ट्रेेनों में सफर करना न सिर्फ सुगम बल्कि सस्ता भी है, लेकिन इन दिनों इन सुविधाओं का भी कोई असर नहीं हो रहा है। हालात यह है कि जिन ट्रेनों में पैर रखने तक की जगह नहीं होती थी, उनमें अब 80 फीसदी सीटें खाली हैं। जिन ट्रेनों में सफर करने के लिए यात्रियों को दो से तीन माह पहले टिकट लेनी होती थी, उनमें रवाना होने के चंद घंटे पहले ही आरक्षित सीट आराम से मिल जा रही है।
दरअसल कोरोना काल में ट्रेनों को यात्री नहीं मिल रहे हैं। हालात यह है कि जबलपुर से रवाना होने वाली जबलपुर—इंदौर ओवरनाइट, जबलपुर—हजरत निजामुद्दीन गोंडवाना और गरीब रथ ट्रेनें जैसी ट्रेनें भी इन दिनों खाली ही चल रही हैं। इनमें बमुश्किल से 10 से 20 फीसदी यात्री सफर कर रहे हैं।
शक्तिपुंज छोड़, सब ट्रेनें खाली: वर्तमान में जबलपुर रेल मंडल से चलने वाली ट्रेनों की संख्या लगभग 13 से 14 हैं। इनमें अधिकांश जबलपुर से ही रवाना होती हैं और बाकी रीवा से, लेकिन इन ट्रेनों में यदि जबलपुर—हावड़ा शक्तिपुंज एक्सप्रेस को छोड़ दिया जाए तो बाकी ट्रेनें खाली ही चल रही हैं। जबकि शक्तिपुंज एक्सप्रेस में वर्तमान में यह स्थिति है कि इनमें लंबी वेटिंग लगी है। जबलपुर रेल मंडल को यह वेटिंग क्लीयर करने के लिए अतिरिक्त कोच भी लगाने पड़ रहे हैं। आंकड़ों की बात करें तो हर दिन इस ट्रेन में 110 फीसदी यात्री टिकट ले रहे हैं यानि 100 सीटों की तुलना में 110 फीसदी टिकट बुक हो रही हैं।
क्या है मुख्य वजह: रेलवे के जानकार बताते हैं कि इस बार रेलवे ने ट्रेनों का संचालन बंद नहीं किया है, जबकि पिछले साल कोरोना काल के दौरान रेलवे ने 22 मार्च से ही ट्रेनों का संचालन बंद कर दिया था। उस वक्त जिसे जहां पहंुचना था, वह नहीं जा पाए, लेकिन इस बार समय पर सभी अपनी गंतव्य तक पहुंच गए हैं। इस बार रेलवे ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह ट्रेनों का संचालन बंद नहीं कर रहा, जिससे यात्रियों में हड़बड़ाहट नहीं है और न ही वे पेनिक हो रहे हैं। वहीं कोरोना काल में यात्री, वे ही यात्रा कर रहे हैं, जो अति अवाश्यक है। अनावश्यक यात्रा से वे परहेज कर रहे हैं। यही वजह है कि इस बार ट्रेनों में भीड कम हैै।