Mohan Bhagwat बोले, भारत को पाकिस्तान बनाने के लिए 1930 से योजनाबद्ध तरीके से बढ़ी मुस्लिम आबादी

0

Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत का बयान एक बार फिर चर्चा में है। उन्होंने भारत में मुस्लिमों की आबादी और नागरिकता संशोधन अधिनियम के साथ राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को लेकर बड़ी बात कही है। मोहन भागवत के अनुसार नागरिकता संशोधन अधिनियम और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर से भारत के मुसलमानों को कोई परेशानी नहीं आने वाली। इन दोनों चीजों का हिंदू-मुसलमानों के विभाजन से कोई लेना-देना नहीं है। राजनीति लाभ के लिए इन्हें साम्प्रदायिक रंग दिया जा रहा है।

CAA से किसी भारतीय मुसलमान को नुकसान नहीं

मोहन भागवत ने अपने बयान में कहा कि CAA जिसे नागरिकता संशोधन अधिनियम कहा जाता है, वह कानून किसी भारतीय नागरिक के विरुद्ध नहीं बनाया गया है। जो भी मुसलमान भारत के नागरिक हैं उन्हें CAA से कोई नुकसान नहीं होगा। उन्होंने भारत पाकिस्तान के विभाजन का समय याद करते हुए कहा कि बंटवारे के बाद भारत और पाकिस्तान ने यह आश्वासन दिया था कि हम अपने देश के अल्पसंख्यकों की चिंता करेंगे। भारत आजतक उसका पालन कर रहा है, जबकि पाकिस्तान ने ऐसा नहीं किया।

योजनाबद्ध तरीके से बढ़ाई मुसलमानों की संख्या

भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के अलावा भागवत ने भारत की आजादी से पहले का समय भी याद किया। उन्होंने कहा कि भारत में 1930 से योजनाबद्ध तरीके से मुस्लमानों की संख्या बढ़ाने के प्रयास हुए। ऐसा विचार था कि जनसंख्या बढ़ाकर मुसलमान अपना वर्चस्व स्थापित करेंगे और फिर भारत को पाकिस्तान बनाएंगे। खासकर पंजाब, सिंध, असम और बंगाल के बारे में उनकी यही सोच थी। कुछ हद तक यह सत्य भी हुआ, भारत का विखंडन हुआ और पाकिस्तान बना, लेकिन जैसा वो लोग चाहते थे वैसा नहीं हुआ।

हाल ही में DNA को लेकर दिया था बयान

मोहन भागवत ने कुछ समय पहले भारत के हिंदू और मुसलमानों के DNA को लेकर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि भारत के हिंदू और मुसलमानों का DNA एक हैं। इस बयान को भी काफी सांप्रदायिक रंग दिया गया था और लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी। इसके जवाब में AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैशी ने कहा था कि हिंसा करना गोडसे की हिंदुत्व वाली सोच का हिस्सा है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here