पंकज त्रिपाठी और स्वरा भास्कर समेत इन स्टार्स ने फादर्स डे पर पिता से जुड़ी खास यादें शेयर की, बेटा और बेटी के तौर पर खुद को नंबर भी दिए

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आज फादर्स डे है। पिता के सम्मान में समर्पित पितृ दिवस हम सबके लिए खास है। इस खास मौके पर कुछ चुनिंदा स्टार्स ने दैनिक भास्कर के साथ खास बातचीत में अपने पिता के साथ जुड़ी यादें शेयर की हैं। इसके साथ ही उन्होंने बेटा और बेटी के तौर पर खुद को एक से लेकर 10 में से नंबर भी दिए हैं। आइए जानते हैं, किस स्टार्स ने खुद को कितने नंबर दिए और क्या यादें साझा की हैं।

हम बाप-बेटे सुबह उठकर पटना इंटरसिटी पकड़ने पैदल जाते थे- पंकज त्रिपाठी
पिताजी के साथ की बहुत सारी यादें हैं। पहली याद यही है कि एक ब्राह्मण, पुजारी और किसान होने के बावजूद मुझे अभिनेता बनने से रोका नहीं। बोले-जाओ, जो करना है, वो करो। उल्टा वे घर से चावल, गेहूं, दाल आदि सामान लेकर मुझे पटना रेलवे स्टेशन छोड़ने आते थे। हम बाप-बेटे सुबह उठकर पटना इंटरसिटी पकड़ने पैदल जाते थे, जो मेरे घर से 7 किलोमीटर दूर है। अगर बेटे के तौर पर नंबर तो बाबूजी देंगे। मैं अपने आपको नंबर कैसे दे सकता हूं! वैसे हम खुद की मार्किंग तो अच्छी कर लेते हैं, क्योंकि इसमें टॉपर हैं। लेकिन सही तो वह होगा, जब पिताजी मार्किंग करें। खुद को नंबर देना अपने मुंह मिट्‌ठू होने वाली बात होगी। यह बताना बहुत मुश्किल होगा कि मैं कैसा पुत्र हूं, यह तो पिताजी बताएंगे। मैं स्वयं की प्रशंसा कर ही नहीं सकता न! मैं अपनी प्रशंसा नहीं कर सकता।

बतौर बेटी खुद को 10 में से 6 नंबर दूंगी- स्वरा भास्कर
अपने फादर से बहुत क्लोज हूं। आमतौर पिता से बच्चों की उतनी बातचीत नहीं होती है। इस रिश्ते में बहुत चुप्पियां होती हैं। प्यार से ज्यादा आदर्श होता है। मेरा एक्चुअली अपने पिता के साथ बहुत बेबाक रिश्ता है। अपनी सारी प्रॉब्लम बताती हूं। अपने मां-बाप से कभी उन चीजों के लिए भी झूठ नहीं बोला है, जिसके बारे में पता है कि वे नाराज होंगे, मुझ पर डांट पड़ेगी। मेरे पिताजी दुनिया के सबसे कंफर्टिंग आदमी हैं। उनके सामने दुनिया की बुरी से बुरी खबर लाइए, वे ऐसा बोलेंगे जिससे दिलासा मिले। पिताजी के साथ दो-तीन मेमोरीज हैं। एक तो जब छोटी थी, तब सुबह स्कूल की बस मिस कर देती थी, क्योंकि सुबह उठ ही नहीं पाती थी। मैंने 12 साल के स्कूली दिनों में कुल 10 बार ही बस पकड़ी होगी। बस स्टॉप पर से वापस लौटकर घर आती, तब पिताजी अखबार पढ़ रहे होते थे। मैं कहती थी- पापा! बस मिस हो गई। वे अखबार छोड़कर मुझे गाड़ी पर बैठाकर स्कूल पहुंचाने जाते थे। रास्ते में दो-पांच मिनट किसी दिन डांट-फटकार, लेक्चर तो किसी दिन प्यार से समझाते थे। फिर इधर-उधर की बातें करते हुए स्कूल छोड़ आते थे। पापा का ऑफिस घर के पास था, जबकि मां जिस कॉलेज में पढ़ाती थीं, वह दूर था। स्कूल से वापस आती थी, तब घर से थोड़ी दूर पर बस छोड़ती थी। वहां से मेरे पापा हम भाई-बहन को लेने आते, तब किसी दिन रसगुल्ला या किसी दिन गुलाब जामुन लाते थे। हम भाई-बहन एक्साइटेड होते और गेस करते थे कि आज रसगुल्ला मिलेगा या गुलाब जामुन! एक-दूसरे से शर्त लगाते थे। इस तरह खाते-खाते पापा को दिन भर का किस्सा सुनाते घर आते थे। मुझे याद है, पिताजी हर साल 26 जनवरी और 15 अगस्त को होने वाले कार्यक्रम को दिखाने ले जाया करते थे। बतौर बेटी अपने आपको अगर 10 नंबर में से देने के लिए कहा जाए, तब 6 नंबर दूंगी। मार्क फस्ट डिविजन तो मिलना चाहिए। आइ थिंक, सुबह उठकर पिताजी के लिए चाय वगैरह नहीं बना पाती हूं। मुझे खाना पकाना नहीं आता है। इस तरह एक जो पारंपरिक सेवा है, उस किस्म की सेवा नहीं कर पाती हूं। इसलिए मैंने 4 नंबर पारंपरिक सेवा न कर पाने के लिए काट लिए हैं।

पिता से सेंस ऑफ पॉवर अथॉरिटी, लीडरशिप और डिसिप्लिन की सीख मिली-ताहिर राज भसीन
मेरे पिताजी भारतीय वायुसेना में थे। उनके साथ जुड़ी यादें यह हैं कि वे जब यूनिफॉर्म पहनकर उड़ान भरने जाते थे, तब उनको देखकर एक सेंस ऑफ पॉवर अथॉरिटी, लीडरशिप और डिसिप्लिन की सीख मिलती थी, जो मेरे चाइल्डहुड में इंपैक्टफुल थी। उनके साथ यादें यह भी हैं कि उन्होंने मुझे सेव करना, क्रिकेट खेलना, गाड़ी चलाना आदि सिखाया। फादर्स डे पर उन्हें फोन करके इन बातों को ताजा करता हूं। मुझे एक से लेकर 10 तक अपने आपको अंक देने हों, तब खुद को 8 नंबर दूंगा। अपने पिताजी की रिस्पेक्ट और उनसे बेहद प्यार करता हूं। मेरे दो नंबर इसलिए कट जाते हैं, क्योंकि पिताजी बोलते हैं कि घर आओ और जब आते हो, तब कुछ सप्ताह रुको। लेकिन काम की वजह से और मुंबई में शिफ्टिंग की वजह से जब घर जाता हूं, तब सिर्फ कुछ दिन ही रुक पाता हूं। लेकिन इस लॉकडाउन ने यह सिखाया है कि घरवाले मेरी जिंदगी में बहुत महत्वपूर्ण हैं। उनका प्यार और विश्वास बहुत अहम है, इसलिए उनके साथ समय बिताना बेहद जरूरी है। इस फादर्स डे पर अपने पिताजी को बहुत सारा प्यारा, बहुत सारा रिस्पेक्ट और बहुत बड़ा थैंक यू बोलना चाहूंगा।

पिताजी कहते थे, वैजयंती माला जी की तरह तुम भी प्रैक्टिस करो-अदा शर्मा
पिताजी के साथ मेरी बहुत सारी यादें हैं। मेरे डैड की फेवरिट हीरोइन वैजंयती माला जी हैं। उनकी मूवी देखते थे और मुझे भी साथ में बैठाकर दिखाते थे। उनका डांस, सीन सब कुछ उन्हें पसंद है। फिल्म ‘ज्वैलथीफ’ में उनका जो गाना है, उसे मुझे बार-बार दिखाते थे। वे दिखाते थे कि एक टेक में वैजयंती माला जी ने इतने चक्कर लगाए हैं, इस तरह तुम भी प्रैक्टिस करो। ऐसा नहीं होना चाहिए कि मूवी है, तब बोलो कि कट हो सकता है, बिल्कुल नहीं। अगर कोई हजार चक्कर लगाने के लिए बोले, तब जवाब हां में ही होना चाहिए। आपको करना आना चाहिए। जब मैं डांस करती थी, तब पापा मुझे इनकरेज करते थे। मेरे डैड अभी नहीं रहे। अगर वे होते, तब मुझे 100 में से 100 नंबर देते। वैसे तो मेरा मूल्यांकन किसी और को करना चाहिए। लेकिन बेटी के तौर पर अपने आपको नंबर देने के लिए कहा जाए, तब 10 में से 100 नंबर दूंगी, क्योंकि मैं बहुत अच्छी और परफेक्ट बेटी हूं।

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