दो महीने से बन्द पोषण पुनर्वास केंद्र,प्रसूक्ति वार्ड में किया गया तब्दील

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देश भर के विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा कोरोना की तीसरी संभावित लहर के विषय में लगातार सूचनाएं दी जा रही है। इस दौरान मुख्य रूप से बच्चों को बहुत अधिक सुरक्षित रहने की सलाह दी जा रही है। साथ ही बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए जाने पर जोर दिया जा रहा है। लेकिन उससे अलग जिला अस्पताल स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र को बीते 2 महीने से बंद कर दिया गया है और उसे महिला वार्ड में तब्दील कर दिया गया।

इस विषय पर जब हमने जिला अस्पताल स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र बन्द होने के विषय मे शिशु रोग विशेषज्ञ से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण के दौरान लगातार मरीजों की संख्या बढ़ रही थी। इसे देखते हुए पोषण पुनर्वास केंद्र बंद कर दिया गया है। अस्पताल के भीतर प्रतिवर्ष डेढ़ सैकड़ा से कुपोषित बच्चे केंद्र में भर्ती होते हैं और ठीक हो कर वापस जाते हैं।

हालाकि कोरोना की वजह से जिले के अन्य पोषण पुनर्वास केंद्रों में भी बच्चों की संख्या नहीं के बराबर रही। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि पिछले 2 महीने के दौरान लगभग 200 कुपोषित बच्चे अस्पताल तक नहीं पहुंचे और उनके परिजनों को उचित समय पर पोषण आहार जानकारी नहीं मिल सकती।

चिकित्सक स्वयं बता रहे हैं कि पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती करने के अलावा, वजन और बच्चे की स्थिति को देखते हुए पोषण आहार के लिए चार्ट दिया जाता है जिसके अनुसार बच्चों को आगामी दिनों में खाद्यान्न और दवाइयां दी जा सके।

यह तो हुई पोषण पुनर्वास केंद्र बंद होने की बात शिशु रोग विशेषज्ञ स्वयं कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए बेहतर खानपान रखने की जानकारी दे रहे है। वे बता रहे हैं कि जो बच्चे कुपोषित होंगे उनमें वायरल लोड अधिक होगा और उन्हें परेशानी अधिक होगी।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार ही जिले के भीतर 7 पोषण पुनर्वास केंद्र में प्रतिवर्ष 7 सैकड़ा से अधिक कुपोषित बच्चे भर्ती होते हैं। ऐसे बहुत से बच्चे है जो निजी अस्पतालों में इलाज करवाते या ऐसे बहुत से परिजन है जिन्हें बच्चो के कुपोषित होने की जानकारी तक नही होती।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार ही जिले के भीतर 7 पोषण पुनर्वास केंद्र में प्रतिवर्ष 7 सैकड़ा से अधिक कुपोषित बच्चे भर्ती होते हैं। ऐसे बहुत से बच्चे है जो निजी अस्पतालों में इलाज करवाते या ऐसे बहुत से परिजन है जिन्हें बच्चो के कुपोषित होने की जानकारी तक नही होती।

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