डायबिटीज मरीज को बेहोशी के बाद जब होश आया तो जीवन में अंधेरा छा गया

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राजीव उपाध्याय, जबलपुर। दूसरों के घरों में झाड़ू-पोछा लगाकर अपने बच्चों के जीवन को रोशन का सपना देखने वाली रश्मि के जीवन में ही अंधकार छा गया। वह ऐसी बेहोश हुई कि जब होश में आई तो उसे दिखाई देना बंद हो गया। चिकित्सकों ने जांच की तो पता चला कि शुगर बढ़ने के कारण यह हुआ है। मधुमेह के कारण आंखों के पर्दे की नलिका डेमेज हो जाती हैं और उस पर सूजन आ जाती है। जिससे खून के धब्बे पर्दे पर बन जाने से दिखाई देना बंद हो जाता है। इसका इलाज तुरंत यदि नहीं किया जाए तो मरीज हमेशा के लिए अंधत्व का शिकार हो सकता है।

रश्मि नामदेव (37) बमुश्किल अपना घर चला पाती है। वह दूसरों के घरों में काम करती है। बच्चों के लिए उपवास रखना वह नहीं भूलती। पांच दिन पहले उसने उपवास रखा। काम करके जब वह घर वापस लौटी तो बेहोश हो गई। उसके बेटा और पति ने उसके चेहरे पर पानी के छींटे मारे कुछ समय बाद जब वह होश में आई तो वह चीख उठी कि उसे कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। उसके बेटा और पति घबरा गए और उसे लेकर मेडिकल अस्पताल गए वहां जांच के बाद पता चला कि उसका शुगर लेवल बढ़ा है और ब्लड प्रेशर भी बढ़ा है। शुगर बढ़ने से उसकी यह स्थिति हुई है।

– रश्मि को इंजेक्शन लगाए जाएंगे। उसे हर माह एक इंजेक्शन लगेगा। इस तरह से तीन माह तक इंजेक्शन लगेंगे। निजी अस्पताल में इसका खर्च 15000 रुपये प्रति इंजेक्शन है। इसके अलावा लेजर से भी उपचार होता है। दोनों उपचार मेडिकल अस्पताल में निश्शुल्क होते हैं। इससे उसकी रोशनी वापस आने की उम्मीद है।

एक्सपर्ट की राय :

जागरूकता जरूरी

यह घटना सभी को सचेत करती है कि मधुमेह को लेकर लापरवाही न बरतें। समय-समय पर जांच कराएं। शुगर लेवल अनियंत्रित होता है तो इसका असर सबसे पहले आंख पर पड़ता है। आंख के पर्दे पर रक्तवाहिकाएं होती हैं जोकि बहुत नाजुक होती हैं। शुगर लेवल बढ़ने से यह फट जाती हैं और खून के धब्बे पर्दे पर रह जाते हैं जिससे मरीज को दिखाई देना बंद हो जाती है। इस तरह के केस में तुरंत इलाज जरूरी है। इसमें इंजेक्शन लगाए जाते हैं इसके अलावा लेजर से भी उपचार किया जाता है। जिससे मरीज ठीक हो जाता है। यदि इलाज में देरी की तो मरीज अंधत्व का शिकार हो सकता है। यह रेटीनोपैथी की एडवांस स्टेज कहलाती है।

डॉ. नवनीत सक्सेना, अध्यक्ष नेत्ररोग विभाग मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल जबलपुर

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