तो क्या जिला अस्पताल में सिर्फ दिखावे के लिए रखे हैं वेंटिलेटर ?

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इसे मरीजो की बद-नसीबी कहे या फिर जिम्मेदारों का उदासीन रवैया। की जिले के सबसे बड़े 500 बेड के अस्पताल में तमाम तरह की हाईटेक सुविधा होने के बाद भी उन सुविधाओं का लाभ वहां भर्ती मरीजों को नहीं मिल पा रहा है।जहां तमाम तरह की मशीनरी व संसाधन होने के बावजूद भी आपातकालीन स्थिति में मरीजों को गोंदिया नागपुर रायपुर या फिर जबलपुर रेफर करना पड़ता है। आज हम बात कर रहे हैं जिला अस्पताल के आईसीयू वार्ड की ,जहां कोरोना काल के समय आपातकालीन स्थिति को देखते हुए हाईटेक वेंटीलेटर मंगाए गए थे। जो वर्तमान समय में महज शो-पीस बनकर रह गए हैं. हैरानी की बात तो यह है कि आईसीयू वार्ड में रखे वेंटीलेटर को ऑपरेट कैसे करते हैं या उन वेंटीलेटर का उपयोग कैसे किया जाता है इसकी जानकारी तक वहां के चिकित्सकों व नर्सिंग स्टाफ को नहीं है. जिसके चलते सभी वेंटीलेटर को आईसीयू कक्ष में बंद कर, कक्ष में ताला लगाकर रखा गया है और जिन मरीजो को आपातकालीन स्थिति में वेंटीलेटर की सख्त आवश्यकता होती है उन्हें भी वेंटिलेटर नसीब नहीं हो रहा है। जहां ऑपरेटर ना होने और वेंटीलेटर की समझ ना होने के चलते आपातकालीन मरीजों को जिले से बाहर रीफर कर दिया जाता है। कुल मिलाकर कहा जाए तो जिला अस्पताल में तमाम तरह की हाईटेक सुविधाएं हैं लेकिन आवश्यकता पड़ने पर मरीजों को उसका लाभ नहीं मिल रहा है।

वेंटिलेटर कैसे ऑपरेट करते है किसी को नही मालूम
जिले के सबसे बड़े 500 बेड के प्रमुख शहीद भगत सिंह जिला अस्पताल में लगातार हाईटेक स्वास्थ्य सुविधाओं के संसाधन तो बढाए जा रहे है, लेकिन इन संसाधनों का उपयोग कर मरीज को त्वरित उपचार देने के लिए न तो विशेषज्ञ है और न ही स्टाफ को उपयोग करने की जानकारी जिससे ये संसाधन सिर्फ शोपीस ही साबित हो रहे है और मजबूरीवश मरीज गंभीर स्थिति में जिला अस्पताल पहुंचकर परेशान होकर रेफर होने के लिए मजबूर हो रहे है। जिससे मरीज व उनके परिजनों में नाराजगी भी देखने को मिल रही है। ऐसी ही स्थिति जिला अस्पताल में वेंटिलेटर की है जो कहने को तो है, लेकिन इनके उपयोग के लिए विशेषज्ञ के साथ ही प्रशिक्षित स्टाफ नहीं है।जिस पर किसी का कोई ध्यान नही है।

अनुउपयोगी साबित हो रहे वेंटिलेटर
कोरोना काल के दौरान जिला अस्पताल में सात वेंटिलेटर आईसीयू में लाए गए है उस वक्त अधिक आवश्यकता होने के चलते निजी टेक्नीशियन की डयूटी भी लगाई गई थी और इनका उपयोग भी किया जा रहा था लेकिन सामान्य स्थिति होने पर ये वेंटिलेटर अनुउपयोगी साबित हो रहे है। कारण वेंटिलेटर का उपयोग करने की ट्रेनिग न तो मेडिकल विशेषज्ञ को दी गई है और न ही स्टाफ को दी गई है। ऐसे में मरीज को वेंटिलेटर की आवश्यकता होने व वेंटिलेटर मौजूद होने के बाद भी मरीजों को जिला अस्पताल से रेफर करना मजबूरी बनी हुई है। और यह वेंटिलेटर शो पीस बनकर रह गए है।

इसलिए भी नहीं हो पा रहा उपयोग
गंभीर स्थिति में मरीज को वेंटिलेटर लगाए जाने पर 24 घंटे देखरेख में रखा जाता है और इस दौरान 24 घंटे के लिए मेडिकल विशेषज्ञ चिकित्सक भी ड्यूटी लगती है और प्रशिक्षित स्टाफ के साथ ही वेंटिलेटर लगाने के लिए एनेस्थीसिया विशेषज्ञ की भ मौजूदगी होती है, लेकिन जिला अस्पताल में मेडिकल विशेषज्ञ चिकित्सक के साथ ही एनेस्थीसिया विशेषक की कमी है। जिसके चलते भी वेंटिलेटर होने के बाद भी मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।

एक दो नहीं बल्कि सात वेंटिलेटर मौजूद फिर रेफर होते है मरीज
जिला अस्पताल में हाईटेक सुविधाएं मरीजों को उपलब्ध कराने के लिए एक आकस्मिक चिकित्सा सुविधा के साथ ही आईसीयू, एचडीयू समेत अन्य हाईटेक सुविधाएं है और गंभीर स्थिति में मरीज को सांस लेने पर तकलीफ होने पर उसे वेंटिलेटर में रख उसकी जान बचाने के लिए वेंटिलेटर भी है और वह भी एक दो नहीं बल्कि पूरे सात लेकिन इसे विडंबना ही कहे कि सात वेंटिलेटर होने के बाद भी मरीज को वेंटिलेटर की आवश्यकता होने पर उसे जबलुपर या फिर महाराष्ट्र रेफर होना पड़ता है। ऐसी स्थिति में जिला अस्पताल में वाद-विवाद की स्थिति भी लगातार निर्मित हो रही है।

किसी को आपरेट करना नही आता, इसलिए रिफर करना पड़ता है- धबडग़ांव
इस पूरे मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान सिविल सर्जन डॉ संजय धबड़गांव ने बताया कि
कोविड के समय सिर्फ कोविड की बीमारी के मरीज थे जिसके चलते ही वेंटिलेटर के संचालन के लिए निजी विशेषज्ञों की ड्यूटी लगाई गई थी लेकिन वर्तमान समय में उसमे मरीजों का उपचार नही किया जा रहा है और वेंटिलेटर के संचालन के लिए न तो मेडिकल विशेषज्ञ चिकित्सक है, न तो एनेस्थीसिया विशेषज्ञ और न ही स्टाफ प्रशिक्षित है। ऐसे में वेंटिलेटर की आवश्यकता पड़ने पर मरीजों को रेफर करना पड़ता है। जैसे-जैसे विशेषज्ञ व स्टाफ बढ़ेगा वैसे-वैसे प्रशिक्षित कर वेंटिलेटर का उपयोग किया जाएगा। क्योंकि वर्तमान समय में किसी को भी वेंटिलेटर ऑपरेट करना नही आता इसीलिए अति गंभीर मरीजों को रीफर करना पड़ता है।

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