वारासिवनी अंतर्गत करीब आधा दर्जन से अधिक ग्राम के किसानों के द्वारा 21 मार्च को तहसील कार्यालय वारासिवनी पहुंचकर प्रधानमंत्री भारत सरकार के नाम का ज्ञापन अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को सौप कर धान एवं गेहूं की खरीदी भाजपा के घोषित संकल्प पत्र के अनुसार करने और धान के अंतर की राशि 917 रुपए प्रति क्विंटल किसानों के खाते में देने की मांग की गई। वही मांगे पूरी न होने पर लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने की बात कही गई। ज्ञापन में उल्लेखित है कि मध्य प्रदेश सहित पांच राज्यों के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के द्वारा संकल्प पत्र जारी कर एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा धान का समर्थन मूल्य 3100 रुपए प्रति क्विंटल से खरीदने की गारंटी दी गई थी। किंतु किसानों को 2183 रुपए प्रति क्विंटल से भुगतान किया गया है जिसमें अंतर की राशि 917 रुपए का भुगतान आज तक नहीं हो पाया है। यह वादे के अनुसार अंतर की राशि का भुगतान तत्काल किसानों को किया जाना चाहिए। वहीं रबी फसल गेहूं का समर्थन मूल्य सरकार बनने के बाद 2700 रुपये करने के लिए कहा गया था किंतु गेहूं खरीदी का पंजीयन करवाने जा रहे हैं तो 2275 रुपए प्रति क्विंटल से पंजीयन हो रहा है जो सीधे तौर पर वादा खिलाफी की जा रही है। जबकि हमारा पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में भी यह घोषणा की गई थी जहां पर भुगतान किया जा चुका है ऐसे में मध्य प्रदेश के किसानों के साथ सरकार भेदभाव कर रही है जो किसानों के साथ सीधा धोखा अन्याय और वादा खिलाफी है। ऐसे में केंद्र और प्रदेश सरकार से मांग है कि वह तत्काल किसानों के खाते में अंतर की राशि का भुगतान करें अन्यथा सभी किसान लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने के लिए मजबूर होंगे। इस अवसर पर बड़ी संख्या में कृषकगण मौजूद रहे।
ओलावृष्टि का सर्वे करने की मांग
वहीं किसानों के द्वारा एसडीएम को ज्ञापन सौप कर विकासखंड अंतर्गत विभिन्न ग्रामों में बीते करीब चार दिनों में हुई और असमय बारिश और ओलावृष्टि के कारण रबी की बर्बाद फसल का मुआवजा करने की मांग की गई। ज्ञापन में बताया कि हमारे वारासिवनी विकासखंड अंतर्गत 16 मार्च से मौसम में बदलाव लगातार होता रहा है जिसके कारण बे मौसम बारिश और ओलावृष्टि भारी मात्रा में कुछ जगह पर हुई है। जिससे रबी की फसल में किसानों को नुकसान हुआ है और कई स्थानों पर तो पूरी फसल ही नष्ट हो गई है जिससे किसान अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। ऐसे में शासन से मांग है कि वह किसान के खेत में हुई नुकसानी का सर्वे करवरकर उन्हें उचित मुआवजा सहायता राशि के रूप में जल्द देने के लिए कार्य करें।
किसान लक्ष्मण सिंह पारधी ने पद्मेश से चर्चा में बताया कि हमारी मुख्य मांग है भारत सरकार ने 3100 रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य धान का देने का कहा था वह किसानों को दिया जाना था जबकि हमारे पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में 3100 रुपए प्रति क्विंटल का भुगतान किसानों को किया गया है। मध्य प्रदेश में हमारे साथ छल किया जा रहा है जहां 3100 की जगह 2183 रुपए प्रति क्विंटल से भुगतान किया गया है यह सीधा मोदी की गारंटी का उल्लंघन और वादा खिलाफी की जा रही है। तो हम आगे उनकी गारंटी कैसे मानेंगे अभी गेहूं का 2700 रुपए प्रति क्विंटल कहा गया था किंतु पंजीयन प्रारंभ हुआ तो पता चला कि 2275 रुपए प्रति क्विंटल में पंजीयन हो रहा है तो यह किसानों के साथ धोखा है। इसी के विरोध में हम यहां पर आए हैं हम चाहते हैं कि जो सरकार ने घोषणा करी थी उसको अमल में लेकर पूरा करें।
किसान घनश्याम सहारे ने बताया कि विधानसभा चुनाव के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वादा किया था और उसे अपने संकल्प पत्र में भी भाजपा ने दर्शाया था कि 3100 रुपए प्रति क्विंटल धान का समर्थन मूल्य दिया जाएगा। अब सरकार बन गई है तो अंतर की राशि आज तक हमें नहीं मिली है जिसे हमने इंतजार किया किंतु आचार संहिता लागू हो गई अब हम सरकार को याद दिला रहे हैं कि मोदी की गारंटी ऐसे झूठे वादे क्यों करते हैं। आगे लोकसभा चुनाव है तो हम सभी मतदान का बहिष्कार कर चुनाव का बहिष्कार करेंगे।
किसान नेता मीर हामिद अली ने बताया कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले केंद्र और प्रदेश सरकार के नेतृत्व में घोषणा पत्र में वादा किया था परंतु वह पूरा नहीं किया जिसके अंतर की राशि 917 रुपए देना था जो छत्तीसगढ़ में दे दी गई है। मध्य प्रदेश में नहीं दी गई जबकि दोनों प्रदेश में भाजपा की सरकार है तो ऐसा भेदभाव क्यों हो रहा है 917 रुपये खाते में डालेंगे कहा तो हमने अभी तक देखा आंदोलन नहीं किया जो अभी तक नहीं मिला है। ऐसा यदि रहा तो हम चुनाव का बहिष्कार कर आगे आंदोलन करेंगे ताकि अंतर की राशि हमें मिले हमारे क्षेत्र में रमरमा नांदगांव नगझर सिर्रा सहित अन्य ग्राम है जहां बीते तीन दिनों से बारिश और ओलावृष्टि हुई है जिसमें फसल को नुकसान पहुंचा है। जिसकी जांच करने की भी हमने एसडीएम से मांग करी है तो उन्होंने कहा है कि यह अपने अधिकार का मामला कहा जिसमें जल्द ही जांच कर ली जाएगी। अभी यहां 8 से 10 गांव के किसान है जिसमें अधिकांश ग्राम के सरपंच उपसरपंच है जो किसानों ग्राम का प्रतिनिधित्व करते हैं।