छह और सीएफसी की स्थापना का लक्ष्य है।

एक सीएफसी की लागत 12.5 लाख रुपये होगी

वर्तमान वित्तीय वर्ष में पहले से मौजूद पांच केंद्रों के अलावा छह और की स्थापना का लक्ष्य है। मालूम हो कि करीब दो साल पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर सरकार ने हर मंडल में माटी को जीवंत करने वालों हुनरमंदों की कम श्रम और लागत में उनकी उत्पादन क्षमता और तैयार माल की गुणवत्ता बेहतर करने के लिए प्रदेश के सभी मंडलों में माइक्रो माटी कला कॉमन फैसिलिटी (सीएफसी) की स्थापना का निर्णय लिया था। एक सीएफसी की लागत 12.5 लाख रुपये होगी। इसमें सरकार का अंशदान 10 लाख रुपये का होगा। बाकी संबंधित संस्था या सोसायटी को लगाना होगा। जमीन संस्था या सोसायटी को उपलब्ध होगी। अगर उसके पास जमीन नहीं उपलब्ध है तो सरकार ग्राम सभा की जमीन उपलब्ध कराएगी।

हर सीएफसी में गैस चालित भट्ठी, पगमिल, बिजली से चलने वाले कुम्हारी चॉक, ब्लंजर, जिगर-जोली जैसे मिट्टी को तैयार करने से लेकर उसकी प्रासेसिंग के अन्य उपकरण होंगे। इस तरह उत्पादकों को एक ही छत के नीचे अपने उत्पाद तैयार करने की सारी सुविधाएं मिलेंगी। स्वाभाविक है कि सारी सुविधाएं जब एक साथ मिलेंगी तो हुनरमंद हाथों के जरिए मिट्टी बोल उठेगी।

रोजगार मुहैया कराना है मकसद

मालूम हो कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का निर्देश है कि माटी कला बोर्ड के जरिए अधिक से अधिक लोगों को रोजगार मुहैया कराया जाए। खादी ग्रामोद्योग विभाग ने इसी के अनुसार माटी कला बोर्ड के जरिए इस बाबत अपनी कार्ययोजना तैयार की है। इसमें प्रशिक्षण से लेकर रोजगार तक शामिल हैं। इस क्रम में इस विधा से जुड़े लोगों के उत्पाद की गुणवत्ता सुधारने के लिए उनको प्रशिक्षण दिये जा रहे हैं। मौजूदा वित्तीय वर्ष में 2900 बिजली से चलने वाले चाक प्रशिक्षण प्राप्त हुनरमंदों को दिए जाने का लक्ष्य है। पिछली साल यह लक्ष्य 2700 का था।

अपर प्रमुख सचिव खादी एवं ग्रामोद्योग डॉ. नवनीत सहगल ने बताया, ‘उत्पाद जब गुणवत्ता के होंगे और इनका दाम वाजिब होगा तो बाजार में इनकी अच्छी मांग होगी। इससे इस विधा से जुड़े लोगों के लिए स्थानीय स्तर पर रोजगार के मौके बढ़ेंगे। तालाबों से मिट्टी लेने से उनकी हर साल प्राकृतिक सफायी होगी। गहरा होने से उनके जल संग्रहण की क्षमता बढ़ेगी। सूखे के समय ये किसानों के खेत सींचने के काम आएगी। इन उत्पादों के पालीथिन का विकल्प बनने से पॉलीथिन से होने वाला प्रदूषण भी रुकेगा।’

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here