हजारों सालों से इंसान के मन में आसमान में चमकते चांद, तारों और सूर्य के बारे मे जानने की जिज्ञासा रही है। इसी कड़ी में भारत का पहला सौर अंतरिक्ष यान आदित्य-एल1 (Aditya L1 Solar Mission) आज 11.50 बजे आंध्र प्रदेश स्थित श्रीहरिकोटा से से लॉन्च किया जाएगा। भारत का Aditya-L1 Solar Mission सूर्य के बारे में कई राज खोल सकता है, वहीं इतिहास में भी सूर्य से जुड़ी कुछ ऐसी खगोलीय घटनाएं हुई है, जिनके बारे में आज बहुत कम लोगों को पता है। ऐसी ही एक खगोलीय घटना करीब 150 साल पहले हुई थी, जिसे Carrington Event के नाम से जाना जाता है।
Carrington Event की घटना 2 सितंबर 1859 को हुई थी। लंदन के रेड हिल शहर में रिचर्ड क्रिस्टोफर कैरिंगटन और उनके सहयोगी रिचर्ड हॉजसन सूर्य पर मौजूद काले धब्बों के एक समूह का अध्ययन कर रहे थे। तभी उन्होंने सूर्य पर एक भयावह विस्फोट को देखा था। इस विस्फोट का असर धरती के ध्रुवीय इलाकों पर देखा गया था। सौर तूफान का ये पहला रिकॉर्ड था। रिचर्ड क्रिस्टोफर कैरिंगटन ने सूर्य पर करीब 5 मिनट तक विस्फोटों की विशाल श्रृंखला देखी। यह अब तक देखा गया सबसे पहला बड़ा सौर तूफान है। तब लंदन में केव वेधशाला के चुंबकीय सेंसरों ने इस विशाल सौर तूफान के 7 दिन बाद पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में काफी गड़बड़ी का पता चला था।
कोरोनल मास इजेक्शन (CME) को सूर्य की सतह से पृथ्वी की दिशा में विशाल विस्फोट करते हुए दिखाता है। इस विस्फोट के 2 से 4 दिनों के बाद CME को पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर के चारों ओर विक्षेपित होते हुए देखा गया था। पृथ्वी के ध्रुवों से निकलने वाले हुए कोरोनल मास इजेक्शन ने नीली रोशनी बिखेरी थी। अब तक के ज्ञात सबसे बड़े सौर तूफान के कारण कनाडा से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक हर जगह और दोनों ध्रुवों और भूमध्य रेखा के पास आकाश में चमकती रोशनी रात में भी दिखाई देने लगी थी।