चरनोई, गोचर, तालाब, शमशान, कब्रिस्तान आदि की सार्वजनिक उपयोग की भूमि पर होने वाले अतिक्रमण की शिकायतों का अब त्वरीत निराकरण होगा। मप्र हाई कोर्ट ने ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए हर जिले में पब्लिक लैंड प्रोटेक्शन सेल (पीएलपीसी) गठित करने के आदेश दिए हैं। जिलाधीश इस सेल के प्रमुख होंगे। तहसीलदार या इससे ऊपर की श्रेणी के अधिकारी इसके सदस्य नियुक्त किए जाएंगे। यह सेल सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण के संबंध में मिली शिकायतों की त्वरीत जांच करेगी। सही पाए जाने पर न सिर्फ अतिक्रमण हटाया जाएगा बल्कि अतिक्रमण करने वाले खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। सेल की यह जिम्मेदारी भी होगी कि वह शिकायत पर की गई कार्रवाई के संबंध में शिकायतकर्ता को सूचित भी करे।
शासकीय भूमि पर हो रहे अतिक्रमण को लेकर दायर जनहित याचिकाओं का निराकरण करते हुए हाई कोर्ट ने यह आदेश दिया है। छह पेज के आदेश में कोर्ट ने कहा कि अतिक्रमण को लेकर दायर होने वाली ज्यादातर जनहित याचिकाओं में शिकायत समान होती है कि मामला अधिकारी के संज्ञान में लाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। यही वजह है कि न्यायालय में इस संबंध में ढेरों याचिकाएं दायर होती हैं और कोर्ट के आदेश के बाद कार्रवाई की जाती है। इस समस्या के समाधान के लिए स्थाई व्यवस्था जरूरी है।
कोर्ट ने मुख्य सचिव से कहा है कि वे सुनिश्चित करें कि हर जिले में पीएलपीसी गठीत हो जाए। सेल में आने वाली हर शिकायत की जांच के बाद पीएलपीसी को स्पष्ट आदेश जारी करना होगा। कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा है कि पीएलपीसी के संबंध में पर्याप्त प्रचार-प्रसार भी किया जाए ताकि आम जनता को पता हो कि वह अतिक्रमण के संबंध में यहां शिकायत कर सकती है।
यह कहा था जनहित याचिकाओं में-
– ग्राम पंचायत धूमा की सरपंच गुलसनबाई ने जनहित याचिका दायर की थी। इसमें कहा था कि राष्ट्रीय राजमार्ग से लगी पंचायत की जमीन पर कुछ लोगों ने कच्चा घर, झोपड़ी आदि बनाकर अतिक्रमण कर लिया है। जिलाधीश और एसडीओ को मामले की शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।
– राघवेंद्रसिंह नामक याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इसमें कहा था कि गांव के तालाब से ग्रामीण पांच दशक से ज्यादा समय से पानी ले रहे थे। कुछ लोगों ने तालाब की जमीन पर कब्जा कर घर बना लिए है। बार-बार इसकी शिकायत करने के बावजूद कुछ नहीं हो रहा।