जजों की नियुक्ति को लेकर केंद्र और न्यायपालिका में टकराव के बीच सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने बड़ा कदम उठाया है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने वेबसाइट पर 3 लेटर जारी कर वकील सौरभ कृपाल, सोमशेखर सुंदरेशन और आर जॉन सत्यन की पदोन्नति पर केंद्र और RAW-IB की आपत्तियों का खंडन किया है। साथ ही SC ने मसले पर केंद्र की आपत्तियों का जवाब भी दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की ओर से तीनों वकीलों को जज बनाने की मंजूरी न देने के फैसले को गलत बताया। कोर्ट ने कहा कि सरकारी योजनाओं की आलोचना किसी वकील का प्रमोशन रोकने का आधार नहीं है। दिल्ली हाई कोर्ट में वकील सौरभ कृपाल के नाम पर केंद्र की आपत्ति के जवाब में कहा कि जज के रूप में कृपाल की नियुक्ति का प्रस्ताव 5 साल से ज्यादा समय से लंबित है। अब इस प्रोसेस को जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए।
सरकार को वकीलों के नामों से आपत्ति क्यों?
दरअसल, केंद्र ने सुंदरेशन के नाम पर आपत्ति जताने की वजह सरकार की नीतियों का अलोचना करना बताया था। केंद्र ने कहा कि ये कई मुद्दों पर अपना रुख जताते हैं। वहीं, सत्येन के दो वॉट्सऐप मैसेज फॉरवर्ड को लेकर केंद्र को आपत्ति थी। वहीं, कृपाल के विदेशी समलैंगिक पार्टनर को लेकर रॉ की आपत्तियों का जिक्र करते हुए उनके नाम पर मंजूरी देने से इनकार कर दिया था।
इसके बाद गुरुवार को भी लेटर जारी करने से पहले उन्होंने फिर चर्चा की। बैठक में यह फैसला लिया गया है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम वकील सौरभ कृपाल, सोमशेखर सुंदरेसन और आर जॉन सत्यन की पदोन्नति की सिफारिश फिर केंद्र को भेजेगा।
केंद्र ने अपना प्रतिनिधि शामिल करने के लिए CJI को चिट्ठी लिखी थी
लंबे समय से SC कॉलेजियम केंद्र सरकार पर नियुक्ति के लिए भेजे गए जजों के नामों की मंजूरी देने में देर करने का आरोप लगा रहे हैं। 16 जनवरी को कानून मंत्री किरण रिजिजू ने CJI को पत्र लिखकर कॉलेजियम में अपना प्रतिनिधि शामिल करने की बात कही थी। केंद्र के रुख का जवाब देने के लिए CJI की अगुआई में कॉलेजियम ने तय किया कि इस बार सारे मामले को सार्वजनिक किया जाए।