सुप्रीम कोर्ट ने एक तिहाई जेल की सजा काट चुके अंडरट्रायल्स की रिहाई की अनुमति दी। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा-479 में इसका प्रावधान है। इसके अनुसार, अगर अंडरट्रायल अधिकतम सजा का एक तिहाई समय काट चुका है, तो उसे जमानत दे दी जाएगी। बीएनएसएस 1 जुलाई से अमल में आया है। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा कि ये प्रावधान 1 जुलाई से पहले के मामलों में भी लागू होगा। इसके बदले पहले सीआरपीसी में प्रावधान था कि अधिकतम सजा की आधी जेल अवधि काटने के बाद ही जमानत मिलेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने इसे मंजूर करते हुए देशभर के जेल सुपरिंटेंडेंट्स को इसे अमल में लाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि एक तिहाई अवधि पूरी होने पर संबंधित अदालतों के माध्यम से अंडरट्रायल कैदियों के आवेदनों पर कार्रवाई की जाए। निर्देश दिया कि अधिकतम तीन महीने में इस काम को पूरा किया जाए। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस हीमा कोहली की अगुवाई वाली बेंच ने यह अहम फैसला सुनाया।
इससे जेल में भीड़ को कम किया जाएगा
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के सामने सीनियर एडवोकेट गौरव अग्रवाल पेश हुए थे। उन्होंने कहा था कि बीएनएसएस के प्रावधान को एक जुलाई से पहले के मामलों में भी लागू किया जाए। उन्होंने तर्क दिया कि इससे जेल में भीड़ को कम किया जा सकेगा। तब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पेश अडिशनल सॉलिसिटर जनरल एश्वर्या भाटी से पूछा कि क्या यह प्रावधान 1 जुलाई से पहले के मामलों में लागू हो सकता है? इस पर केंद्र सरकार की वकील ने कहा था कि वह कोर्ट को इस बारे में बताएंगी। अडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार का मत है कि इस प्रावधान को 1 जुलाई से पहले के मामलों में भी लागू किया जाना चाहिए।