ट्रंप-तालिबान डील में छिपी है अफगान सरकार गिरने की कहानी ! अमेरिकी जनरल बताया

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वाशिंगटन : अफगानिस्‍तान में तालिबान के कब्‍जे के बाद से अमेरिका में भी मंथन चल रहा है कि क्‍या बीते 20 वर्षों का युद्ध निरर्थक रहा, जब अमेरिका की अगुवाई में NATO की सेना ने इस मुल्‍क पर धावा बोल तालिबान को सत्‍ता से बेदखल कर दिया था और बाद में यहां नागरिक सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्‍त हुआ। अब विदेशी सैनिक अफगानिस्‍तान से जा चुके हैं तो अमेरिका में इसकी समीक्षा भी हो रही है कि आखिर अशरफ गनी की अगुवाई वाली सरकार के यूं आनन-फानन में गिरने की वजह क्‍या रही? अमेरिका के एक शीर्ष सैन्‍य अधिकारी ने इसके लिए डोनाल्‍ड ट्रंप के कार्यकाल में तालिबान के साथ हुए समझौते को जिम्‍मेदार ठहराया है।

‘टूट गया अफगान बलों का मनोबल’

यूएस सेंट्रल कमांड के मुखिया के तौर पर अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी की अगुवाई करने वाले जनरल फ्रैंक मैकेंजी के अनुसार, अफगानिस्‍तान की सत्‍ता में तालिबान की वापसी और अशरफ गनी सरकार के धराशायी होने के तार अमेरिका और तालिबान के बीच कतर की राजधानी दोहा में 29 फरवरी, 2020 को हुए समझौते से जुड़ते हैं, जिसने अफगानिस्‍तान की तत्‍कालीन नागरिक सरकार और वहां की सेना को मनोबल तोड़कर रख दिया, जो दिन-रात तालिबान के खिलाफ जंग में जुटे हुए थे।

FILE - In this Aug. 30, 2021, file photo Gen. Frank McKenzie, Commander of U.S. Central Command, appears on screen as he speaks from MacDill Air Force Base, in Tampa, Fla., as he speaks about Afghanistan during a virtual briefing moderated by Pentagon spokesman John Kirby at the Pentagon in Washington. The Pentagon retreated from its defense of a drone strike that killed multiple civilians in Afghanistan last month, announcing Friday, Sept. 17, that an internal review revealed that only civilians were killed in the attack, not an Islamic State extremist as first believed. (AP Photo/Manuel Balce Ceneta, File)

मैकेंजी के अनुसार, इस समझौते ने अफगानिस्‍तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी की तारीख तय कर दी थी, जिसका सीधा संदेश अफगान बलों में यह गया कि उसके बाद उन्‍हें विदेशी सैनिकों की मदद नहीं मिलेगी। बाद में 20 जनवरी, 2021 को जो बाइडेन अमेरिका के राष्‍ट्रपति बने, लेकिन उन्‍होंने भी अफगानिस्‍तान से सैन्‍य बलों की वापासी के अपने पूर्ववर्ती डोनाल्‍ड ट्रंप के फैसले को बरकरार रखा। फर्क सिर्फ इतना हुआ कि सैनिकों की वापसी की तारीख मई से बढ़कर 31 अगस्‍त, 2021 हो गई।

‘सैन्‍य कटौती ताबूत में दूसरी कील’

अमेरिकी जनरल के अनुसार, राष्‍ट्रपति बाइडेन की इसी साल अप्रैल में की गई वह घोषणा दोहा समझौते के बाद ‘ताबूत में दूसरी कील’ की तरह थी, जिसमें उन्‍होंने अफगानिस्‍तान में तैनात सैनिकों की संख्‍या घटाने का आदेश दिया था। मैकेंजी के अनुसार, उन्‍होंने पहले ही आगाह किया था कि अफगानिस्‍तान में अगर अमेरिकी सैनिकों की संख्‍या 2,500 से कम की जाती है तो यह तालिबान के लिए बड़ा मौका होगा और अफगान सरकार व सेना गिर जाएगी।

Marine Gen. Frank McKenzie, top U.S. commander for the Middle East, left, arrives in Riyadh, Saudi Arabia, on Sunday, May 23, 2201. “The Middle East writ broadly is an area of intense competition between the great powers. And I think that as we adjust our posture in the region, Russia and China will be looking very closely to see if a vacuum opens that they can exploit,” he says. (AP Photo/Lolita Baldor)

उन्‍होंने कहा कि वह अगस्‍त में अमेरिकी सैनिकों की पूर्ण वापसी के बजाय अफगानिस्‍तान में करीब ढाई हजार सैनिकों की मौजूदगी बनाए रखने के पक्ष में थे, लेकिन प्रशासन ने इसके उलट फैसला लिया, जिसका नतीजा 15 अगस्‍त को काबुल पर कब्‍जे के बाद अफगानिस्‍तान में मची अफरातफरी के रूप में सामने आया। एक तरफ विदेशी सुरक्षा बल अपने नागरिकों को अफगानिस्‍तान से बाहर निकालने में जुटे थे, वहीं हजारों अफगान नागरिक उनसे अपनी जान बचाने की भीख मांग रहे थे। इसी दौरान काबुल एयरपोर्ट पर एक आत्‍मघाती हमला भी हुआ, जिसमें 182 लोगों की जान चली गई, जबकि बड़ी संख्‍या में लोग जख्‍मी हुए।

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