गीत-गजल सुन कभी संजिदा हुए श्रोता तो कभी दोबारा सुनाने की फरमाइश की

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इंदौर, Indore News। संस्था कबीर ओ’ गालिब द्वारा कवि सम्मेलन और मुशायरे का आयोजन ‘शाम-ए-इंदौर’ संतोष सभागार में किया गया। इसमें देश के ख्यात गीतकार और शायरों ने अपनी बेहतरीन रचनाएं पेश कीं। इन रचनाओं ने श्रोताओं की खूब तालियां बटोरी। शाम ढलने के बाद सजी महफिल देर रात तक जमी रही। एक के बाद शायरों ने एक से बढ़कर एक गीतों और गजलों को सुनाया। इस दौरान कभी आयोजन स्थल संजीदा माहौल में डूब गया तो कभी तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई दे रही थी।बुरहानपुर से आए ख्यात शायर नईम अख्तर की शायरी के श्रोता कायल हो गए। उनके एक शेर तेरा होकर जो चल रहा होगा… खुद को कितना बदल रहा होगा, पर देर तक तालियां बजती रहीं। बरेली से आमंत्रित सिया सचदेव के संजीदा शायरी ने भी खूब तारीफ बटोरी। इंदौर के शायरी पसंद श्रोता उनकी अदायगी और गलों के एक बार फिर कायल हो गए। बदायूं से आईं सोनरूपा विशाल ने अपनी खूबसूरत आवाज में कई पुरसुकून गीत और नज्में पेश कीं। उनकी गजल खासतौर पर युवाओं को पसंद आई।

शाजापुर से आए पंकज पलाश ने अपनी चिर-परिचित अंदा में बेहतरीन शायरी सुनाई। देर तक श्रोता उनके मकबूल शेरों की फरमाइश करते रहे। गीतकार अमन अक्षर ने प्रेम गीत से शुरुआत की तो युवाओं ने देर तक तालियां बजाकर उनका अभिवादन किया। उन्होंने अपनी प्रस्तुतियों से महिफल लूट ली। मुशायरे का संचालन कर रहे पंकज दीक्षित ने भावुक होकर जब मां पर संवेदनशील कविता सुनाई तो सामने बैठे श्रोताओं की आंखे भी नम हो गई। देश विदेश में अपनी प्रस्तुति दे चुके रचनाकारों के अनुसार शाम-ए- इंदौर का अनुभव यादगार हो गया।

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