न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं की शासकीय खरीदी के तहत इंदौर जिले में 34 हजार से अधिक किसानों को उनकी उपज का भुगतान कर दिया गया है। इन किसानों को 684.15 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। कुछ तकनीकी और व्यावहारिक समस्याओं के कारण केवल आठ किसान बाकी हैं, जिनको भुगतान नहीं किया जा सका है। इसमें एक किसान की मौत हो जाने से उनकी जगह परिवार के किसी अन्य व्यक्ति का बैंक खाता लिया जाएगा। इसी तरह कुछ किसानों के बैंक खाते या आइएफएससी कोड में गलती है। दो-चार किसानों के बैंक कर्ज की वसूली का मुद्दा भी है।
गत वर्ष बारिश के कारण करीब 25 हजार क्विंटल गेहूं खरीदी केंद्रों पर खराब हो गया था। पर इस बार प्रशासन, खाद्य विभाग, मध्यप्रदेश सहकारी विपणन संघ (मार्कफेड), नागरिक आपूर्ति निगम और सहकारिता विभाग के बेहतर प्रबंधन के कारण केंद्रों पर खरीदा गया गेहूं सुरक्षित बचा रहा। मार्कफेड के जिला प्रबंधक अर्पित तिवारी ने बताया कि इंदौर जिले में इस वर्ष तीन लाख 40 हजार 495 टन गेहूं खरीदा गया है। पिछले वर्ष तीन लाख 78 हजार टन खरीदा गया था। इस बार कम गेहूं आने का एक कारण यह भी है कि गेहूं की फसल के दौरान मौसम प्रतिकूल रहा।
इस कारण इंदौर सहित अन्य जिलों में भी गेहूं की उत्पादकता कम रही। गेहूं खरीदी के लिए इंदौर जिले में 96 केंद्र बनाए गए थे, जबकि संभाग के आठों जिलों में कुल 447 खरीदी केंद्र बनाए गए थे। खरीदी के दौरान किसानों की सुविधा के साथ ही परिवहन पर भी उतना ही ध्यान रखा। इस वजह से खरीदी के साथ ही हर केंद्र से गेहूं लगातार उठाया जाता रहा और सुरक्षित गोदामों पर पहुंचाया जाता रहा। इस बार परिवहन ठेकेदार ने ट्रकों की संख्या भी बढ़ाई थी।