म्यूचुअल फंड्स में निवेश बंद करवा लिया? अब हो रहा है अफसोस, जानिए क्या करना चाहिए

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पिछले साल जब कोविड-19 की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के कारण जब स्टॉक मार्केट में गिरावट आई थी तो अनेक निवेशकों ने अपनी म्यूचुअल फंड्स यूनिट्स को रिडीम करवा लिया था। इस बात के डर के साथ कि उनकी निवेश वैल्यू में और भी अधिक गिरावट होगी, अनेक निवेशकों ने घबराहट में रिडम्पशन्स करवा ली थी और अपने निवेश को बंद कर दिया था। लेकिन, कुछ ही महीनों के भीतर भारतीय स्टॉक मार्केट में बहुत अधिक तेजी देखी गई और यह अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई। स्टॉक मार्केट से जुड़े डायनामिक्स में बहुत तेजी से बदलाव हुए और घबराहट के कारण की जाने वाली किसी भी प्रतिक्रिया जैसे म्यूचुअल फंड्स को रिडीम करवाना लंबे समय में लाभदायक साबित नहीं होगा। वे निवेशक जिन्होंने निवेश को बनाए रखा, वे लाभान्वित हुए लेकिन जिन निवेशको ने कम वैल्यूऐशन पर अपने यूनिट्स को रिडीम करवा लिया, उन्हें हानि उठानी पड़ी।

यदि आप ऐसे निवेशकों में आते हैं जिन्होंने अपने निवेश को रिडीम करवा लिया था, अब समय नहीं है कि उसके लिए अफसोस करते रहें, बल्कि अब तो उस गलती को सुधारने और अपने निवेश को फिर से ट्रैक पर लाने का समय है। कुछ न करने से तो देरी ही भली है। आपको अपने म्यूचुअल फंड्स निवेश को फिर से स्ट्रीमलाइन करने के लिए यहां पर कुछ उपयोगी बातों पर चर्चा की गई है।

रिडम्प्शन पर प्राप्त की गई राशि पर विचार करें

यह संभव है कि आपने रिडीम करवाई गई राशि के एक हिस्से का पहले से ही इस्तेमाल कर लिया हो। इसलिए, शुरुआत करने के लिए, यह देख लें कि रिडीम करवाई गई रकम में से आपके बैंक खाते में कितनी रकम अभी बाकी है। अगर पूरी रकम का फिर से निवेश करना संभव है, तो ऐसा कर लें। अगर ऐसा करना संभव नहीं है, तो कोशिश करें कि उस राशि को ऐसे ही रहने दें। अगर पूरी रिडीम करवाई गई रकम उपलब्ध है, तो स्टेग्गर्ड पैटर्न के रूप में इस राशि के निवेश के लिए तैयार रहें।

अपनी सभी एसआईपी को रिस्टार्ट करें

रोक दिए गए अपने सभी सिस्टेमेटिक निवेश (एसआईपी) प्लान को तत्काल उसी अनुपात और उसी अवधि के साथ चालू करें। मार्केट के उच्च स्तरों से आपको निराश नहीं होना चाहिए। याद रखें कि बाजार के लिए टाइमिंग की वजह से आप वैल्थ क्रिएट नहीं करते हैं, बल्कि मार्केट में बिताए गए समय से आपको लंबे समय के दौरान वैल्थ क्रिएट करने में मदद मिलती है। अगर जरूरी लगता है तो आप अपने वित्तीय सलाहकार से पोर्टफोलियो में किसी नई स्कीम को जोड़ने के बारे में चर्चा कर सकते हैं।

जब भी मार्केट में गिरावट आती है, तो अतिरिक्त खरीददारी करें

मार्केट में उतार-चढ़ाव जारी रहते हैं और इसमें छोटी अवधि में करेक्शन फेज आते रहते हैं। इस बात की सलाह दी जाती है कि मार्केट में इस प्रकार की गिरावट को लेकर आपको सावधानी से अपनी नजर बनाए रखनी चाहिए। क्योंकि आप एक वर्ष से मार्केट से बाहर रहे हैं, इसलिए, अतिरिक्त यूनिट्स खरीदने के लिए अपने कैश बैलेंस को मार्केट में लगाने से पहले मार्केट में होने वाले मूवमेंट्स के बारे में आपको सजग रहना होगा। आप म्यूचुअल फंड्स के बारे में ‘डिप्स पर खरीददारी करें’ रणनीति को अपनाने पर विचार कर सकते हैं। इससे आप अपने पास उपलब्ध कैश या रिडीम करवाई गई रकम को समझदारी से इस्तेमाल कर पाएंगे।

अधिकांश म्यूचुअल फंड्स निवेशकों को अपनी मौजूदा स्कीमों में अतिरिक्त यूनिट्स खरीदने या बिलकुल नई स्कीम को खरीदने की अनुमति देते हैं। इससे आपको अपने निवेश की औसत खरीद कीमत नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) को कम करने में मदद मिलती है, और जब आप आखिरकार अपने यूनिट्स की बिक्री करते हैं तो आपको अधिक लाभ मिलता है। यह बात महत्वपूर्ण है कि जब मार्केट में गिरावट होती है, तो उस समय आप अधिक यूनिट्स कलेक्ट कर पाते हैं। परिणामस्वरूप, जब मार्केट रिकवर करती है और फिर से उसमें तेजी आती है, तो आपकी निवेश वैल्यू में भी बढ़ोतरी होगी। इस प्रकार की एप्रोच से आपको अपने पिछले वर्ष की हानि को किसी हद तक दूर करने में मदद मिलेगी।

लेकिन, अतिरिक्त खरीददारी करते समय, आपको इस बात को भी ध्यान रखना चाहिए कि आप एक ही बारी में अपनी पूरी रकम का निवेश नहीं करते हैं। कभी-कभी ऐसा करना खतरनाक साबित होता है। इसकी बजाए, आपको अपने कैश का निवेश धीरे-धीरे और लगातार करते रहना चाहिए और ऐसा 6-12 महीनों की अवधि में करना चाहिए। इस प्रकार की स्ट्रेटजी से आपको अपनी निवेश लागत को कम रखने में मदद मिलेगी क्योंकि समय के साथ खरीद की गई यूनिट्स की कीमतें औसत स्तर तक हो जाएंगी। यदि आप नियमित रूप से मार्केट पर ध्यान नहीं दे पाते हैं, तो अतिरिक्त खरीददारी के लिए अपने निवेश सलाहकार से संपर्क करना अच्छी बात होगी ताकि आप अतिरिक्त खरीददारी के बारे में मार्गदर्शन प्राप्त कर सकें।

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