मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने कायदी सरपंच को दी राहत

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वारासिवनी जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत कायदी मैं पंचायत संचालन का मसाला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। जिसमें लगातार नए-नए मोड आ रहे हैं। ऐसे में फिर एक नया मोड़ सामने आया है जिसमें मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर के न्यायाधीश विशाल धगत के द्वारा 21 अगस्त 2024 को आदेश जारी किया है। जिसमे कायदी पूर्व सरपंच श्रीमती रेखा नगरगड़े के खिलाफ जारी किए गए 10 अक्टूबर 2023 एवं 6 मार्च 2023 के आदेश को रद्द कर मामले में फिर से नियम अनुसार जांच करने के लिए आदेशित किया गया है।

कायदी में चुनाव और स्थानापन्न को लेकर संसय

ग्राम पंचायत कायदी सरपंच श्रीमती रेखा नगरगड़े के कार्य को लेकर जिला पंचायत बालाघाट के द्वारा 6 मार्च 2023 को आदेश जारी कर मध्य प्रदेश ग्राम पंचायत एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 40 के तहत कार्यवाही कर सरपंच को पद से पृथक करने और 6 वर्ष चुनाव न लड़ने के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया था। जिसके खिलाफ कमिश्नर के यहाँ अपील की गई थी जिसमें जिला पंचायत के यहां आदेश पर स्थगन प्राप्त हो गया था। परंतु 10 अक्टूबर 2023 को कमिश्नर के द्वारा जिला पंचायत के पक्ष में निर्णय देते हुए 6 मार्च 2023 के निर्णय को स्वीकृति दे दी गई थी। जिसके 8 महीने बाद यह निर्णय प्रकाश में आया था और आनन खनन में जिला पंचायत के द्वारा सरपंच को पद से पृथक कर स्थानापन्न चुनाव करवाने के लिए निर्देशित किया गया था। जिसमें तत्काल कार्यवाही करते हुए उसे स्थानापन्न सरपंच के रूप में पुस्तकला माहुले को निर्वाचित किया गया और फिर मध्य प्रदेश निर्वाचन आयोग के द्वारा पंचायत चुनाव की घोषणा कर दी गई। जिसके तहत कायदी में आचार संहिता लागू कर चुनाव होना था। ऐसे में सरपंच की अपील पर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर के द्वारा 21 अगस्त 2024 को मामले में पूर्व के आदेश को रद्द कर जांच करने के लिए आदेश किया गया है। ऐसे में कायदी पंचायत में वर्तमान में स्थानापन्न सरपंच एवं कुछ दिनों बाद होने वाले निर्वाचन को लेकर संसय बना हुआ है।

यह हुआ है आदेश

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर के माननीय न्यायमूर्ति विशाल धगत के द्वारा 21 अगस्त 2024 को श्रीमती रेखा नागरगड़े बनाम मध्य प्रदेश राज्य एवं अन्य के मामले में आदेश किया है कि उपरोक्त के मद्देनजर दिनांक 10.10.2023 और 6.3.2023 के विवादित आदेशों को रद्द किया जाता है। मामले को सक्षम प्राधिकारी को वापस भेजा जाता है ताकि वह गवाहों की जांच कर सके और जांच रिपोर्ट को स्थापित करने के लिए साक्ष्य प्रस्तुत कर सके और याचिकाकर्ता को भी गवाहों से जिरह करने या उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों का खंडन करने के लिए साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर दिया जा सकता है।

इनका कहना है

दूरभाष पर चर्चा में बताया कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर के द्वारा कायदी पंचायत के मामले में एक आदेश दिया गया है जिसको वरिष्ठ कार्यालय भेज दिया गया है।

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