पंजाब सरकार को केंद्र सरकार का खत लेकिन गुस्से में किसान, क्या है वजह

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कृषि कानून के खिलाफ किसानों को दिल्ली के बॉर्डर पर प्रदर्शन जारी है, किसान संगठनों का कहना है कि कानून की जबतक वापसी नहीं होगी, धरना जारी रहेगा। इन सबके बीच कुछ इस तरह की जानकारी सामने आई कि किसान संगठन अपने आंदोलन को जिंदा रखने के लिए पंजाब में किसानों को ड्रग्स मुहैया करा रहे हैं। इस जानकारी के बाद किसान नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार उनके आंदोलन को बदनाम करने की साजिश रच रही है।

केंद्र सरकार के खत से किसान नाराज
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस संबंध में केंद्र मे एक खत लिखकर पंजाब सरकार से उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा जो नशा देकर प्रवासी मजदूरों से लंबे समय तक काम कराते हैं। बताया जा रहा है कि बीएसएफ ने इस संबंध में केंद्र सरकार को रिपोर्ट पेश की थी। बीएसएफ ने बताया था कि 2019-20 के दौरान करीब 58 बांडेड लेबर पंजाब के सीमावर्ती जिलों में पाए गए थे जो मानसिक तौर पर रोगी नजर आ रहे थे, उन लोगों से जब पूछा गया कि वो लोग यहां क्या करने आए हैं तो सही ढंग से जवाब नहीं दे सके।

किसान आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश
इस संबंध में 17 मार्च को पंजाब के चीफ सेक्रेटरी, डीजीपी को गृह मंत्रालय की तरफ से खत भेजा गया था। यह बात अलग है कि बीकेयू डाकुंडा के महासचिव  महासचिव और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC) के सदस्य जगमोहन सिंह ने केंद्र पर “किसानों की छवि खराब” करने की कोशिश करने का आरोप लगाया।एनडीए के पूर्व सहयोगी, शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) ने कहा कि यह पत्र “राज्य के किसानों को बदनाम करने के उद्देश्य से हास्यास्पद धारणा पर आधारित था।

बीएसएफ की कपोलकल्पित कहानी
बीएसएफ द्वारा गुरदासपुर, अमृतसर, फिरोजपुर और अबोहर के सीमावर्ती क्षेत्रों से 58 लोगों को गिरफ्तारकरने का जिक्र करते हुए, केंद्र के पत्र में कहा गया है: “पूछताछ के दौरान, यह उभरा कि उनमें से ज्यादातर या तो मानसिक रूप से चुनौती थे या थे मन की एक कमजोर स्थिति में और पंजाब के सीमावर्ती गांवों में किसानों के साथ बंधुआ मजदूर के रूप में काम कर रहा है। वे व्यक्ति गरीब परिवार की पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखते हैं और बिहार और उत्तर प्रदेश के दूरदराज के इलाकों से आते हैं। ”

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