मध्य प्रदेश के कितने युवाओं को रोजगार दिया, नहीं बता पाए टीसीएस और इंफोसिस के अफसर

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राज्य शासन ने देश की नामी साफ्टवेयर कंपनियों टीसीएस और इंफोसिस के लिए पलक पांवड़े बिछाकर सुपर कारिडोर पर कुल 230 एकड़ जमीन तो दे दी, लेकिन यह कंपनियां लीज की अपनी शर्त को पूरा नहीं कर पाई। इन कंपनियों के लिए शर्त थी कि वे इंदौर के अपने कैम्पस में 50 प्रतिशत रोजगार मध्यप्रदेश के साफ्टवेयर इंजीनियर, आइटी व अाइटीइएस प्रोफेशनल्स को देगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो पाया। जब प्रशासन ने टीसीएस और इंफोसिस कंपनियों के अधिकारियों से पूछा कि मध्यप्रदेश के कितने युवाओं को रोजगार दिया है, तो दोनों कंपनियों के अधिकारी इसका कोई जवाब नहीं दे पाए।

दोनों कंपनियों ने पुणे और हैदराबाद के अपने कैम्पस में पहले से काम कर रहे मध्यप्रदेश के इंजीनियरों को इंदौर ट्रांसफर कर दिया। बहरहाल इंदौर जिला प्रशासन के साथ बैठक में दोनों कंपनियों के अधिकारियों ने रोजगार के अपने-अपने आंकड़े पेश किए। टीसीएस के अधिकारी संजय सिन्हा ने बताया कि 4500 इंजीनियरों और आइटी प्रोफेशनल को नियुक्त किया। इसी तरह इंफोसिस के अधिकारी सुधांशु ने जानकारी कि 672 इंजीनियरों को नियुक्ति दी है।

इस पर कलेक्टर मनीषसिंह ने कंपनियों के अधिकारियों ने पूछा कि यह बताओ कि मध्यप्रदेश के कितने हैं? इसमें अन्य कैम्पस से स्थानांतरित किए गए हुए कितने हैं? और सीधी नियुक्ति वाले कितने हैं? पुणे और हैदराबाद से ट्रांसफर करके आप इसे यहां दिए रोजगार में नहीं जोड़ सकते। इस पर दोनों कंपनियों के अधिकारियों ने इतना ही कहा कि यह डाटा अभी हमारे पास तैयार नहीं है, यह संकलित करना पड़ेगा। कंपनियों को 23 जुलाई तक का समय दिया गया है।

पांच साल पहले शुरू किया काम, अब कोरोना का बहाना

टीसीएस और इंफोसिस को सुपर कारिडोर पर आइडीए की ओर से नौ साल पहले 2012 में जमीन दी गई थी। शासकीय अनुमतियां मिलते-मिलते 2014 आ गया। इसके बाद कंपनियों ने निर्माण शुरू किया और करीब पांच साल पहले इनके कैम्पस शुरू हो गए। पांच साल बाद भी इन कंपनियों ने मध्यप्रदेश के 50 प्रतिशत युवाओं को रोजगार देने के अपने वादे को पूरा नहीं किया। बताया जाता है कि कंपनी के अधिकारी कोरोना महामारी का बहाना बना रहे हैं, लेकिन देखा जाए तो कोरोना संक्रमण सवा-डेढ़ साल पहले सामने आया। इससे पहले यह कंपनियां क्या कर रही थीं?

जमीन के सर्वे के लिए पहुंची आइडीए की टीम लौटी

टीसीएस और इंफोसिस को प्रशासन की ओर से दिए गए नोटिस के बाद मंगलवार को आइडीए की टीम सुपर कारिडोर पर इन कंपनियों के परिसर में जमीन के सर्वे के लिए पहुंची। बताया जाता है कि यह टीम बिना सर्वे किए लौट आई।

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