चीन ने पहली बार मानी गलवान में शहादत की बात, बताई कबूलनामे की वजह, क्‍या बढ़ रहा था दबाव

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बीजिंग : चीन ने पहली बार आधिकारिक तौर पर स्‍वीकार किया है कि पूर्वी लद्दाख में वास्‍तविक नियंत्रण रेखा पर बीते साल जून में भारतीय सेना के साथ हुए टकराव में उसके पांच सैनिकों की जान गई। चीन की सेना के आधिकारिक अखबार ‘पीएलए डेली’ ने यह खबर प्रकाशित की, जिसके मुताबिक, सेंट्रल मिलिट्री कमीशन ऑफ चाइना ने पांच सैन्यकर्मियों को याद किया और उन्हें विभिन्न उपाधियों से नवाजा। ये काराकोरम पहाड़ियों पर तैनात थे और इन्‍होंने जून 2020 में गलवान घाटी में भारत के साथ हुए संघर्ष में जान गंवाई।

चीनी विदेश मंत्रालय ने क्‍या कहा?

चीनी सेना की ओर से यह स्‍वीकारोक्ति ऐसे समय में आई है, जबकि पैंगोंग त्‍सो झील के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों से सैनिकों को हटाने पर भारत और चीन के बीच सहमति बनी है और इसकी प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। पीएलए के बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में एक बयान जारी किया है। इसमें कहा गया है कि दोनों देशों और इनकी सेनाओं के आपसी रिश्‍तों और मौजूदा समय में तनाव को कम करने की कवायद के तहत चीन यह जानकारी सार्वजनिक की है और यह उन लोगों को सच्‍ची श्रद्धांजलि भी है, जिन्‍होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्‍यौछावर कर दिए।

चीन ने एक बार फिर भारत पर आरोप लगाते हुए कहा है कि इसने हताहतों की संख्‍या बढ़ा-चढ़ाकर पेश की और अंतरराष्‍ट्रीय जनमत को गुमराह करने की कोशिश की। इसमें कहा गया है कि अब ‘पीएलए डेली’ की रिपोर्ट के साथ ही सच्‍चाई सबके सामने है। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि सच और झूठ से इतर यह उन लोगों के लिए उचित सम्‍मान भी है, जिन्‍होंने देश की सीमाओं और संप्रभुता की रक्षा के लिए अदम्‍य साहस का परिचय देते हुए अपने प्राण न्‍यौछावर कर दिए। उन्‍हें हमेशा याद किया जाएगा।

चीनी हताहतों को लेकर अलग-अलग रिपोर्ट्स

यहां उल्‍लेखनीय है कि बीते साल अप्रैल के तीसरे सप्‍ताह में जब पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बच सैन्‍य टकराव बढ़ा तो सबसे अधिक विवाद गलवान घाटी को लेकर ही रहा। गलवान में ही संघर्ष के दौरान भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। भारत ने तभी अपने सैनिकों की शहादत को सार्वजनिक कर दिया था और देश के लिए सर्वस्‍व बलिदान कर देने वाले शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए उनके परिवारों तक हर संभव सहायता पहुंचाने की कोशिश की। लेकिन चीन ने अब जाकर इस बारे में औपचारिक ऐलान किया है।

इससे पहले भारतीय मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जाता रहा है कि गलवान घाटी में हुए उस संघर्ष में चीन को भी अच्‍छा खासा नुकसान हुआ। कुछ रिपोर्ट्स में हताहत चीनी सैनिकों की संख्‍या भारत के मुकाबले दोगुनी बताई गई। कई विदेशी मीडिया रिपोर्ट्स में भी चीन के हताहत सैनिकों की संख्‍या भारत के मुकाबले कहीं अधिक बताई गई। रूस की आधिकारिक समाचार एजेंसी तास ने अभी 10 फरवरी को ही दी गई रिपोर्ट में कहा था गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों से झड़प के दौरान चीन के 45 सैन्यकर्मियों की जान गई। बीते वर्ष अमेरिका की खुफिया रिपोर्ट में भी गलवान घाटी में हुई झड़प में चीन के 35 सैन्यकर्मियों के जान गंवाने की बात कही गई थी।

चीन पर बढ़ रहा था दबाव?

इन रिपोर्ट्स के बीच माना जा रहा है कि चीन पर इस बात के लिए दबाव बढ़ रहा था कि वह अपने शहीद सैनिकों की संख्‍या को लेकर ‘सच्‍चाई’ का खुलासा करे। कई रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया कि चीनी नेतृत्‍व के प्रति उन परिवारों में आक्रोश बढ़ रहा था, जिन्‍होंने झड़प में अपनों को खोया। उन्‍हें नाराजगी इस बात को लेकर थी कि सीमा पर जान गंवाने वाले सैनिकों को उचित सम्‍मान नहीं दिया गया और उनके बारे में जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई।

इन सबके बीच पैंगोंग त्‍सो झील के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों से सैनिकों को हटाने पर भारत और चीन के बीच बनी सहमति के मद्देनजर भी लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में गलवान में अपने शहीदों की शहादत के बारे में जानकारी देकर चीन जहां इस बात पर विराम देना चाहता है कि उसके सैनिकों की हताहत संख्‍या को लेकर अटकलें खत्‍म हों, वहीं रिपोर्ट्स के अनुसार, वह अपने लोगों के गुस्‍से को भी शांत करने का प्रयास कर रहा है, जिन्‍हें इस बात से नाराजगी रही है कि शहीदों के बारे में जानकारी गोपनीय रखकर उन्‍हें उचित सम्‍मान नहीं दिया गया।

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