सुरक्षा एजेंसियों ने एक बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए इस्लामिक स्टेट से जुड़े आतंकी माड्युल का पर्दाफाश कर दिया है। इस दौरान पिछले एक महीने में कर्नाटक, केरल और जम्मू-कश्मीर में 21 जगहों पर मारे गए छापे में कुल 10 आतंकियों को गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा सुरक्षा एंजेसियां कई संदिग्धों से पूछताछ भी कर रही है। एजेंसी को ये बड़ी कामयाबी उत्तर प्रदेश एटीएस द्वारा अलकायदा के आतंकी माड्युल को उजागर करने और उससे जुड़े आतंकियों को गिरफ्तार करने के बाद मिली है। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक लगभग एक साल पहले भारत में सक्रिय आइएस माड्युल के बारे में जानकारी मिली थी, जिस पर कामयाबी अब मिली है। चलिए जानते हैं कि सुरक्षा एजेंसियों ने किस पायदान पर पहुंच कर इस बड़ी कामयाबी को अपने नाम किया।
ऐसे पता चली लोकेशन
सोशल मीडिया पर आतंकियों का एक बड़ा गिरोह काम कर रहा था, जिस पर उनके द्वारा कई पोस्ट भी साझा की जा रही थी। सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इंस्टाग्राम पर इन आतंकियों ने ‘क्रानिकल फाउंडेशन’ के नाम से एक चैनल बनाया जिस पर बड़ी संख्या में आइएस की दुष्प्रचार सामग्री डाली जा रही था। इस चैनल के पूरी दुनिया में 5 हजार से ज्यादा सक्रिय सदस्य थे। सुरक्षा एजेंसियों ने छद्म नामों से सक्रिय सदस्यों की जांच शुरू की, तो कर्नाटक के मंगलरू और बैंगलुरू के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर और बांदीपुरा में इनके लोकेशन का पता चला।
आतंकियों की होने लगी पहचान
इस वर्ष मार्च में राष्ट्रीय एजेंसी ने केस दर्ज कर इन आतंकियों की जांच शुरू कर दी। इस दौरान यह पता चला कि इनमें से कई आतंकी आइएस के कब्जे वाले सीरिया, इराक और अफगानिस्तान जाने की तैयारी कर रहे थे और कुछ तो अप्रैल, 2019 में ईरान के रास्ते अफगानिस्तान जाने की कोशिश भी कर चुके थे। इस तरह से इन आतंकियों की पहचान की जाने लगी।
बड़ी घटना को देने वाले थे अंजाम
इन आतंकियों के मंसूबे शुरू से ही ठीक नहीं थे ये एक बड़ी घटना को अंजाम देने की फिराक में थे। सूत्रों से पता चला कि कश्मीर मे आइएस आतंकियों का ढांचा तैयार करने और हमलों को अंजाम देने की तैयारी में जुटे थे ये आतंकी। कश्मीर में जो लोग इन आतंकियों की मदद कर रहे थे उनकी ये लोग आर्थिक सहायता भी कर रहे थे। इस वजह से इन्हें मदद मिल रही थी। गिरफ्तार आतंकी डा. रहीस के पास से बरामद डिजिटल डिवाइस में आइईडी बनाने की तकनीक की विस्तृत जानकारी थी। ये आतंकी ‘हदूवादी नेताओं’ की हत्या कर देश में सांप्रदायिक तनाव पैदा करना और मीडिया संगठनों पर हमला करने की योजना तैयार कर रहे थे।
ऑनलाइन पत्रिका का लेता था सहारा
शुक्रवार को भी एक कामयाबी हाथ लगी जब आइएस के एक अन्य माड्युल के सरगना जूफरी जौहर दामूदी और उसके कई सहयोगी अमीन जूहैब को कर्नाटक के भटकल से पकड़ा गया। बतादें कि जूफरी पिछले साल अप्रैल से “वायस ऑफ हिंद’” नाम से एक ऑनलाइन पत्रिका निकालता था। इस पत्रिका के माध्यम से ही वह समाज के लोगों की मानसिकता पर प्रहार करता था। इसमें आइएस के दुष्प्रचार के साथ-साथ भारतीय युवाओं को भड़काने की सामग्री हुआ करती थी।
ऐसे हुई जुफरी की पहचान
ये आतंकी शुरू से ही चालाक रहे हैं और खुद को बचाते हुए आ रहे हैं इस बार भी उसने अपना नाम बदलकर खुद को बचाने की सोचा लेकिन इस बार वह कामयाब नहीं हो पाया। जफूरी ने अपना नाम अबु हाजिर अल बदरी रख लिया था और खुद को अफगानिस्तान में स्थित बताता था। लेकिन जांच के बाद एजेंसियों को उसके भारत में ही सक्रिय होने की जानकारी मिली। 11 जुलाई को कासिम खुरासानी उर्फ उमर निसार को गिरफ्तार किया गया जिससे पूछताछ के बाद जुफरी की असली पहचान हो सकी। जुफरी के छोटे भाई अदनान हसन दामुदी को 2017 में एनआइए ने आइएस से जुड़े एक मामले में गिरफ्तार किया था।
इनसे भी मिली मदद
सुरक्षा एजेंसियों की इस कामयाबी के पीछे कई अहम मुद्दे हैं। सूत्रों के अनुसार इस माॅड्युल के सदस्यों की पहचान और गिरफ्तारी के लिए विदेशी एजेंसियों से भी खूब मदद मिली। इसके साथ ही एनआइए, खूफिया एजेंसियों और स्थानीय पुलिस ने आपस तालमेल के साथ काम किया और हर छोटी-छोटी सूचना का रियल टाइम साझा कर उसका विश्लेषण किया जाता रहा। उन्होंने बताया कि आइएस के आतंकियों को पकड़ने के लिए एक महीने में भटकल, बेंगलुरू, मंगलुरू, बांदीपुरा, श्रीनगर और अनंतनाग में कुल 21 स्थानों पर छापा मारा गया