साल के आखिरी में राजस्व का आंकड़ा बढ़ाने में बिजली कंपनी जुटी हुई है। अफसरों को लगातार लक्ष्य दिया जा रहा है। प्रदेश में करीब 20 हजार करोड़ रुपये के आसपास उपभोक्ताओं का बकाया बना हुआ है जिसे ज्यादा से ज्यादा वसूलने की कवायद हो रही है। इसके लिए पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में अब बैंक खाते तक सीज करने की तैयारी हो रही है। फिलहाल 900 से ज्यादा उपभोक्ताओं को नोटिस देकर आगाह करने की तैयारी है। इधर, अन्य कंपनियां इस तरह की सख्ती को अपने क्षेत्र में लागू करने पर विचार कर रही है।
बिजली बिल की वसूली को लेकर सख्ती शुरू : ऊर्जा विभाग के मुताबिक, बिजली कंपनियों का उपभोक्ताओं पर पिछले कई सालों से करीब 20 हजार करोड़ रुपये बकाया है। इनमें बड़े और छोटे उपभोक्ता शामिल है। वित्तीय वर्ष 2020-21 खत्म हो रहा है और कंपनियों का लक्ष्य अभी तक पूरा नहीं हो सका है। ऐसे में बिजली बिल की वसूली को लेकर सख्ती शुरू हो गई है। उपभोक्ताओं के मकान-दुकान में कुर्की करने की कार्रवाई हो रही है। जबलपुर में दर्जनों दुकानों को ताला जड़ दिया गया है। मकानों से अनुपयोगी सामग्री को जब्त करने की प्रक्रिया हो रही है। कुछ उपभोक्ताओं ने तो कुर्की का नोटिस मिलने के तत्काल बाद ही रकम जमा करना शुरू कर दिया है। वहीं कुछ ने फिलहाल मोहलत मांगी है। विभाग अब बैंक खातों को सीज करने की तैयारी कर रहा है। उपभोक्ता के बैंक खातों की जानकारी जुटाई जा रही है। उनके आधार के जरिए बैंक से डिटेल मांगने के लिए पत्र लिखा गया है। यदि ऐसा हुआ तो उपभोक्ताओं के सीधे बैंक खाते ही सीज हो जाएंगे। बिजली का बकाया बिल भरने के बाद ही खातों से उपभोक्ता लेनदेन शुरू कर पाएगा। इसके अलावा कई शहरों में बकायादारों के नाम भी चौराहे पर लगाए गए हैं। बिजली कंपनियों के निशाने पर पांच हजार रुपये से अधिक वाले बकायादार हैं। ऐसे बकायादारों पर बड़ी कार्रवाई की जा रही है जिन पर 5000 रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक बाकी हैं।
दो महीने में बढ़ी वसूली : प्रदेश में आमतौर पर तीनों कंपनियों की वसूली हर महीने करीब 1600 करोड़ रुपये होती है, पर दो महीने से सख्ती बढ़ने के बाद रिकवरी का आंकड़ा बढ़ गया है। दिसंबर में 1950 करोड़ और जनवरी में 1700 करोड़ रुपये की वसूली हुई है। कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि सख्ती के कारण वसूली बढ़ी है।नेतागीरी में अटक जाती है वसूली : पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के बिजली कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि स्थानीय राजनीतिक दबाव के कारण वसूली में व्यवधान होता है जब बिजली कर्मचारी वसूली और अन्य कार्रवाई के लिए पहुंचते हैं तो उनके पास कार्रवाई रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर नेताओं के फोन आ जाते हैं। कई बार तो विवाद तक हो जाता है।