भारत ने अपने रक्षा क्षेत्र में पश्चिमी देशों के साथ सहयोग बढ़ाया है। भारत ने घरेलू शस्त्र उद्योग को बढ़ावा दिया है और स्थानीय उत्पादन में वृद्धि की है। सरकार का लक्ष्य 2029 तक रक्षा उत्पादन को तीन गुना बढ़ाना है। भारत और रूस के रक्षा संबंध भी महत्वपूर्ण बने हुए हैं।
नई दिल्ली: कर्तव्य पथ पर 76वें गणतंत्र दिवस परेड में प्रलय मिसाइल सिस्टम ने हिस्सा लिया। यह देखकर हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। न्यूज एजेंसी AFP की रिपोर्ट कहती है कि 2019 से 2023 के बीच भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक बन गया। भारत लंबे समय से रूसी हथियारों पर निर्भर था। अब पश्चिमी देशों से दोस्ती बढ़ाने और अपने देश में हथियार बनाने पर जोर देने से माहौल बदल रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक सकारात्मक कदम है। रूस अभी यूक्रेन युद्ध में उलझा है। इस बीच भारत अपनी सेना को आधुनिक बनाने में जुटा है। चीन के साथ तनाव बढ़ने के बाद से यह और भी जरूरी हो गया है, खासकर 2020 में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद।
चीन की चुनौती और सैन्य आधुनिकीकरण
प्रसिद्ध थिंक टैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) के हर्ष वी. पंत ने कहा, ‘चीन को लेकर भारत की सुरक्षा नीति में बड़ा बदलाव आया है।’ 2020 की झड़प में 20 भारतीय और कम से कम चार चीनी सैनिक शहीद हो गए थे। इस घटना के बाद दोनों देशों के रिश्तों में काफी तनाव आ गया। पंत कहते हैं, ‘इस घटना ने सबको झकझोर दिया है। अब हमें जल्दी से जल्दी और जो भी जरूरी हो, वो करना होगा।’
लगातार मजबूत हो रही भारतीय सेना
स्टॉकहोम इंटरनैशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट के अनुसार, 2019-23 में भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक देश बन गया। हमारे हथियारों का आयात दुनिया भर के कुल आयात का लगभग 10 प्रतिशत है। आने वाले समय में अमेरिका, फ्रांस, इजराइल और जर्मनी से अरबों डॉलर के हथियार खरीदने की योजना है। खबरों के मुताबिक, अगले महीने प्रधानमंत्री मोदी फ्रांस जाएंगे। वहां राफेल लड़ाकू विमानों और स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बियों के लिए लगभग 10 अरब डॉलर (करीब 8 खरब, 65 अरब रुपये) के सौदे होने की उम्मीद है।