ओमिक्रॉन का नया सब-वेरिएंट बदल रहा रूप, ला सकता है कोरोना की चौथी लहर : विशेषज्ञ

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देश में इन दिनों कोरोना संक्रमण के मामलों में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है। रोज 15 हजार के आसपास नए कोरोना मरीज बढ़ रहे हैं। कोई नहीं कह सकता कि ये आंकड़े बढ़ेंगे या घटेंगे। इस बीच बीए.5 वेरिएंट के सामने आने के बाद एक्सपर्ट की चिंताएं भी बढ़ने लगी हैं। आशंका जताई जा रही है कि ओमीक्रोन के बीए. के तीन सब वेरिएंट्स बीए.2.74 और बीए.2.75 और बीए.2.76 मिलकर कोरोना की चौथी लहर ला सकते हैं। एक दो महीने की बातें भी होने लगी हैं। हालांकि अभी ये सिर्फ अटकलबाजी है। फिलहाल एक्सपर्ट वैक्सीनों की मिक्सिंग पर जोर दे रहे हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के सीनियर रिसर्च फेलो शाहिद जमील ने बताया कि बीए.2.75 के कई म्यूटेशन हुए हैं। इसमें दो बिल्कुल अलग हैं जो पैरेंट स्ट्रेन बीए.2 में नहीं मिलते हैं। ये दोनों म्यूटेशंस हैं जी446एस और आर493क्यू।
जमील का मानना है कि जी446एस मौजूदा वैक्सीनों से बनी एंटीबॉडीज को चकमा दे सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे में जो लोग अब तक सुरक्षित समझे जा रहे हैं उन्हें भी संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। दूसरा यूनिक म्यूटेशन आर493क्यू है जो एंजाइम (एसीई2 रिसेप्टर) से वायरस के संपर्क में आने की संभावना को बढ़ा सकता है। एंजाइम आमतौर पर आंतों, किडनी और दूसरे अंगों के सेल से जुड़ा होता है। ये एंजाइम सार्स-कोव-2 वायरस के लिए रिसेप्टर के तौर पर काम करते हैं। जमील समझाते हैं कि म्यूटेशंस पेयर में होते हैं।
वह बताते हैं कि नंबर अभी कम हैं लेकिन लगातार बढ़ोतरी से साफ है कि फिर से दोबारा संक्रमण शुरू हो सकता है और महामारी जारी रह सकती है। जोखिम वाले लोगों को बूस्टर डोज की वकालत करते हुए जमील ने कहा कि भारत को अपनी बूस्टर पॉलिसी को अपडेट करने के लिए साइंस का इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने बताया कि क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर की एक स्टडी से मिले हाल के डेटा से पता चलता है कि कोवैक्सीन के बाद कोविशील्ड देना एक बेहतर कॉम्बिनेशन है लेकिन भारत में दो डोज ले चुके लोगों को तीसरी डोज के तौर पर भी कोवैक्सीन दी जा रही है।
उन्होंने कहा कि ग्लोबल डेटा से भी पता चलता है कि कोविशील्ड (एस्ट्राजेनेका) की दो डोज के बाद तीसरी डोज देने के बजाय प्रोटीन वैक्सीन का असर ज्यादा होता है। बीए.2.75 के सैंपल्स कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और जर्मनी समेत दुनियाभर के कई देशों में पाए गए हैं। भारत सरकार को इसकी मौजूदगी के बारे में पुष्टि करना अभी बाकी है। विशेषज्ञों को शक है कि भारत में यह नया वेरिएंट भी मौजूद है। यूपी, दिल्ली, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में इसके कुछ मामले सामने आए हैं। भारतीय साइंटिस्ट लिपि ठुकराल कहती हैं कि अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि वैक्सीनों की मिक्सिंग करने से बेहतर इम्युनिटी मिलेगी। वह कहती हैं कि वेरिएंट के इम्युनिटी को चकमा देने पर स्टडी के लिए और डेटा की जरूरत है। एक्सपर्ट कह रहे हैं कि ये दूसरी जेनरेशन का म्यूटेशन है। सीएमसी वेल्लोर के प्रोफेसर गगनदीप कांग ने कहा कि बीए.2.75 को दूसरी पीढ़ी का कहा जा सकता है क्योंकि यह बीए.2 से आया है। विशेषज्ञ इस बात को लेकर जरूर चिंतित है कि लापरवाही ठीक नहीं है। अगर स्ट्रेन फैलता है और लोग सार्वजनिक स्थानों पर मास्क नहीं पहनते हैं तो खतरा बढ़ सकता है।

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