राजधानी के दो ऐसे स्कूल जिन्हें देखने के बाद यकीन करना मुश्किल होगा कि यह सरकारी हैं। दोनों स्कूल निजी स्कूलों को भी कड़ी टक्कर दे रहे हैं। इन स्कूलों के प्रधानाध्यापक और शिक्षकों के सहयोग से इन्हें सर्व सुविधायुक्त बनाया गया है। कोविड काल में स्कूल में सभी बच्चों के लिए ऑनलाइन कक्षा की व्यवस्था की गई है। पीएनटी चौराहा पर स्थित दीपशिखा मिडिल स्कूल का 2019 में अस्तित्व लगभग खत्म हो गया था, लेकिन इसे फिर से शिक्षकों व जनसहयोग की मदद से सर्व सुविधायुक्त बना दिया गया है। ऐसा ही सूरजनगर का सरदार वल्लभ भाई पटेल शासकीय प्राथमिक स्कूल झोपड़ी से पक्के भवन में तब्दील हो गया। दोनों स्कूल में प्रवेश के लिए इस साल बच्चों की संख्या बढ़ी है। निजी स्कूलों के बच्चे भी अब इन स्कूलों में प्रवेश लेने आ रहे हैं।
स्कूल का अस्तित्व मिटा, लेकिन फिर खड़ा हो गया
70 साल पुराना दीपशिखा मिडिल स्कूल 2019 में स्मार्ट सिटी की भेंट चढ़ गया था। स्कूल को स्मार्ट सिटी ने पीएनटी चौराहा पर जगह दी। फिर से स्कूल को अपनी पहचान बनानी थी। अब यह स्कूल ऑनलाइन कक्षा चलाने वाला राजधानी का पहला सरकारी स्कूल बन गया है। दीपशिखा मिडिल स्कूल से 11 अन्य सकूलों के बच्चों को जोड़ने की तैयारी चल रही है। इस स्कूल पूरी कक्षाएं ऑनलाइन चलाई जा रही हैं। दरअसल, नए शहर में सबसे पुराने स्कूलों में शामिल दीपशिखा मिडिल स्कूल जवाहर चौक पर था। दो साल पहले इसे स्मार्ट सिटी बनाने के लिए तोड़ दिया गया। इस स्कूल को दूसरे स्कूल में मर्ज करने की तैयारी थी, लेकिन प्रधानाध्यापक व शिक्षकों ने स्कूल को 228 क्वार्टर के पास खंडहर पड़ी गैस राहत की बिल्डिंग में शिफ्ट करने के लिए अधिकारियों से बात की। इसके बाद यहां पर फिर से स्कूल बनकर तैयार हो गया। यहां पर प्ले ग्रुप का केजी-1 व केजी-2 के साथ-साथ पहली से आठवीं तक कक्षाएं संचालित हो रही हैं
सरकारी स्कूल में सीसीटीवी और हाइटेक सुविधाएं
सूरजनगर का सरदार वल्लभ भाई पटेल शासकीय प्राथमिक स्कूल की शुस्र्आत 1996 में एक झोपड़ी से हुई थी। इस स्कूल का कायाकल्प शिक्षकों व प्रधानाध्यापक की मदद से किया गया। आज इस स्कूल के हर कमरे में सीसीटीवी लगे हैं, साथ ही स्मार्ट टीवी है। स्कूल की दीवारों पर आदिवासी संस्कृति की कलाएं उकेरी गई हैं। अब यहां गार्डन और दो कमरे जनसहयोग से तैयार किए जा रहे हैं। इस स्कूल में केजी-1 व केजी-2 की शुरुआत भी की गई है। हर साल इस स्कूल के शिक्षक और प्रधानाध्यापक मिलकर प्ले ग्रुप में फर्नीचर की व्यवस्था कर रहे हैं।
स्कूल का अस्तित्व पूरी तरह समाप्त हो गया था। उसे नए सिरे से खड़ा करना मुश्किल था, लेकिन शिक्षकों और जनसहयोग से स्कूल को सर्वसुविधा युक्त बनाया गया। – नागेश पांडेय, प्रधानाध्यपाक दीपशिखा मिडिल स्कूल
शिक्षकों व जनसहयोग से इस स्कूल को झोपड़ी से पक्के भवन में तब्दील किया। स्कूल में सीसीटीवी के साथ अन्य सुविधाएं भी की गईं। – सुभाष सक्सेना, प्रधानाध्यापक सरदार वल्लभ भाई पटेल शासकीय प्राथमिक स्कूल