मध्य प्रदेश शासन के निर्देशानुसार समर्थन मूल्य पर किसानों से गेहूं चना सरसों रबी की फसल के रूप में खरीदी कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। इस दौरान देखने में आ रहा है कि वारासिवनी विकासखंड के गेहूं खरीदी केंद्र में एक महीने से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी किसान गेहूं लेकर नहीं पहुंच रहे हैं। जिसका कारण वह शासन के द्वारा बोले गए समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं करना बता रहे हैं तो वही किसान अब सीधे बाजार में समर्थन मूल्य से अधिक मूल्य पर गेहूं विक्रय कर लाभ कमा रहे हैं। इसमें शासन के नियम भी बाधा बन रहे हैं कि वह किसान चाहते हुए भी अपनी उपज समिति को नहीं दे पा रहा है क्योंकि वे मौसम की बारिश और ओलावृष्टि का प्रभाव गेहूं की उपज पर स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है ऐसे में निर्धारित नियमों पर उपज टिक नहीं पा रही है ऐसे में किसान बाजार में ही गेहूं का विक्रय करना उचित समझा रहा है। जहां उसे नकद भुगतान तत्काल प्राप्त हो पा रहा है यदि वह सोसाइटी में उक्त गेहूं यदि देता है तो 15 दिन से एक महीना तक उसे भुगतान के लिए राह देखनी होगी। बता दे की वर्तमान में किसान बाजार में 2500 से 2700 रुपए प्रति क्विंटल की दर से गेहूं दे रहा है। जो समिति के माध्यम से घोषित किया गया समर्थन मूल्य देने की मांग शासन से कर रहे हैं ताकि उन्हें सोसाइटी में नहीं तो बाजार में ही संभावित उचित मूल्य प्राप्त हो सके।
एक माह से खाली पड़ा है खरीदी केंद्र
वारासिवनी क्षेत्र का गेहूं खरीदी केंद्र मध्य प्रदेश वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक्स कॉरपोरेशन के वारा स्थित वेयरहाउस को बनाया गया है। जहां पर वृताकार सेवा सहकारी समिति वारासिवनी के द्वारा खरीदी केंद्र की स्थापना कर समस्त प्रकार की तैयारी पूर्ण कर ली गई है जहां गेहूं खरीदी समर्थन मूल्य पर करने के लिए किसान की राह देखी जा रही है। यह खरीदी कार्य 1 अप्रैल से प्रारंभ कर दिया गया है जो अब अपने अंतिम दौर में चल रहा है परंतु एक महीने से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी किसी किसान के द्वारा खरीदी केंद्र में उपस्थित होकर अपनी गेहूं की उपज नहीं दी गई है। ऐसे में खरीदी केंद्र में अधिकारी कर्मचारी किसान का इंतजार कर रहे हैं की शासन के निर्धारित मापदंड के अनुसार खरीदी की जा सके।
खरीदी के नियम है सख्त
किसानों के द्वारा बताया जा रहा है कि शासन के द्वारा गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीदी करने के लिए खरीदी केंद्र बना दिया गया है जहां पर गेहूं की क्वालिटी के लिए अधिकारी अप्वॉइंट किया गया है। वही खरीदी किए जाने को लेकर विभिन्न प्रकार के नियम जैसे गेहूं की चमक रंगत गेहूं में कचरा गेहूं का दाना सहित अनेक प्रकार के नियम बना दिए गए हैं जिस पर फिक्स बैठने वाले ही गेहूं की खरीदी की जानी है। ऐसे में किसान खरीदी केंद्र गेहूं ले जाने से बच रहे हैं क्योंकि विकासखंड स्तर पर एक खरीदी केंद्र बनाया गया है और 25 किलोमीटर दूरी से यदि कोई गेहूं आता है तो रिजेक्ट होने पर उसे ले जाना होगा जो शासन खरीदी नहीं करेगा ऐसे में उसे दुगना किराया भाड़ा लगेगा और फसल बिकेगी भी नहीं। जिसके कारण किसान समिति की जगह बाजार जाना ज्यादा उचित समझा रहा है कि यदि अच्छा गेहूं है तो 2700 और नहीं तो 2500 के करीब प्रति क्विंटल गेहूं बिक तो जाएगा।
किसान अमिताभ गौतम ने बताया कि गेहूं का मूल्य मार्केट में 25 से 26 सौ रुपये क्विंटल बिक रहा है सोसाइटी में रेट कम है जिससे किसान को फर्क पड़ रहा है लोग बाजार में जा रहे हैं अभी जो बारिश और ओलावृष्टि हुई है उससे फर्क पड़ा है जिस अनुपात में किसान को उपज होना था वह नहीं हो पाई है। इसमें हम देख रहे हैं कि बाजार में नकद पेमेंट हो रहा है सोसाइटी में 10 दिन से ज्यादा का समय लग जाता है। वहीं सरकार ने चुनाव के दौरान 2700 रुपए प्रति क्विंटल गेहूं का देने के लिए बोला था परंतु आज 2200 रुपए प्रति क्विंटल ही मिल रहा है ऐसे में किसान महंगे दाम की ओर आकर्षित हो रहा है जिससे हर कोई चाह रहा है कि उसकी उपज का बड़ा हुआ रेट मिले। हम यही शासन से मांग कर रहे हैं कि अगली बार हमें 3 हजार रुपए प्रति क्विंटल गेहूं का मूल्य दिया जाना चाहिए जिससे कि हमें लाभ हो सके।
किसान गजेंद्र गौतम ने बताया कि सोसाइटी में गेहूं लाने में किसानों को समस्या हो रही है क्योंकि शासन के द्वारा समिति के माध्यम से विभिन्न नियम लगाकर खरीदी की जा रही है। बाजार में आसानी से 2700 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है यह मूल्य देने के लिए शासन ने भी तो कहा था परंतु आज तक दिया नहीं है। अभी जो समर्थन मूल्य करीब 2200 एवं बोनस मिलकर 2400 रुपए प्रति क्विंटल हो रहा है। इसमें मूल समस्या ग्रेडिंग की है सोसाइटी में जो भी व्यक्ति जा रहा है उसकी ग्रेडिंग नहीं हो रही है क्योंकि नियम बहुत से है जबकि किसान का गेहूं खेत में खुले में लगा होता है जो अभी बारिश और ओलावृष्टि से फर्क पड़ा है हम चाहते हैं कि 2700 रुपए प्रति क्विंटल यदि समिति हमारी उपज खरीदेगा तो हम उन्हें उपज देंगे। परंतु इसमें यह भी देख रहे हैं कि एक माह से अधिक का समय भुगतान में लग जाता है बाजार में तत्काल भुगतान हो रहा है।
खरीदी प्रभारी रविंद्र पारधी ने बताया कि किसान गेहूं बेचने के लिए समिति के माध्यम से स्लॉट बुक कर रहा है किंतु किसान को घरों में ही गेहूं का अच्छा मूल्य मिल जा रहा है जिससे वह घर से ही गेंहू दे रहा है और वह समिति नहीं आ रहा है। जबकि हमारे द्वारा केंद्र में पूर्ण व्यवस्था कर ली गई है शासन अपने समर्थन मूल्य और बोनस देने के लिए तैयार है परंतु किसान 25 से 2700 रुपए प्रति क्विंटल में बाजार में दे रहा है। हमारे यहां 1 अप्रैल से खरीदी चालू हुई है परंतु अभी तक कोई किसान नहीं आया है।