बदल गए नेपाली PM के सुर, ओली बोले-भारत के साथ कुछ ‘गलतफहमियां’ थीं जो दूर हो गईं

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नई दिल्ली : सीमा विवाद (Border Dispute) को लेकर भारत के खिलाफ कई बार आक्रामक बयान देने वाले नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) के सुर में नरमी आ गई है। ओली ने कहा है कि भारत (India) के साथ जो समस्याएं थीं उनका उन्होंने ‘समाधान’ कर लिया है। समझा जाता है कि ओली के इस बयान के बाद नेपाल (Nepal) में राजनीतिक बहस तेज हो सकती है। बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में ओली (Oli) ने कहा, ‘हां, एक समय गलतफहमियां पैदा हो गई थीं लेकिन अब इनका समधाना कर लिया गया है। हमें अतीत की गलतफहमियों को पकड़कर नहीं रहना चाहिम। बल्कि भविष्य को देखते हुए आगे बढ़ना चाहिए। हमें एक सकारात्मक संबंध को आगे बढ़ाना है।’

भारत-नेपाल संबंधों को सराहा
साक्षात्कार में नेपाल के पीएम ने कहा कि दोनों देशों के बीच बहुत गहरा संबंध है और दोनों सांस्कृतिक रूप से एक-दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं। स्थानीय मीडिया के मुताबिक उन्होंने कहा, ‘पड़ोसी देशों में प्रेम और तकरार दोनों होती है। क्या चिली और अर्जेंटीना के लोगों में समस्या नहीं है?’  उन्होंने कहा,  ‘मैं प्रधानमंत्री से अनुरोध करना चाहूंगा। मैं चाहता हूं कि मौजूदा समय और हमारे मित्रवत संबंधों को देखते हुए भारत नेपाल की पूरी तरह से मदद करे। इसका यह मतलब नहीं है कि नेपाल को भारत से मदद नहीं मिली है। इस समय नेपाल को कोरोना के टीकों की जरूरत है। इसके लिए नेपाल अपने पड़ोसी देश और सभी देसों से अनुरोध कर रहा है।’

मदद के लिए भारत और चीन दोनों को धन्यवाद 
ओली ने कहा, ‘जहां से भी टीका उपलब्ध हो, चाहे वह भारत, चीन, अमेरिका अथवा ब्रिटेन से मिले, हमें लेना चाहिए। टीके पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। कोरोना टीके के लिए मैं अपने दोनों पड़ोसी देशों को धन्यवाद देना चाहता हूं। चीन ने हमें 1.8 मिलियन वैक्सीन दी है जबकि नई दिल्ली ने हमें 2.1 मिलयन टीके का डोज भेजा। हमें दोनों देशों ने मदद की है। दोनों देश हमें मेडिकल उपकरण भी भेज रहे हैं। इसलिए, दोनों देशों को धन्यवाद।’

नेपाल पर है राजनीतिक संकट 
नेपाल इन दिनों राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है। ओली ने एक चौंकाने वाला कदम उठाते हुए अपनी कैबिनेट में बदलाव किया है। उन्होंने डिप्टी प्रधानमंत्री इश्वर पोखरियाल और विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली को हटा दिया है। नेपाल में इस समय तीन डिप्टी प्रधानमंत्री राजेंद्र महतो, रघुवीर महासेठ और विष्णु प्रसाद पौडेल हैं। राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने अल्पमत सरकार की अगुवाई कर रहे प्रधानमंत्री ओली की सलाह पर 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा को पांच महीनों में दूसरी बार 22 मई को भंग कर दिया था और 12 तथा 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की है। 

भारत और नेपाल के बीच इलाकों को लेकर हुआ विवाद
दरअसल, पिछले साल मई के महीने में चीन के साथ सीमा विवाद शुरू होने के बाद नेपाल ने अपने तेवर कड़े कर लिए थे। कालापानी, लिपुलेख एवं लिंपियाधुरा को अपना इलाका बताते हुए नेपाल ने इन इलाकों को अपने नए नक्शे में शामिल कर लिया। नेपाल के इस नए नक्शे पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई। इसके बाद नेपाली पीएम ओली के बयानों से दोनों देशों के रिश्तों में और तल्खी आ गई। हालांकि, अब जाकर दोनों देशों के संबंधों में फिर सुधार आया है। कोरोना संकट के दौरान भारत ने पड़ोसी देश की काफी मदद की है।  

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