तेहरान/मॉस्को: ईरान के परमाणु स्थलों पर बमबारी ने दुनिया को एक भीषण संघर्ष में धकेल दिया है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप के ईरान पर हमले के फैसले के बाद अब दुनिया एक ऐसे संघर्ष में फंस सकती है, जहां कई देश पूरी तरह से तबाह हो सकते हैं। घायल ईरान ने लड़ाई जारी रखने की कसम खाई है और इस समय वह अपने सहयोगियों से पश्चिम के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान कर रहा है। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची इस वक्त रूस में हैं और उन्होंने कहा है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बेहद ‘गंभीर और महत्वपूर्ण’ चर्चा होने वाली है। इसमें अमेरिका की तरफ से मिलने वाले ‘आम चुनौतियों’ पर चर्चा की जाएगी। रूस ने ईरानी परमाणु सुविधाओं पर अमेरिकी हमलों की निंदा की है और संयुक्त राष्ट्र में रूसी राजदूत ने कहा है कि अमेरिका ने “भानुमती का पिटारा खोल दिया है”। इसके अलावा सबसे खतरनाक बयान राष्ट्रपति पुतिन के बेहद करीबी दिमित्री मेदवेदेव ने दिया है।
दिमित्री मेदवेदेव ने दावा किया है कि “अमेरिका की कार्रवाई के बाद अब कई देश ईरान को परमाणु हथियार देने के लिए तैयार हैं।” दिमित्री मेदवेदेव, रूसी सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष हैं और वो रूस के राष्ट्रपति रह चुके हैं। वो पुतिन की कोर टीम के सदस्य हैं इसलिए उनकी बातों की गंभीरता को समझा जा सकता है। ऐसे में माना जा रहा है कि आज जब ईरान के विदेश मत्री रूसी राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे तो पुतिन की तरफ से मजबूत समर्थन मिल सकता है। हालांकि ईरान को रूस से सैन्य सहायता या फिर फौरन परमाणु बम तो नहीं ही मिलेंगे, लेकिन भविश्य में ऐसी संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि जियो-पॉलिटिकल हालात तेजी से बिगड़ते जा रहे हैं।
विनाशक विश्वयुद्ध से बस एक कदम दूर दुनिया?
रूस और ईरान के बीच एक रणनीतिक साझेदारी समझौता है, लेकिन यह एक रक्षा समझौता नहीं है और मास्को को तेहरान के लिए सैन्य सहायता प्रदान करने के लिए बाध्य नहीं करता है। पिछले हफ्ते पुतिन ने दावा किया था कि ईरान ने मास्को से सैन्य सहायता का अनुरोध नहीं किया था और उनकी टिप्पणियों से यह स्पष्ट था कि उन्हें कोई भी सहायता प्रदान करने की कोई जल्दी नहीं थी। ईरान के साथ दिक्कत ये है कि रूस के इजरायल के साथ भी अच्छे संबंध हैं। रूस में भारी संख्या में यहूती रहते हैं और यहूदियों की ताकत और राजनीतिक प्रभाव हर जगह काफी ज्यादा रहता है। इसलिए पुतिन के लिए फैसला लेना आसान नहीं होगा। लेकिन अगर ईरान की स्थिति खराब होती है और अमेरिका खुलकर ईरान के खिलाफ पूर्ण युद्ध में उतर जाता है तो हालात किस दिशा में जाएंगे, कहा नहीं जा सकता है।