22 फीट गहरे कुएं में मौत से दोस्ती, चंद पैसों के लिए दूसरों को रोमांचित करने वाले इन स्टंटबाज की कहानी है दर्दनाक

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बचपन में आप मेला घूमने गए होंगे तब आपका मौत का कुंआ से राबता जरूर पड़ा होगा। छोटे शहरों में तो यह चाव से देखा जाता है। एक कुंए के बराबर गहरी खाई सी दिखने वाली जगह में जान जोखिम में डालने वाले कई स्टंटबाजों को इसके अंदर करतब दिखाते खूब देखा गया है। समय के साथ विलुप्त होते इस खतरनाक खेल की चर्चा एक बार फिर शुरू हुई है। वजह बना है भारतीय रैपर हनुमानकिंड उर्फ सूराज चेरुकाट का वायरल संगीत वीडियो। उनका यह नया गाना देश ही नहीं विदेश में भी खूब पसंद किया जा रहा है। ‘मौत के कुंए’ में कार और बाइक से स्टंट दिखाने वाले लोग चंद पैसों के लिए खुद की जिंदगी भी दांव पर लगा देते हैं। लोगों के मनोरंजन से ज्यादा इस जोखिमभरे स्टंट पर चर्चा हो रही है।

‘हमारा वीडियो बनाने वाले लोग फेमस हो जाते हैं’

पश्चिम बंगाल, मालदा के मूल निवासी रुबेल शेख एक दशक से अधिक समय से इस खतरे के बीच खुद को झोंक रहे हैं। उन्होंने बताया कि महीने में 18,000-20,000 रुपये के लिए, हम दूसरों के मनोरंजन के लिए रोजाना अपनी जान जोखिम में डालते हैं। हमारे स्टंट के साथ वीडियो शूट करने वाले वायरल हो जाते हैं। क्या हम भी वीडियो बना सकते हैं और अपना दर्शक बढ़ा सकते हैं? लेकिन हमें पता नहीं है कि कैसे एडिट करना है। रुबेल शेख अपने पांच लोगों के परिवार में अकेले कमाने वाले सदस्य हैं।

मौत का कुंआ के बारे में जान लीजिए

मौत का कुंआ बनाने वाले 28 वर्षीय व्यक्ति पहले इसे नट और बोल्ट का उपयोग कर जोड़ता है और उसके बाद वह मारुति 800 कारों और पुरानी यामाहा और पल्सर बाइकों के साथ इसे पूरे गोले पर चलाता है। मौत का कुंआ जिसे अंग्रेजी में Well Of Death भी कहा जाता है। यह एक साहसी मोटरसाइकिल या कार स्टंट प्रदर्शन है जो 20वीं शताब्दी की शुरुआत में अमेरिकी कार्निवल साइडशो में शुरू हुआ था। कार और बाइक सवार गुरुत्वाकर्षण को धता बताते हुए उस कुंए के अंदर चारों तरफ तेज स्पीड में अपने वाहनों को घुमाते हैं। देखने में लोगों को तो यह काफी मनोरंजक लगता है, लेकिन होता काफी जोखिमभरा है। स्टंट दिखाने वाले लोग कभी कार के बाहर, तो कभी हैंडल छोड़कर चलते हैं। यह पूरी तरह से अपकेंद्रीय बल (Centrifugal Force) द्वारा सस्पेंडेड रहता है।

जान का जोखिम भी है
आजकल इंटरनेट के दर्शकों के लिए दिल दहला देने वाले व्हीलीज़ करने वाले मोटरसाइकिल प्रभावकारों(Influencers) की भीड़ के बावजूद, ‘मौत का कुआं’ प्रदर्शन अभी भी छोटे शहरों और गांवों में चल रहा है। दुर्घटनाएं आम हैं। अप्रैल में, एक स्टंटमैन और उसकी महिला सहयोगी घायल हो गए थे जब कार का टायर बीच में पंक्चर हो गया था। पिछले साल, पश्चिम बंगाल के आसनसोल में एक मेले में एक बाइक स्टंटमैन का नियंत्रण खो जाने और दर्शकों में घुसने के बाद लगभग नौ लोग घायल हो गए थे।

साजन सेठ बताते हैं कि एक बार जब आप कुएं के अंदर अपना वाहन शुरू करते हैं, तो केवल खतरा होता है। लेकिन हम स्टंट करते समय हेलमेट नहीं पहन सकते। सवारों को बातचीत करने और सहयोग करने के लिए बगल में और पीछे देखना होता है। कोई न कोई हाथ या पैर तोड़ता ही रहता है। हम इसे ठीक करने के लिए इलाज की भी सुविधा भी देते हैं। साजन सेठ ने 15 साल के पेशे के बाद ‘मौत का कुआं’ कलाकारों की एक छोटी कंपनी शुरू की। वह अब पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर जिले के रायगंज में एक मेले में डेरा डाले हुए हैं और 20 दर्शकों को मारुति 800 कुएं में सवार कर मनोरंजन करने की योजना बना रहे हैं। दो अन्य बाइकर कुछ और ड्रामा जोड़ने के लिए अपनी सीटों के किनारे से फिसल जाएंगे। उन्होंने कहा कि जब हम नए थे, हमें भयंकर चक्कर आता था।

बड़े शहरों में यह स्टंट नहीं होता

सेठ कहते हैं कि अब, हम इसके अभ्यस्त हो गए हैं। बढ़ती ईंधन लागत और मामूली टिकट की कीमतों का मतलब है कि लाभ मार्जिन कम है। मारुति और यामाहा RX100 के पुराने मॉडल को साइलेंसर रहित कर दिया जाता है ताकि गर्जना दर्शकों के लिए रोमांच बढ़ाती रहे। लोग अक्सर सवारों के लिए कुएं के किनारे से नोटों को पकड़ाने के लिए लटक भी जाते हैं। बाइकों की हाई पिच वाली आवाज हमें बड़े शहरों में प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं देती। 46 वर्षीय अनिल खान कहते हैंयह एक प्रमुख मुद्दा है कि हमें छोटे शहरों और गांवों तक सीमित रखा गया है, हालांकि हम बेहतर अवसर चाहते हैं।

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