सालों से विवादित मरघट की जमीन का हुआ सीमांकन, अब श्मशान को मिल सकेगी पहचान

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सबलगढ़ के बैनीपुरा श्मशान(मुक्तिधाम की जमीन पिछले कई सालों से विवादित स्थिति में थी, जिसकी वजह से इस जमीन के संरक्षण के लिए न तो बाउंड्री हो पा रही थी और न ही कोई उपयोग, लेकिन अब इस जमीन से विवाद के बादल छट गए हैं। यहां राजस्व विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों ने बुधवार को पहुंचकर सीमांकन की कार्रवाई की। जिसमें इस जमीन को श्मशान की भूमि घोषित कर इसकी नापतौल कर चारों तरफ पत्थर के मुढ्ढी लगाने की कार्रवाई की गई। यहां बता दें कि इस श्मशान के विकास के लिए स्थानीय बैनीपुरा सौंदर्यीकरण समूह लगातार प्रयास कर रहा था। जिसको लेकर इस जमीन के सीमांकन के लिए तहसील में आवेदन दिया। जिससे इससे विवाद के बादल छट सकें।

उल्लेखनीय है कि बैनीपुरा श्मशान की लगभग 4 बीघा जमीन पर लंबे समय से विवाद चला आ रहा था। यहां एक धर्म के लोग इसे अपने हिस्से की जमीन बता रहे थे। यही वजह है कि इस जमीन का कोई उपयोग नहीं हो पा रहा था। आलम यह था कि पूरी जमीन पर ही बबूल के पेड़ खड़े होकर कचरा फेंकने में इसका इस्तेमाल किया जा रहा था, लेकिन इस जमीन की यथा स्थिति को स्पष्ट करने के लिए यहां की स्थानीय बैनीपुरा सौंदर्यीकरण समूह के युवा लगातार इसके लिए प्रयास कर रहे थे। जिसके लिए पिछले दिनों इस समूह के सदस्यों ने तहसील पहुंचकर जमीन का सीमांकन कराने के लिए आवेदन दिया। जिसके बाद राजस्व अमले ने बुधवार को इस जमीन का सीमांकन करना शुरू किया। जिसमें स्पष्ट हो गया कि यह जमीन श्मशान की ही है। इस श्मसान की जमीन की नापतौल करने के बाद चारों तरफ इसकी सीमाएं बनाते हुए पत्थर की मुड्ढी लगा दी गई। जिससे इस जमीन पर फिर से कोई विवाद की स्थिति न बने। इसको पूरी तरह से सुरक्षित कर इसका पंचनामा भी तैयार किया गया। यहां सर्वे नंबर 545 रकवा 0.37 हेक्टेयर व सर्वे नंबर 546 की रकवा 0.56 हेक्टेयर जमीन को मरघट के लिए सुरक्षित किया गया है।

2016 में सैंकड़ों ट्रॉली कचरा हटाकर किया पौधरोपण, विवाद से हो गया सब नष्टः

बैनीपुरा सुंदरीकरण समिति से जुड़े पवन राठौर, योगेश उपाध्याय, पुष्पसागर जादौन, पूरन मुद्गल, मोहन पचौरी, प्रदीप बित्तल, रीतेश जादौन, अजब सिंह टैगोर इस श्मशान के सुंदरीकरण के लिए प्रयास सालों से कर रहे थे। दरअसल 2016 तक इस जमीन को कचरा फेंकने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था, जिस पर श्मशान में सुंदरीकरण के लिए समिति के सदस्यों ने यहां से सैंकड़ों ट्रॉली कचरा हटवाकर उरी हमले के शहीदों के के नाम पौधरोपण कराया गया,लेकिन इसके बाद यह विवादित हो गई। जिसके बाद यहां जो काम किया गया पूरी तरह से कचरे में तब्दील हो गया। इसके बाद इस विवाद को खत्म करने के लिए समिति के सदस्य लगातार प्रयास कर रहे थे। जिसके सीमांकन के लिए आवेदन किया। बुधवार को सीमांकन के बाद यह जमीन श्मसान की घोषित कर दी गई। वहीं इसके लिए चोरों तरफ से सुरक्षित करने के लिए चिन्हित कर दिया गया।

अब बाउंड्री कराकर कराया जाएगा विकासः

समिति के योगेश उपाध्याय ने बताया कि सीमांकन के बाद श्मसान की जमीन की सीमाएं तय हो चुकी है। जिसके लिए अब यहां बाउंड्री कराने का प्रयास किया जाएगा। वहीं इस क्षेत्र को विकसित करने के लिए भी समिति काम करेगी। यहां एक बार फिर से पौधारोपण का अभियान छेड़ा जाएगा। जिससे इस क्षेत्र के लिए यह जगह को सौंदर्यीकरण के रूप में देखा जाए। लोगों से भी

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