गुरु चित्रा योग में शारदीय नवरात्र का आरंभ होगा, तिथि के क्षय होने से आठ दिन का पर्व

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पंचांगीय गणना से शारदीय नवरात्र का आरंभ गुरुवार को गुरु चित्रा योग की साक्षी में होगा। इस बार चतुर्थी तिथि का क्षय होने से नवरात्र आठ दिन के रहेंगे। देवी आराधना के इन आठ दिनों में विशिष्ट योग नक्षत्र में शक्ति की उपासना भक्तों का मनोरथ पूर्ण करने वाली मानी जा रही है। शक्तिपीठ हरसिद्धि सहित शहर के प्राचीन देवी मंदिरों में नवरात्र में आस्था का सैलाब उमड़ेगा।

ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार अश्विन शुक्ल प्रतिपदा के दिन गुरुवार के साथ चित्र नक्षत्र तथा तुला राशि का चंद्रमा रहेगा। गुरुवार का दिन सौम्य दिवस की श्रेणी में आता है। साथ ही चित्रा नक्षत्र बाधाओं के निराकरण का नक्षत्र माना गया है।

इस दृष्टि से नवरात्र के आरंभ वाले दिन गुरुवार व चित्रा नक्षत्र का होना विशेष माना जा रहा है। श्रीमद् देवी भागवत में चार नवरात्र विशेष माने गए हैं। इसमें चैत्र व अश्विन के नवरात्र प्रकट तथा माघ व आषाढ़ मास के नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहा गया है। इन नवरात्र में देवी की विधिवत साधना करने से भगवती की कृपा प्राप्त होती है। भक्तों को मनोवांछित फल प्राप्त करने के लिए विशिष्ट मंत्र तथा पाठों के माध्यम से अनुष्ठान करना चाहिए।

तिथि के क्षय होने से आठ दिन का पर्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार नवरात्र नौ दिन के होते हैं। लेकिन तिथि की घट बढ़ से हर तीन साल में स्थिति में परिवर्तन हो जाता है। इस बार नवरात्र में चतुर्थी तिथि का क्षय होने से यह आठ दिन के रहेंगे।

नए उद्योगों का आरंभ व नई वस्तुओं की खरीदी श्रेष्ठ

नवरात्र के दौरान हर दिन नक्षत्र के योग से विशेष संयोग बनेंगे। इसमें नए उद्योगों की स्थापना, नवीन प्रतिष्ठान का शुभारंभ तथा नई वस्तुओं की खरीदी श्रेष्ठ रहेगी। शुभ योग व विशिष्ट संयोग में देवी की आराधना परिवार में सुख, शांति तथा आर्थिक संपन्नाता भी प्रदान करेगी।

नवरात्र में किस दिन कौन सा योग

– तृतीया तिथि पर प्रीति योग : इस योग के स्वामी विष्णु हैं। इस दिन मांगलिक कार्यों में आ रही बाधाओं के निवारण के लिए देवी दुर्गा के साथ जन्म पत्रिका में व्याप्त दोषों के निवारण के लिए पूजन किया जाना चाहिए।

-पंचमी तिथि पर आयुष्मान योग : इस योग के अधिपति चंद्रमा हैं। परिवार में बच्चों तथा स्वयं की दीर्घायु के लिए देवी दुर्गा का विशेष अनुष्ठान करना चाहिए।

-षष्ठी तिथि पर सौभाग्य योग : इस योग के स्वामी स्वयं ब्रह्माजी हैं। इस दिन देवी की साधना व आराधना करने से पति की दीर्घायु होती है।

-सप्तमी तिथि पर शोभन योग : इस योग के स्वामी बृहस्पति हैं। देवगुरु बृहस्पति के पूजन से कुंवारी युवतियों को योग्य पति की प्राप्ति होती है।

-अष्टमी तिथि पर सुकर्मा योग : इस योग के अधिपति इंद्र हैं। उच्च पद की प्राप्ति के लिए इस दिन देवी का विशेष अनुष्ठान कराना चाहिए।

नवरात्र में घट स्थापना के मुहूर्त

-शुभ का चौघड़िया : सुबह 6.24 बजे से सुबह 7.54 बजे तक

-चंचल का चौघड़िया : सुबह 10.54 से दोपहर 12.24 बजे तक

-अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11.51 बजे से दोपहर 12.39 बजे तक

-लाभ का चौघड़िया : दोपहर 12.24 से दोपहर 1.54 बजे तक

-अमृत का चौघड़िया : दोपहर 1.54 बजे से दोपहर 3.24 बजे तक

-शुभ का चौघड़िया : शाम 4.54 बजे से शाम 6.24 बजे तक

-अमृत का चौघड़िया : शाम 6.05 से शाम 7.35 बजे तक

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