हिंदुओं पर हमलों के बीच भारतीय उच्चायोग के 500 कर्मचारी बांग्लादेश में, हिंसा के बीच बढ़ी सुरक्षा की चिंता, जानें हाल

0

शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे और देश छोड़ने के बाद भी बांग्लादेश में हालात असामान्य बने हुए हैं। सरकारी दफ्तरों में लूटपाट, तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। ढाका छोड़ने के बाद शेख हसीना भारत आ गई हैं। दूसरी ओर बांग्लादेश में उनकी पार्टी के नेताओं की गिरफ्तारियां की जा रही हैं। राजधानी ढाका में सबसे ज्यादा उथलपुथल देखी जा रही है। बिगड़ते हालात ने बांग्लादेश में मौजूद भारतीयों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है। बांग्लादेश से भारतीय छात्र शेख हसीना के इस्तीफे से पहले ही लौट आए थे लेकिन अभी भी करीब 500 भारतीय ढाका और दूसरे शहरों में मौजूद हैं।

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, राजधानी ढाका में भारतीय उच्चायोग और चटगांव, सिलहट और खुलना में सहायक उच्चायोगों में करीब 500 भारतीय काम करते हैं। इनमें कर्मचारी और उनके परिवार शामिल हैं। इन लोगों की सुरक्षा को लेकर अभी भी चिंता बनी हुई है। ये चिंता इसलिए बढ़ गई है क्योंकि सेना और पुलिस शहरों से गायब है और भीड़ उत्पात मचा रही है। शेख हसीना को भारत की करीबी नेता माना जाता रहा है। ढाका छोड़ने के बाद भी वह भारत आई हैं। वहीं सड़कों पर उतरी भीड़ हसीना की विरोधी है, इसलिए भी भारतीयों को निशाना बनाए जाने का अंदेशा है। हालात को देखते हुए ढाका में भारतीय उच्चायोग से गैरजरूरी कर्मचारियों और परिवारों की वापसी स्वैच्छिक आधार पर वाणिज्यिक उड़ान के माध्यम से करने की कवायद हो रही है। सभी राजनयिक उच्चायोग में ही हैं और उच्चायोग काम कर रहा है।

‘नई सरकार बनने पर भी हालात संभालना आसान नहीं होगा’

राजनीतिक टिप्पणीकार प्रोफेसर नजमुल अहसन कलीमुल्लाह का कहना है कि जब तक मौजूदा स्थिति शांत नहीं हो जाती तब तक अंतरिम सरकार के लिए काम करना एक चुनौती होगी। भले ही नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को इसमें शामिल किया जाए। फिलहाल सड़कों पर घूमती बेकाबू भीड़ जो भी चाहे, करने के लिए आजाद नजर आ रही है।

शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद सेना में भी बड़ा फेरबदल हुआ है। कई वरिष्ठ अधिकारियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है और कई को पदोन्नत किया गया है। सेना की मदद से देश में नई सरकार बन सकती है। वहीं डैफोडिल इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ढाका के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर तनवीर अबीर का कहना है कि हसीना ने देश छोड़कर ठीक नहीं किया है। अबीर ने कहा कि हसीना ने देश को संकट की स्थिति में छोड़कर जाना चुना। एक नेता की सबसे बड़ी जिम्मेदारी विपरीत परिस्थिति में अपने लोगों के साथ खड़ा रहना है, जिसमें हसीना फेल हुई हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here