सोलह महीने से सिनेमाघरों पर ताला, हजारों कर्मचारी मुश्किल में

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कोरोना संक्रमण के बाद पिछले 16 महीने से सिंगल स्क्रीन और मल्टीप्लेक्स सिनेमा हॉल बंद होने से इससे जुड़े करीब 10 हजार लोग बेरोजगार हो गए हैं। उनमें से कुछ दूसरा काम कर रहे हैं, जबकि अन्य अपनी बचत और किसी से कर्ज लेकर गुजारा कर रहे हैं। सभी को सिनेमाघरों के खुलने के इंतजार है। उम्मीद है कि जुलाई-अगस्त तक ऐसा हो सकता है। बता दें कि कोविड-19 के प्रकोप के बाद पिछले साल मार्च में राज्य में सिनेमाघरों को बंद करने का आदेश दिया गया था। उन्हें बीच में करीब दो महीने के लिए खोलने की अनुमति दी गई, लेकिन नई फिल्मों के रिलीज न होने के कारण अधिकांश सिनेमाघरों का परिचालन शुरू नहीं किया गया था। नई फिल्म के प्रचार-प्रसार का काम संभालने वाले 32 साल के राजेंद्र मालवीय अब एक दूध डेयरी में काम कर रहे हैं। वह हर महीने लगभग 25,000 रुपये कमाते थे। राजेंद्र कुमार सोनी, राज टॉकीज, भोपाल के प्रबंधक थे। वे कंप्यूटर से फिल्मों की प्रतियां बनाने और उन्हें विभिन्न सिनेमाघरों में आपूर्ति करने का काम भी संभालते थे। इससे उन्हें खासी आमदनी होती थी। 

सभी के हाल बेहाल

शमीम खान (40) वर्ष, 10 साल तक भारत टॉकीज में गेटकीपर के रूप में कार्यरत थे। आखिरी बार उन्हें अपना पूरा वेतन अप्रैल 2020 में मिला था। वे कहते हैं कि इस साल मार्च में मेरे मालिक ने मुझे नौकरी से निकाल दिया। उन्हें बताया गया है कि सिनेमाघरों के फिर से खुलने के बाद उनके बकाया का निपटान किया जाएगा। फिलहाल शमीम अपने भाई की बैटरी की दुकान पर काम कर रहे हैं। भारत टॉकीज के मैनेजर रहे अफसर खान का कहना है कि थिएटर में 10-12 लोग काम करते थे, लेकिन सभी को नौकरी से निकाल दिया गया है। मुझे कुछ महीने वेतन का आधा भुगतान किया गया था। बाद में उसे भी रोक दिया गया। सिनेमा मालिकों और वितरकों के बीच मध्यस्थता करने वाले 50 वर्षीय आलम नूर का कहना है कि वह 1989 से इस क्षेत्र में थे। वह अब अपनी बचत से गुजर-बसर रहे हैं।

सभी के हाल बेहाल

शमीम खान (40) वर्ष, 10 साल तक भारत टॉकीज में गेटकीपर के रूप में कार्यरत थे। आखिरी बार उन्हें अपना पूरा वेतन अप्रैल 2020 में मिला था। वे कहते हैं कि इस साल मार्च में मेरे मालिक ने मुझे नौकरी से निकाल दिया। उन्हें बताया गया है कि सिनेमाघरों के फिर से खुलने के बाद उनके बकाया का निपटान किया जाएगा। फिलहाल शमीम अपने भाई की बैटरी की दुकान पर काम कर रहे हैं। भारत टॉकीज के मैनेजर रहे अफसर खान का कहना है कि थिएटर में 10-12 लोग काम करते थे, लेकिन सभी को नौकरी से निकाल दिया गया है। मुझे कुछ महीने वेतन का आधा भुगतान किया गया था। बाद में उसे भी रोक दिया गया। सिनेमा मालिकों और वितरकों के बीच मध्यस्थता करने वाले 50 वर्षीय आलम नूर का कहना है कि वह 1989 से इस क्षेत्र में थे। वह अब अपनी बचत से गुजर-बसर रहे हैं।

ज्योति टॉकीज के मैनेजर राकेश नरूला ने बताया कि हमारे यहां कुल आठ स्थायी कर्मचारी हैं। मुझ समेत सभी को गुजर-बसर के लिए राशि मिल रही है। सभी अपने-अपने घरों में हैं। जब तक पूरे देश में सिनेमाहॉल का संचालन बहाल नहीं हो जाता, तब तक स्थिति नहीं सुधरने वाली है। क्योंकि देशभर में टॉकीज खुलने के बाद ही नई फिल्में रिलीज होंगी। राज्य में 258 और शहर में आठ सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर हैं। इसी तरह राज्य में करीब 50 मल्टीप्लेक्स हैं, जिनमें से छह भोपाल में हैं। सिंगल स्क्रीन में 10 से 15 और एक मल्टीप्लेक्स में 20 से 25 कर्मचारी कार्य करते हैं। शत-प्रतिशत कर्मचारियों की नौकरी चली गई है। इस प्रकार इनकी संख्या पांच हजार के आसपास होनी चाहिए।

जब हमारे पास कोई आय नहीं है तो हम कर्मचारियों को भुगतान कैसे कर सकते हैं? कर्मचारियों के अलावा, कैंटीन और पार्किंग का प्रबंधन करने वाले भी अपनी आजीविका के लिए सिनेमाघरों पर निर्भर थे। इस प्रकार सिनेमा हॉल बंद होने से करीब 10 हजार लोगों का रोजगार छिना है। सरकार ने हमें कोई राहत नहीं दी है, जबकि मैंने सहायता के लिए पहल की थी। – अजीजुद्दीन, सचिव, एमपी सिनेमा एसोसिएशन

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