वारासिवनी न्यायालय अधिवक्ता संघ के द्वारा उच्च न्यायालय के जारी आदेश समय सीमा में प्रकरणों के निराकरण की बाध्यता के विरोध में 20 मार्च को न्यायालयीन कार्य से विरत रहते हुए विरोध प्रदर्शन किया गया।जिसके तहत अधिवक्ता संघ ने 25 मार्च तक यानी 6 दिवस तक न्यायालयीन कार्य से विरत रहते हुए विरोध करने का निर्णय लिया। जिसमें अधिवक्ता संघ के द्वारा न्यायालय परिसर में कार्यरत टाइपिस्ट व अन्य लोगों से हड़ताल को समर्थन करने की अपील की गयी। जिसके बाद बार रूम में आवश्यक बैठक आयोजित की गई जिसमें हड़ताल को लेकर रूपरेखा तैयार की गई तत्पश्चात समस्त अधिवक्ताओं के द्वारा न्यायालय परिसर व अंदर मार्च निकालकर जमकर नारेबाजी की गई। इस दौरान ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगों को ध्यानाकर्षण भी कराया गया। इस अवसर पर अधिवक्ता संघ अध्यक्ष शाहिद मिया खान संदीप नगपुरे राजेन्द्र दुबे पुष्पेंद्र कलिहारी अवलेश बिसेन केएल पंचतिलक आनंद बिसेन मुकेश अग्रवाल रामकिशोर बिसेन रोशनलाल तुरकर स्वप्निल डोंगरे नारायण प्रसाद तिवारी अनूप चौबे रमेश ब्रम्हे शशिभूषण देशमुख अरुण कुमार मेश्राम मनोज शर्मा जाहिद हुसैन श्रीमती अनामिका शुक्ला श्रीमती वंदना बनोटे हेमंत कुमार देशमुख सहित बड़ी संख्या में अधिवक्ता गण मौजूद रहे।
विभिन्न मांगों का विशेष न्यायाधीश को सौंपा ज्ञापन
अधिवक्ता संघ वारासिवनी के द्वारा श्रीमान मुख्य न्यायाधिपति उच्च न्यायालय जबलपुर के नाम का ज्ञापन विशेष न्यायाधीश पास्को एक्ट शिवलाल केवट को सौंपकर सूचीबद्ध 25 प्रकरणों के शीघ्र निराकरण हेतु उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा जो प्रशासनिक आदेश दिया गया है उसमे पुनर्विचार करने एवं वारासिवनी व्यवहार न्यायालय में व्यवहार न्यायाधीश वर्ग 1 की नियुक्ति शीघ्र किये जाने के संबंध मैं मांग की गई। ज्ञापन में उल्लेखित है कि माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर म.प्र. के द्वारा 25 प्रकरणों को सूचीबद्ध कर समस्त न्यायालयों में शीघ्र निराकरण के लिए प्रेषित किया गया है जिससे अधिवक्ताओं एवं पक्षकारों का अहित हो रहा है और पक्षकारों को पर्याप्त न्याय नहीं मिल पा रहा है। इसके पूर्व भी 07 फरवरी 2023 को श्रीमान मुख्य न्यायाधिपति उच्च न्यायालय जबलपुर म.प्र. को ज्ञापन दिया गया था परंतु आज दिनांक तक अधिवक्ताओं की मांग पूरी नहीं की गई जिस बात को लेकर वारासिवनी अधिवक्ता संघ के समस्त अधिवक्तागण 20 मार्च 2023 से निरंतर 25 मार्च 2023 तक न्यायालयीन कार्य से विरत रहेंगे। क्योकि अधिनस्थ न्यायालयों द्वारा इन सूचीबद्ध 25 प्रकरणों में दिन प्रतिदिन की पेशिया दी जा रही है जिससे पक्षकारों के साथ-साथ अधिवक्तागणों को भी अत्यधिक परेशानी उठानी पड़ रही है और जो न्याय प्राप्त होना है वह न्याय पक्षकारों को प्राप्त नहीं हो पा रहा है। अतः इस व्यवस्था को शीघ्र समाप्त किया जाना अत्यंत आवश्यक है। वही व्यवहार न्यायालय वारासिवनी में व्यवहार न्यायाधीश वर्ग 1 का पद लगभग पिछले डेढ़ वर्षों से रिक्त है जिसके कारण वर्ग 1 के अधिकार से संबंधित न्यायालय में प्रकरणों के लिए अन्य स्थान पर जाकर प्रकरणों को पेश करना पड़ रहा है जिसके कारण अधिवक्ता एवं पक्षकारों को समय एवं आर्थिक नुकसान हो रहा है इस संबंध में पूर्व में ज्ञापन दिया गया था परंतु निराकरण नहीं हुआ। जबकि व्यवहार न्यायाधीश के चार पद है ऐसी परिस्थिति में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी का पद आवश्यक है जिससे आबकारी एवं अन्य वारासिवनी में सुने जाने के लिए व्यवस्था करे। यदि अधिवक्तागणों की उक्त मांगों का शीघ्र निराकरण नही हुआ तो अधिवक्ता संघ वाससिवनी भविष्य में लंबे समय तक न्यायालयीन कार्य से विरत रहने का निर्णय ले सकता है।
अधिवक्ता संघ अध्यक्ष शाहिद मियां खान ने बताया कि स्थानीय ज़िले सहित आसपास के जिलों में लगातार समय सीमा में प्रकरणों के निराकरण की बाध्यता को लेकर अधिवक्ताओं में आक्रोश व्याप्त है जिसके चलते अलग अलग जिलो के बार एसोसिएशन ने अपने अपने स्तर पर कार्य से विरत रहकर विरोध दर्ज कराते हुए अपना संदेश दिया है। वर्तमान में ये विरोध प्रदर्शन 6 दिन के लिए नियत है इन छः दिनों में कुछ नही होता है तो प्रदेश स्तर पर एक साथ विरोध प्रदर्शन की कजरचा शुरू है एक या दो दिन में मध्य प्रदेश स्टेट बार कौंसिल भी इसमें शामिल हो सकता है। श्री खान ने बताया कि 3 माह में 25 प्रकरण का निपटारा करने का आदेश है ऐसे में पक्षकार तैयार नहीं होता वकील अपनी तैयारी नहीं कर पाता है पेशी पर पेशी दी जाती है जिसके कारण जिस प्रकार से न्याय पक्षकारों को मिलना है वह नहीं मिल पाता है। जिसके लिए उच्च न्यायालय से मांग है कि वहां अपने इस आदेश पर पुनर्विचार कर हमारी मांगे पूर्ण करें। वही श्री खाने ने समस्त अधिवक्ताओं से अपील की है कि वो इस विरोध प्रदर्शन में भाग लेकर आन्दोलन को सफल बनायें।