परम्परागत शिक्षा के साथ मेडिकल और कृषि शिक्षा देने की तैयारी में रादुविवि

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जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। परम्परागत पाठ्यक्रमों के अलावा रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय अब मेडिकल और कृषि की भी पढ़ाई शुरू करवाने की तैयारी कर रहा है। प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा जाएगा। यदि मंजूरी मिली तो आगामी सत्रों में इसकी शुरुआत हो सकती है। ये कवायद विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य यह करने जा रहा है। चिकित्सा और कृषि की पढ़ाई को लेकर विश्वविद्यालय को उच्च शिक्षा विभाग ने सैद्धांतिक सहमति प्रदान कर दी है। उच्च शिक्षा विभाग ने कहा है कि विश्वविद्यालय इस संबंध में अपना पूरा प्रस्ताव तैयार कर भेजे ताकि उस पर विचार किया जा सके।

तैयारी में जुटा प्रशासन: उच्च शिक्षा मंत्री के साथ भोपाल में हुई कुलपति और कुलसचिव की बैठक के बाद प्रशासन ने स्थानीय स्तर पर पर तैयारी तेज कर दी है। इस संबंध में अधिकारी मेडिकल और कृषि शिक्षा से जुड़ी जानकारी जुटा रहे है ताकि बेहतर ढंग से प्रस्ताव बनाया जा सके। कोशिश है कि नए पाठ्यक्रमों को अगले सत्र से शुरू कर दिया जाए, ताकि छात्रों को भी इसका लाभ मिल सके और वे आत्मनिर्भर बन सके।

इस तरह रखी जाएगी बुनियाद: मेडिकल और कृषि से जुड़े पाठ्यक्रम में डिप्लोमा से लेकर डिग्री पाठ्यक्रम शामिल रहेंगे। इसके अलावा 6 माह का सर्टिफिकेट कोर्स भी तैयार किया जाएगा ताकि अपनी आवश्यकतानुसार छात्र पढ़ाई कर सकें। पाठ्यक्रम को पढ़ाने के लिए फिलहाल अतिथि विद्धानों को नियुक्ति किया जाएगा। वहीं मेडिकल शिक्षा के लिए इस क्षेत्र के विशेषज्ञों को आंमत्रित किया जाएगा। यह व्यवस्था तब तक रहेगी जब इनके लिए स्थाई नियुक्तियां नहीं हो जाती है। छात्रों को प्रैक्टिकल ज्ञान के लिए मेडिकल विक्टोरिया अस्पताल तो वही कृषि के लिए कृषि उद्यनिकी, वन एवं उद्यानिकी विभाग की मदद ली जाएगी।

बजट पर संशय: यूनिवर्सिटी प्रशासन के सामने सबसे बड़ा संकट बजट का है। शासन ने इस पर फिलहाल कोई बात नहीं की है। दोनों ही कोर्स को शुरू करने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर बड़े स्तर पर खड़ा करना होगा। इसके अलावा मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया और कृषि अनुसंधान परिषद समेत कई विभागों से स्वीकृति लेनी होगी।

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विश्वविद्यालय का प्रयास है कि छात्र आत्मनिर्भर बने इसके लिए हम चिकित्सा और कृषि संकाय पर पाठयक्रम शुरू करने पर प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं। उच्च शिक्षा विभाग ने इस मामले में सैद्धांतिक अनुमति प्रदान कर दी है।

प्रोफेसर कपिल देव मिश्र, कुलपति, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय

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