मालदीव के राष्‍ट्रपति मोइज्जू पर फिर दिखा चीनी ड्रैगन का डर, पीएम मोदी के साथ किया सर्वे का समझौता तोड़ा

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मालदीव ने भारत के साथ हाइड्रोग्राफिक सर्वे समझौता रद्द कर दिया है। जल विज्ञान के क्षेत्र में सहयोग और खोज के लिए दोनों देशों के बीच ये समझौता हुआ था। जिसे लगातार भारत विरोधी रुख दिखा रही मोहम्मद मोइज्जू की सरकार ने कैंसिल करने का ऐलान किया है। हाल ही में राष्ट्रपति मोइज्जू ने भारत से मालदीव में मौजूद अपने अपने सैनिकों को वापस बुलाने के लिए कहा था। इसके बाद अब उन्होंने भारत सरकार के साथ पहले से चल रहे हाइड्रोग्राफिक सर्वे को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है। मोइज्जू को चीन का करीबी समझा जाता है और वह लगातार भारत विरोधी रुख का इजहार करते रहे हैं। उनके इस फैसले के पीछे भी चीन का ही दिमाग होने की बात मानी जा रही है।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मालदीव के तत्कालीन राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सालेह के बीच जून 2019 में ये समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत भारत को मालदीव के क्षेत्रीय जल का हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करने के साथ-साथ चट्टानों, लैगून, समुद्र तट और ज्वार के स्तर का अध्ययन और चार्ट बनाने की इजाजत मिली थी। पांच साल के लिए ये समझौता हुआ था। ऐसे में इस साल जून में ये खत्म हो रहा है और इसे फिर से रिन्यू किया जाना है लेकिन मोइज्जू ने इस द्विपक्षीय समझौता को आगे बढ़ाने के बजाय खत्म करने का फैसला लिया है।

जून में खत्म हो जाएगा समझौता

मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय के अफसर मोहम्मद फिरोजुल अब्दुल खलील ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा, हमारी सरकार ने भारत के साथ 7 जून 2024 को समाप्त होने जा रहे हाइड्रोग्राफी समझौते को रिन्यूअल नहीं करने का फैसला किया है। इस समझौते की शर्तों के मुताबिक अगर कोई पक्ष इससे बाहर आना चाहता है, तो उसे छह महीने पहले दूसरे पक्ष को सूचित करना होगा। अगर कोई भी पक्ष इससे बाहर आने की जानकारी नहीं देता है तो फिर शर्तों के अनुसार दोनों देशों के बीच यह समझौता खुद ही 5 साल के लिए और बढ़ जाता। फिरोजुल ने कहा कि मालदीव समझौते पर आगे नहीं बढ़ना चाहता है। ऐसे में मालदीव सरकार ने अपने फैसले से भारतीय उच्चायोग को अवगत करा दिया है। अब ये एग्रीमेंट अगले साल जून में खत्म हो जाएगा।

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