वारासिवनी खैरलांजी क्षेत्र में 6 जनवरी की सुबह से ही मौसम में करवट देखी गई इस दौरान हल्की बूंदाबांदी का भी दौर चला रहा जो दोपहर के बाद बंद हो गया परंतु आसमान में बदली के बादल छाए रहे। इस मौसम का प्रभाव सेवा सहकारी समितियां के द्वारा समर्थन मूल्य पर शासन के निर्देश पर की जा रही धान खरीदी पर देखने मिला जहां सुबह से ही अधिकारी कर्मचारी खरीदे गए धान को तो वही किसान केंद्र में लाई हुई अपनी उपज को बचाने में जुटे रहे। जिसमे आनन फानन में केंद्र एवं किसान के द्वारा त्रिपाल पन्नी खरीद कर उपज को सुरक्षित करने का कार्य किया जाता रहा परंतु केंद्र में किसानों की खरीदी गई उपज को सुरक्षित करने में असमर्थ नजर आए। जिसका कारण समय पर परिवहन ना किया जाना बताया जा रहा है ऐसे में क्षमता से ज्यादा धान खरीदी प्रांगण में रखा हुआ है यदि वह खरीदा हुआ धान खराब हो जाता है तो परिवहन के बाद सोसायटी को समस्या होगी। इसके लिए किसानों के द्वारा जिला प्रशासन से सर्व सुविधा केंद्र में किये जाने की मांग की जा रही है।
72 घंटे में परिवहन का है नियम
प्राप्त जानकारी के अनुसार शासन के द्वारा किसानों से जो उपज खरीदी की जा रही है उसमें 72 घंटे के अंदर खरीदी गई उपज के परिवहन किए जाने का नियम है। यह नियम का वारासिवनी खैरलांजी क्षेत्र के किसी भी समिति के खरीदी केंद्र में केवल वेयरहाउस में खरीदी करने वाली समितियां को छोड़कर कहीं भी पालन नहीं किया जा रहा है जिसका कारण है कि समितियां में हजारों क्विंटल धान बोरियों में पड़ा हुआ है। जिसके परिवहन में लापरवाही बढ़ती जा रही है जिसके कारण 6 जून को सुबह हुई बूंदाबांदी में उपज को गीला होना पड़ा जिससे उसमें नमी बनी हुई है। ऐसे में कुछ खरीदी केंद्रों में किसानों को धान देने और समिति को खरीदी करने में भी समस्या उत्पन्न हो रही है जिसमें किसानों के द्वारा जल्द परिवहन करने की मांग की जा रही है।
मौसम से बंद रही खरीदी
शनिवार की सुबह से ही मौसम में नमी बनी रही एवं आसमान में बदली छाई रही जिसके कारण वारासिवनी खैरलांजी क्षेत्र के वह खरीदी केंद्र जहां खुले आसमान के नीचे खरीदी की जा रही है उनमें खरीदी कार्य बंद रहा। इस दौरान किसानों को अपनी उपज ढाक कर पूरा दिन गुजरना पड़ा ऐसे में 7 जनवरी को भी मौसम की स्थिति स्पष्ट नहीं है जिन्हें अपनी उपज की सुरक्षा के लिए ठंड में रात गुजर कर पहरेदारी करनी पड़ रही है।
राजेंद्र उइके ने पद्मेश से चर्चा में बताया कि शुक्रवार को समिति धान देने के लिए आए थे किंतु बारदाना नहीं मिले पूरा खरीदा हुआ धान बगरा हुआ था उसको उठाने में समिति लगी थी। यहां जो खरीदी हो रही है उसमें समस्या तो है और दिक्कत भी हो रही है परंतु मौसम से ज्यादा दिक्कत है बारिश का देखते हुए खरीदे गए धान को समिति ने एकत्रित किया है। हम कही भी चौकीदार के भरोसे अपनी उपज को छोड़कर जाते हैं। जो धान खरीदी हुआ है उसे ढाकने की व्यवस्था है ऐसा बोलते हैं किंतु आधा धन खुला हुआ है ढकने के लिए केवल बोल रहे हैं और चिल्ला रहे हैं कर कोई नहीं रहा है। हम अपने स्वयं के लिए पाल लेकर आए हैं जिससे अपनी उपज को सुरक्षित किया है हम यही चाहते हैं कि जल्द खरीदी हो जाए ताकि हम अपनी धान देकर सुरक्षित हो सके।
विपिन चौहान ने बताया कि मौसम खराब है खरीदा हुआ धान खुला पड़ा है जिसका परिवहन नहीं हो पाया है यहां पर त्रिपाल की केवल व्यवस्था है जिसमें किसान का और समिति का भी धान खुला हुआ है। धान पर्याप्त रूप से सुरक्षित नहीं कर पाए यदि समय रहते परिवहन हो जाता तो किसान और समिति की धान सुरक्षित हो सकती थी परंतु समस्या समिति के साथ भी है और इसमें साधनों का भी अभाव बना हुआ है। चौकीदार है परंतु पानी आने पर वह छत ढूंढेगा इस दौरान आजू-बाजू से कहीं किसी का धान चोरी हुआ तो किसान को तो नुकसान ही है हम चाहते हैं कि परिवहन हो 2 जनवरी से हड़ताल समाप्त हुई है। परिवहन ना होना जिला प्रशासन की लापरवाही लग रही है।